आकाश में स्वच्छंद उड़ान भरने की अदम्नीय महात्वाकांक्षा को अपने मशीनी परों में भर कर जेटमैन ने दुबई के आकाश में अभूतपूर्व नजारा दिखाया. एमीरेट्स A380 के साथ उड़ते जेटमैन का बहुत खूबी से कोरियोग्राफ किया गया हवाई शो पाम जुमायरा और दुबई की स्काईलाइन पर देखा गया. इस शो में हिस्सा लिया दुनिया के सबसे बड़े यात्री विमान A380 और दो अनुभवी जेटमैन - दुबई के पायलटों यवेस रोसी और विन्स रेफेट ने.
पूर्व स्विस पायलट रोसी को तो जेटमैन के नाम से ही जाना जाता है. रोसी दुनिया के ऐसे पहले इंसान हैं जिसने कार्बन फाइबर से बने जेट पंखों के साथ उड़ान भरी है. रोसी और पैराशूट कलाबाज रेफेट साथ में पाम आइलैंड के ऊपर करीब 4,000 मीटर की ऊंचाई पर उड़े. 13 अक्टूबर 2015 को इन दो जांबाजों को हेलीकॉप्टर से हवा में ले जाया गया. करीब 1,676 मीटर की ऊंचाई से छलांग लगाने के बाद उन्होंने हवा में कई कलाबाजियां दिखाईं.
इस प्रदर्शन की तैयारी तीन महीनों तक चली. एयरबस और जेटमैन दुबई ने इस प्रोजेक्ट पर मिलकर काम किया. यह एमीरेट्स ग्रुप के प्रचार कार्यक्रम का हिस्सा है. 4 नवंबर को यूट्यूब पर शेयर किए गए इस वीडियो को पहले छह दिनों में ही 1.28 करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है.
ऋतिका राय (एएफपी/यूट्यूब)
रोमांचप्रेमी बैर्ट्रांड पिकार्ड का एक सपना है. वे सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान में पूरी दुनिया का चक्कर लगाना चाहते हैं. वे और उनके साथी आंद्रे बोर्शबर्ग इस मिशन पर हैं. अब उनका विमान भारत के बाद म्यांमार पहुंचा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Solar Impulse/Revillard/Rezoभारत में पिकार्ड के सोलर इम्पल्स 2 मिशन को नौकरशाही बाधाओं का सामना करना पड़ा. अहमदाबाद में उन्हें कई दिनों तक रुकना पड़ा. लेकिन बाद में वाराणसी तक की पंद्रह घंटे की उड़ान अच्छी रही. इस बीच विमान वाराणसी से म्यांमार पहुंचा है.
तस्वीर: Reuters/A. Daveपायलट पिकार्ड के लिए नौकरशाही बाधा भले ही परेशान करने वाली रही हो, सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान में दिलचस्पी लेने वाले अहमदाबाद के निवासियों के लिए यह खुशी की बात रही. लोग उसे देखने आते रहे और यादगार के लिए सेल्फी लेना नहीं भूले.
तस्वीर: Reuters/A. Daveअहमदाबाद से वाराणसी की उड़ान के पायलट आंद्रे बोर्शबर्ग थे. बैर्ट्रांड पिकार्ड ने वाराणसी से म्यांमार की राह पर कमान संभाली. अहमदाबाद में भारत के विमानन अधिकारियों के साथ भारत से निकलने के बारे में परमिट लेने की जिम्मेदारी उनकी थी.
तस्वीर: Reuters/A. Daveसोलर इम्पल्स 2 के मिशन की शुरुआत 9 मार्च को संयुक्त अरब अमीरात में अबु धाबी से हुई. 13 घंटे 2 मिनट की उड़ान के बाद विमान ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचा. वहां से अगले चरण में विमान भारत के अहमदाबाद पहुंचा.
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Naamaniकुल मिलाकर 12 चरणों में सौर विमान 35,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. यात्रा के दौरान पिकार्ड और उनके साथी बोर्शबर्ग बारी बारी विमान की कमान संभालेंगे. उड़ान में कुल 25 दिन का समय लगेगा. बीच में आराम और नौकरशाही जटिलताओं से निबटने का समय अलग से.
उड़ान से प्यार करने वाले पायलट बैर्ट्रांड पिकार्ड पेशे से मनोचिकित्सक हैं जबकि आंग्रे बोर्शबर्ग इंजीनियर हैं. लंबी और सागर के ऊपर निश्चित रूप से उबाऊ उड़ान के दौरान समय काटने के लिए दोनों ने ध्यान का अभ्यास किया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Haiderआधुनिक विमानों के विपरीत सोलर इम्पल्स 2 हर तरह के मौसम में उड़ान भरने में सक्षम नहीं है. विमान तभी उड़ान भरता है जब मोंटे कार्लो के नियंत्रण केंद्र से हरी झंडी मिलती है. रेतीले तूफान, भारी वर्षा और बर्फबारी मिशन को खतरे में डाल सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Revillardमोंटे कार्लो के नियंत्रण केंद्र में सोलर इम्पल्स मिशन से जुड़ी सारी जानकारी लगातार इकट्ठा होती है. ग्राउंड कंट्रोल सेंटर के अधिकारियों को हमेशा पता होता है कि विमान की बैटरियां, दोनों पायलट और विमान के पुर्जे किस हालत में हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/V. Hacheसोलर इम्पल्स 2 दूसरा सौर विमान है जिसे पिकार्ड और उनकी टीम ने बनाया है. सोलर इम्पल्स 1 के मुकाबले इसमें कॉकपिट में ज्यादा जगह है. नया विमान बनाते समय उसमें आधुनिक लाइटें और नई सौर तकनीक लगाई गई है.
तस्वीर: Reutersएक पायलट के लिए छोटा सा केबिन और उसके दोनों ओर बायीं और दायीं तरफ 64 मीटर लंबे पंख. सोलर इम्पल्स 1 का वजन पायलट सहित 1.6 टन था. सोलर इम्पल्स 2 का वजन 2.3 टन है. इसके मुकाबले एयरबस 340 का वजन बिना यात्री और सामान के 125 टन होता है.
तस्वीर: dapdविमान के लंबे पंख के भी अपने फायदे हैं. उस पर 17,000 सोलर सेल लगे हैं जो विमान के चार मोटरों और प्रोपेलरों को 70 से 140 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति दिलाने में मदद करते हैं. विमान की अधिकतम ऊंचाई 8500 मीटर है.
तस्वीर: APइस मिशन का सबसे अहम लक्ष्य है दुनिया भर में पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना. पिकार्ड को पूरा विश्वास है कि एक दिन सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान सैकड़ों लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकेंगे.
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