1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

वर्ल्ड कपः भारत-ऑस्ट्रेलिया, इतिहास का इंतजार

२२ मार्च २०११

वर्ल्ड कप क्रिकेट ऐसी जगह आ पहुंचा है, जहां से दो जीत सीधे फाइनल में पहुंचा देगी लेकिन एक बाहर का रास्ता खोल देगी.कुल सात मैच बचे हैं और फाइनल से पहले का सबसे बड़ा मैच गुरुवार को खेला जाना है.

तस्वीर: AP

इस दिन लगातार तीन बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को मेजबान भारत से भिड़ना है और इस मैच के साथ क्रिकेट में इतिहास भी बन सकता है.

कभी लगातार दो बार की वर्ल्ड कप चैंपियन वेस्ट इंडीज को भारत ने ही हरा कर 1983 में इतिहास रचा था. अब तीन बार की चैंपियन को बाहर कर वह उसे दोहरा सकता है. पहले दौर में लचर प्रदर्शन और क्रिकेट के जानकारों की झिड़कियों के बाद टीम इंडिया के पास आखिरी मौका है. पर क्या यह हो सकता है.

दिमाग लगाएं तो....

भारतीय टीम को अगर दिल से देखें, तो बड़ी खूबसूरत लगती है. लेकिन जैसे ही दिमाग लगाते हैं, दिल बैठ जाता है. सचिन को चर्चा से अलग रखते हैं क्योंकि उनके बारे में कोई विश्लेषण करना ठीक नहीं. सहवाग चल गए तो बल्ले बल्ले. नहीं चले, तो विराट हैं, गौतम हैं, युवराज हैं, धोनी भी और पठान भी. दिल से तो लगता है कि बल्लेबाजों की इतनी बड़ी फौज तो कबाड़ा कर देगी, लेकिन दिमाग चलता है तो दिखता है कि वर्ल्ड कप के तीन मैचों में यह सेना ऑल आउट हो चुकी है. छह मैचों में भारत के 44 विकेट गिर चुके हैं और कभी 29 पर नौ विकेट गिरते हैं, कभी 50 पर सात. बस, भरोसा इस बात का है कि अगर शुरुआत अच्छी हो जाए तो सब ठीक हो जाएगा. बाद में पतझड़ भी आया, तो भी काम चल जाएगा.

1983के बाद अब... क्या विश्व कप भारत के हाथ में आएगा...तस्वीर: dapd

तिलमिलाए कंगारू

भारत की गेंदबाजी खराब है, बताने की जरूरत नहीं. लेकिन सच यह है कि अब तक गेंदबाजों ने ही वर्ल्ड कप के मैच जिताए हैं. बांग्लादेश को छोड़ कर भारत वही मैच जीता है, जिसमें उसने विरोधी खेमे को दो सौ के आस पास आउट कर दिया है. जाहिर है, यह काम गेंदबाज ही कर सकते हैं. लेकिन ऑस्ट्रेलिया को दो सौ के अंदर आउट करना.. अभ्यास मैच में टीम इंडिया ऐसा कर चुकी है, लेकिन अब मुकाबला थोड़ा टाइट है. हालांकि पाकिस्तान पिछले मैच में कर चुका है लेकिन बार बार...

वर्ल्ड कप में इतिहास का इंतजारतस्वीर: AP

रिकी पोंटिंग पर भी कम दबाव नहीं. यह उनके करियर का आखिरी वर्ल्ड कप मैच हो सकता है और पता नहीं हार के बाद उनकी गद्दी बचेगी भी या नहीं. टेस्ट में तो उन्हें किनारे किए जाने की तैयारी हो चुकी है, वनडे में भी उनका भविष्य अच्छा नहीं दिखता. इस वर्ल्ड कप में तो वह एक बार भी नहीं चले हैं और पिछले 12 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया की वर्ल्ड कप में हार भी उनकी कप्तानी में ही हुई. ऐसे में हसी, वॉटसन, ब्रेट ली और क्लार्क की तिलमिलाई टीम क्या कर सकती है, बताने की जरूरत नहीं.

गेंदबाजी में ऑस्ट्रेलिया भी कोई बहुत ताकतवर नहीं लेकिन ली के रहते उसे कमजोर भी नहीं कहा जा सकता. वैसे 92 वर्ल्ड कप की तरह इस बार भी स्पिनरों से गेंदबाजी की शुरुआत कराई जा रही है, जो अब तक कारगर ही साबित हुई है. ऑस्ट्रेलिया क्रेजा को और भारत भज्जी या पठान को इस काम में लगा सकता है.

क्रिकेट में नतीजों के इमकान न भी लगाएं लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच इस वर्ल्ड कप का अब तक का सबसे बड़ा मैच होगा.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें