वाइन से गठिया का इलाज
२५ जनवरी २०१३ब्रिस्बेन में रहने वाले ग्रेग जार्डिन का कहना है कि वाइन बनाते वक्त तैयार होने वाले कुछ अज्वलनशील पदार्थों का पेटेंट कराया है, जो गठिया और दूसरी पुरानी बीमारियों के लिए रामबाण साबित हो सकता है.
रिसर्चर पहले भी इस तरह का दावा कर चुके हैं कि संयमित रूप से हर रोज थोड़ी वाइन पुरुषों का जीवन लंबा करती है और उन्हें हृदय रोग से बचाती है. हालांकि शराब के खतरों पर जोर देने वाला ग्रुप इन बातों का विरोध करता रहा है.
जार्डिन कहते हैं कि वाइन का सेहत पर अच्छा असर भी पड़ता है, "वाइन में बहुत कम मात्रा में एक बड़े काम का एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता. इसकी मात्रा अगर बढ़ा दी जाए तो करामाती असर दिख सकता है." उनका कहना है कि एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा वाइन में बढ़ा देने से इसका स्वाद भी काफी कड़वा हो जाता है. लेकिन अगर एंटीऑक्सिडेंट्स को वसा में घुलनशील बना दिया जाए तो ये स्वाद में बेहतर तो हो ही जाते हैं साथ ही शरीर इन्हें आसानी से सोख भी लेता है. यानी सारा खेल बुलबुलों का है.
जार्डिन ने इस वाइन को बनाने में तरीका वही इस्तेमाल किया, जो आम तौर पर वाइन बनाने में इस्तेमाल होता है. लेकिन बीच बीच में कहीं कहीं कुछ बदलाव किए.
उन्हें लगता है कि पॉलीफेनॉल की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल दूसरे खाने पीने की चीजों को बनाने और उनके गुणधर्म सुधारने में किया जा सकता है. उन्हें लगता है कि इस तरीके से बीयर बनाकर भी स्वास्थ्य संबंधी फायदे उठाए जा सकते हैं.
दवाइयों के जानकार लिंडसे ब्राउन ने जार्डिन की इस वाइन की क्वींसलैंड विश्विद्यालय में जांच की है. उनके अनुसार इस वाइन से गठिया पीड़ित चूहों पर अच्छे असर पाए गए, "इससे जलन, सूजन और अकड़न जैसी तकलीफों में राहत दिखी." हालांकि वह यह भी मानते हैं कि वाइन को दवाई में इस्तेमाल करने में कई दिक्कतें भी हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक शराब के जरूरत से ज्यादा सेवन से हर साल करीब 25 लाख लोगों की जान जाती है. हालांकि एक रिसर्च यह भी दावा करती है कि आधा गिलास वाइन रोज पीने से पुरुषों की उम्र पांच साल बढ़ सकती है. बस, गिलास का साइज बढ़ाना मना है.
एसएफ/एजेए (एएफपी)