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वर्ल्ड कप से उत्साह में ईरान

१३ दिसम्बर २०१३

भले ही उनका मुकाबला अर्जेंटीना और नाइजीरिया जैसी टीमों से होने वाला है, भले ही उनका दावा बहुत पक्का नहीं लेकिन ईरान के लोग इसी बात से खुश हैं कि उन्हें ब्राजील में खेलने का मौका मिल रहा है.

Iran beim Fifa-World Cup
तस्वीर: Fars

मध्यपूर्व के इस देश में फुटबॉल को लेकर खासी दीवानगी है और कई बार तो मैचों में 90,000 दर्शक तक स्टेडियम पहुंच जाते हैं. उन्हें लगता है कि कभी रियाल मैड्रिड के कोच रहे कार्लोस केरोज उनकी टीम को अगले दौर में पहुंचा सकते हैं. ईरान की राष्ट्रीय टीम की कमान केरोज के हाथ में है.

टीम ने हाल ही में अमेरिकी को 2-1 से हराया है और इसे लेकर देश में खासा उत्साह है. साल 2006 के वर्ल्ड कप के दौरान टीम के उप कोच रहे हुमां अफजाली का कहना है, "समाज में फुटबॉल का अलग रुतबा है. पहले चुनाव और बाद में वर्ल्ड कप में पहुंचने के बाद लोगों को लगने लगा है कि चीजें बदल रही हैं."

कितना मुश्किल ग्रुप

फीफा वरीयता में ईरान 45वें नंबर पर है. वह एशिया में सबसे ऊपर है लेकिन उसे वर्ल्ड कप का कड़ा ग्रुप मिला है. उसे दो बार की चैंपियन अर्जेंटीना और अफ्रीका की मजबूत टीम नाइजीरिया के साथ रखा गया है. हालांकि इस ग्रुप में एक कमजोर टीम बोस्निया की भी है. बोस्निया पहली बार जरूर वर्ल्ड कप में पहुंचा है लेकिन फीफा वरीयता में वह 21वें नंबर पर है.

विश्व कप में ईरान का पहला मुकाबला नाइजीरिया से होगातस्वीर: Getty Images

अफजाली का कहना है, "हमारे लिए निर्णायक मैच पहला होगा, जब हम नाइजीरिया से भिड़ेंगे. अगर हमने अच्छा खेला तो हमारा विश्वास बढ़ेगा और खराब खेला तो मुश्किल हो जाएगी." वह आठ साल पहले के तजुर्बे से कह रहे हैं. जब जर्मनी में खेले गए विश्व कप के दौरान ईरान ने पहले दो मैच मेक्सिको और पुर्तगाल से गंवा दिए और आखिर में तीसरा मैच ड्रॉ किया. टीम 1978 और 1998 में भी पहले दौर में ही बाहर हो गई थी.

अफजाली का कहना है, "पिछले दो विश्व कप के दौरान हम लोग अच्छी तरह तैयार नहीं थे. लेकिन अब हमारे पास जबरदस्त संगठन है, खास तौर पर डिफेंसिव. इससे हमें ब्राजील में जरूर फायदा मिल सकता है क्योंकि हर कोई हमें हल्के में ले रहा है."

जबरदस्त प्रदर्शन

ईरान ने ब्राजील तक के सफर में अपने आखिरी तीन मैच जीते हैं. आखिरी मैच में तो उसने एशिया की मजबूत टीम दक्षिण कोरिया को भी 1-0 से हरा दिया. टीम और प्रशंसकों में उत्साह है, जो पिछले साल तक नहीं था.

कोच केरोज 2011 में तेहरान पहुंचे. पुर्तगाली कोच को अपने देश की तरह यहां भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और ईरान ने वर्ल्ड कप क्वालिफाइंग के पहले पांच मैंचों में सिर्फ दो गोल करके सात अंक हासिल किए थे. लग रहा था कि ईरान को इस बार भी बाहर होना होगा. लेबनान जैसी टीम ने हरा दिया था. प्रशंसकों की वेबसाइट टीममेली डॉट कॉम बनाने वाले मजीद पनाही का कहना है, "इसकी वजह से कोच और टीम से लोगों को काफी शिकायत थी." खबर तो यहां तक आई कि केरोज इस्तीफा देंगे. लेकिन इसके बाद स्थिति बदल गई.

यूरोप के लीग मुकाबलों में खेलने वाले ईरानी फुटबॉलरों ने शानदार प्रदर्शन किया. नीदरलैंड्स के ओरान्ये के लिए खेलने वाले रजा गुशाननेजाद ने पांच मैच में तीन गोल किए. फुलहम के मिडफील्डर अशकान देजागाह ने कतर के खिलाफ दोहरा गोल किया. देजागाह जर्मनी की जूनियर टीम से खेल चुके हैं.

खेलों से ईरान का अच्छा खासा नाता है. फुटबॉल के अलावा कुश्ती और भारोत्तोलन में वह अच्छा है उसे ओलंपिक मेडल भी मिल चुके हैं. देश ने 1968 से 1976 के बीच लगातार तीन बार एशियाई कप फुटबॉल मुकाबला जीता है. हालांकि इसके बाद 1979 में ईरानी क्रांति हुई और फुटबॉल ठंडा पड़ गया. ईरान ने 1982 और 1986 के विश्व कप का बहिष्कार किया था, क्योंकि फीफा ने उन्हें अपने देश वाले मैच किसी दूसरे देश में खेलने को कहा था.

एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स)

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