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वायुसेना को आत्मरक्षा में हमले का अधिकार मिला

१३ अगस्त २०१०

भारतीय वायु सेना को नक्सलियों पर जवाबी हमला करने की इजाजत मिल गई है. सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सेना आत्मरक्षा के लिए जवाबी हमले कर सकती है.

तस्वीर: picture-alliance / dpa

इस बारे में वायु सेना ने पिछले साल सितंबर में सरकार से दरख्वास्त की थी. सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत में इस बात को लेकर बहस चल रही है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सेना का इस्तेमाल होना चाहिए या नहीं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नक्सलवाद को देश की अंदरूनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बता चुके हैं.

इस वक्त वायु सेना के दो एमआई-17 और दो ध्रुव हेलीकॉप्टर नक्सल विरोधी ऑपरेशनों में तैनात हैं. दो साल पहले जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए, तब चुनाव अधिकारियों को ले जाते एक हेलीकॉप्टर पर नक्सलियों ने हमला किया जिसमें एक वायु सैनिक की मौत हो गई थी.

सरकार ने वायु सेना को पिछले साल अक्तूबर-नवंबर में आत्मरक्षा में जवाबी हमला करने की इजाजत दी. लेकिन इसके लिए शर्त रखी गई कि जवाबी हमले में छोटे हथियारों का ही इस्तेमाल किया जाएगा. इसके बाद से वायु सेना ने नक्सल प्रभावित इलाकों में उड़ाने भरने वाले अपने हेलीकॉप्टरों पर मशीनगनें लगा लीं. सूत्रों ने बताया कि ये मशीनगन गार्ड यूनिट के कमांडो तब इस्तेमाल कर सकते हैं जब वे हेलीकॉप्टर से इलाके में उड़ान भरेंगे.

रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने पिछले साल नवंबर में संसद को बताया था कि नक्सल विरोधी अभियान में भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर इस्तेमाल करते हुए आक्रामक कार्रवाई करने की कोई योजना नहीं है, लेकिन आत्मरक्षा में कार्रवाई के लिए किसी तरह की इजाजत की जरूरत नहीं है. हालांकि एंटनी ने बताया कि वायु सेना ने कुछ नियम बनाने का प्रस्ताव भेजा था ताकि किसी तरह के भ्रम की स्थिति से बचा जा सके.

एंटनी ने बताया कि इसके बाद कुछ नियम बनाए गए, जिनके मुताबिक अंधाधुंध गोलियां चलाने की इजाजत नहीं होगी और जवाबी हमला करने से पहले गार्ड इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि हेलीकॉप्टर पर हमला कहां से और किसने किया. इन नियमों का मकसद हमले में आम नागरिकों को हर तरह के नुकसान से बचाना है.

हाल ही में वायु सेना को अलग अलग जगहों पर संयुक्त राष्ट्र के अभियानों में लगे अपने हेलीकॉप्टरों में से 17 को वापस बुलाने की इजाजत मिली है. सूत्र बताते हैं कि जब ज्यादा हेलीकॉप्टर उपलब्ध होंगे तब नक्सल प्रभावित इलाकों में अर्धसैनिक बलों की मदद के लिए और ज्यादा को भेजा जा सकेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़

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