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समाज

विकलांग और विधवा के प्रेम से जल भुन गया समाज

समीरात्मज मिश्र
२ सितम्बर २०२०

उत्तर प्रदेश में पिछले हफ्ते एक प्रेमी युगल को सजा के तौर पर सिर मुंडाकर गले में जूतों की माला पहनाकर पूरे गांव में घुमाया गया. अपराध यह था कि विधवा महिला की नजदीकियां उस विकलांग युवक से थीं जो मुसीबत में मददगार बना था.

One Billion Rising Aktion gegen Gewalt gegen Frauen
प्रतीकात्मक तस्वीर तस्वीर: Reuters

महिला का आरोप है कि परिवार वालों ने पति की मौत के बाद उसे घर से निकाल दिया. वह दर-दर भटकने पर मजबूर हो गई. महिला के मुताबिक, "गांव में ही रहने वाले विकलांग व्यक्ति ने मदद को हाथ बढ़ाया. लेकिन यह बात ना तो मेरे परिवार वालों को और ना ही लड़के के परिजनों को पसंद थी. दोनों परिवारों ने ऐतराज जताया और एक दिन हम लोगों को गांव वालों के साथ मिलकर यह सजा दे दी.”

पुलिस ने इस मामले में महिला के परिजनों और ग्राम प्रधान समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया है और अभी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी होनी है. पुलिस के मुताबिक गांव के प्रधान को घटना छिपाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. कन्नौज के जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने पीड़ित महिला के घर जाकर उसके बच्चों को स्कूली बैग और जरूरत की दूसरी चीजें दीं और मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

घटना कन्नौज जिले के गुरसहायगंज कोतवाली के बनियानी गांव की है. घटना से संबंधित वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की. पुलिस के मुताबिक महिला की शादी फर्रुखाबाद में हुई थी और चार साल पहले उसके पति की मौत हो गई थी. पति के निधन के बाद पीड़ित महिला अपने बच्चों के साथ मायके में आकर रह रही थी. पांच बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी महिला पर थी और ससुराल वालों ने उसे कथित तौर पर घर से निकाल दिया था.

गुरसहायगंज के पुलिस इंस्पेक्टर ऋषिकेश मिश्रा के मुताबिक, "पीड़ित महिला गांव के ही 35 वर्षीय स्वजातीय विकलांग युवक के सम्पर्क में आ गई  और दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं. इन लोगों का आपस में मिलना-जुलना दोनों परिवारों और गांव वालों को अच्छा नहीं लगता था. 27 अगस्त की रात को कुछ लोगों ने दोनों को एक साथा देखा तो मारने-पीटने लगे और उसके बाद उनके साथ यह व्यवहार किया. केस दर्ज किया गया है और सभी दोषियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.”

उधर गांव वालों का कहना है कि काफी विवाद के बाद पीड़ित महिला और विकलांग व्यक्ति के परिजन दोनों के विवाह के लिए राजी हो गए लेकिन दोपहर बाद गांव पहुंचे विकलांग के कुछ रिश्तेदारों ने ना सिर्फ जमकर हंगामा किया बल्कि और उसके बच्चों के साथ मारपीट भी की. कुछ लोगों ने पूरी घटना का वीडियो बनाया और फिर पुलिस को भी वीडियो वायरल होने के बाद ही घटना की जानकारी मिली.

पीड़ित महिला और दिव्यांग व्यक्ति के परिजनों ने दोनों का सिर मुंडवाकर, मुंह पर कालिख पोतकर और जूतों की माला पहनाकर गांव की गलियों में घुमाते रहे, पीटते रहे और अपमानित करते रहे. गांव में कोई भी व्यक्ति इसके विरोध में नहीं खड़ा हुआ. जो परिवार वाले दोनों से कोई मतलब नहीं रखते थे, जब दोनों एक दूसरे के करीब आने लगे तो इसका विरोध करने लगे.

गांव के एक व्यक्ति राजेश साहू ने बताया, "बीते तीन साल से विधवा महिला और विकलांग के बीच प्रेम-प्रसंग चल रहा है. दोनों एक दूसरे का दुख-दर्द बांटकर स्वेच्छा से जीवन-यापन कर रहे थे लेकिन यह सब परिवार के लोगों को मंजूर नहीं था. इसी विरोध को समाज के लोगों ने बदचलनी कहकर हंगामा किया. हालांकि गांव में बहुत से लोगों को इससे कोई लेना-देना नहीं था लेकिन जब उनके परिजन ही विरोध कर रहे थे तो कोई क्या कर सकता था.”

जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. जिलाधिकारी राकेश मिश्र कहते हैं, "घटना बेहद निंदनीय है. दो बालिग लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप का किसी को अधिकार नहीं है और ना ही किसी को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है. दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी और यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह सजा किसके कहने पर दी गई है.”

बनियानी गांव की इस घटना का राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी संज्ञान लिया है और उन्होंने जिलाधिकारी को पूरे मामले की जांच कर अभियुक्तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. कन्नौज के पुलिस अधीक्षक अमरेन्द्र सिंह का कहना है कि इस बारे में पहले भी कई बार विवाद की बात सामने आ चुकी है और सभी पहलुओं से छानबीन की जा रही है.

पिछले साल कन्नौज के ही पड़ोसी जिले कानपुर देहात में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी और प्रेमी-प्रेमिका के साथ कथित पंचायत ने ऐसी ही सजा दी थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में तो पंचायत के ऐसे फरमानों की खबरें आती रहती हैं लेकिन मध्य यूपी या फिर पूर्वांचल में ऐसी घटनाएं कम होती हैं.

दिल्ली के एक कॉलेज में समाजशास्त्र पढ़ाने वाले डॉक्टर सर्वेश कुमार कहते हैं, "प्रेम संबंधी मामलों में अक्सर परिवार वालों की ओर से आपत्ति करने जैसी घटनाएं सामने आती हैं लेकिन पंचायत या फिर कुछ लोगों का समूह गैर कानूनी तरीके से जब इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता है तो यह तभी होता है जब पीड़ित पक्ष गरीब या कमजोर होता है. सजा मुकर्रर करने वालों को पता है कि कमजोर लोग उनके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते. कोई पंचायत किसी समृद्ध और सक्षम व्यक्ति को ऐसी सजा नहीं देती है. पर यह अच्छा है कि कानून की निगाह में आने के बाद दोषी लोग बच नहीं पाते हैं. लेकिन प्रशासन को थोड़ी और सख्ती दिखानी होगी ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.”

भारत में अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ तमाम कानून होने के बावजूद कई जगहों पर सामाजिक दबाव के चलते ऐसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं. बिहार-झारखंड से अक्सर डायन के नाम पर या फिर असम-बंगाल जैसे राज्यों से जादू-टोने के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने की घटनाएं आम हैं. 

अंधविश्वासों के खिलाफ काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नीलिमा टप्पो कहती हैं, "गांव-देहातों के लोगों में जागरूकता की कमी होने के कारण वे जादू-टोना की भांति वाहियात बातों पर भरोसा करते हैं. साथ ही, उचित स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था न होने से इलाज की कमी से लोगों की मौत होती है, लेकिन गांव के भोले-भाले लोग इसे जादू-टोना से हुई मौत मान लेते हैं. या फिर कई जगहों पर महिलाओं के साथ समाज के नाम पर अत्याचार होते हैं. इनका सिर्फ यही समाधान है कि पुलिस-प्रशासन की ओर से जनसंपर्क शिविर आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जाए और लोगों के मन से भय को दूर किया जाए.”

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