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विंबलडन जीतना जोकोविच का सपना

११ मई २०११

दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने कहा है कि विंबलडन जीतना उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है. साल की शुरुआत से जोकोविच लगातार 32 मैच जीत चुके हैं. जोकोविच को हराना इस साल टेढ़ी खीर साबित हुआ है.

epa02551711 Novak Djokovic of Serbia returns the ball to Roger Federer of Switzerland during their men semi final match at the Australian Open Grand Slam tennis tournament in Melbourne, Australia, 27 January 2011. EPA/RUNGROJ YONGRIT
तस्वीर: picture alliance/dpa

जोकोविच ने जनवरी में ऑस्ट्रेलियाई ओपन खिताब जीता और फिर तीन मास्टर्स खिताब अपने नाम किए. वर्ल्ड नंबर वन रफाएल नडाल को भी उन्होंने शिकस्त दी. जोकोविच के लिए नडाल को क्ले कोर्ट पर हराने का सपना भी पूरा हो गया. स्पेन में खेले गए मास्टर्स ओपन में उन्होंने नडाल को हराया. जोकोविच अब दुनिया के पहले नंबर के खिलाड़ी बनने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं लेकिन उनके लिए इससे भी महत्वपूर्ण विंबलडन अपने नाम करना है.

तस्वीर: AP

सपना और महत्वकांक्षा

23 वर्षीय जोकोविच ने कहा, "मेरी जिंदगी के सपने और महत्वाकांक्षा में अंतर है. मेरी महत्वाकांक्षा है कि मैं दुनिया में पहले नंबर पर काबिज हूं, लेकिन मेरा सपना है कि मैं विंबलडन जीतूं. लेकिन मैं कोई और ग्रैंड स्लैम भी जीतता हूं तो मुझे कोई शिकायत नहीं होगी."

पिछले साल सर्बिया को डेविस कप जिताने में जोकोविच ने अहम भूमिका निभाई. उनका कहना है कि इसी जीत की वजह से वह बेहतरीन फॉर्म में हैं. उन्होंने कहा, "फ्रांस के खिलाफ डेविस कप फाइनल खेलने के बाद मुझे काफी आत्मविश्वास आया. यहीं से मेरे बेहतरीन सफर की शुरुआत हुई और यह हमारे लिए बड़ा मैच था. एक ऐतिहासिक मैच. इससे मुझे ऊर्जा मिली और यह मेरी जिंदगी के सबसे अहम दिनों में शामिल हुआ."

नडाल को हराकर मजा आया

डेविस कप जीतने के दौरान जोकोविच के मन में भावनाओं का जो ज्वार आया वह उसकी तुलना किसी और बात से नहीं कर सकते. वैसे क्ले कोर्ट पर नडाल को हराने में भी जोकोविच को बड़ा आनंद मिला और फ्रेंच ओपन से पहले मिली यह जीत उनके मनोबल को मजबूती देगी. जोकोविच अपनी सफलता से हवा में नहीं हैं और अपने पांव जमीन पर ही टिकाए रखना चाहते हैं. जोकोविच के मुताबिक वह अन्य खिलाड़ियों पर ध्यान नहीं देना चाहते और अपने खेल पर ही मेहनत करना चाहते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: वी कुमार

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