एशिया के शहर इस कदर विकास की अंधी दौड़ में शामिल हैं कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासतों को भी नहीं बचा पा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वे अपने उस पारंपरिक ज्ञान को भी भूलते जा रहे हैं जिस पर कभी उनका शहर टिका था.
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में पहली बार ऐसा हुआ है जब शहरों में रहने वाले लोगों की संख्या गांव देहातों में रहने वालों से ज्यादा हो गई है. ऐसे में शहर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. रिहायशी परिसरों के अलावा दफ्तर और मेट्रो रेल जैसे सार्वजनिक परिवहन के साधन विकसित करने पर बहुत जोर दिया जा रहा है. इसके कारण बहुत सी पुरानी इमारतों और अनौपचारिक बस्तियों को हटाया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को की मोंटिरा होरायांगुरा उनाकुल का कहना है कि हम विकास की अंधी दौड़ में पारंपरिक ज्ञान को भी भूलते जा रहे हैं.
मलेशिया के पेनांग में शहरीकरण पर हुई एक कांफ्रेंस में उन्होंने कहा, "बहुत से शहरों में, अब भी विरासतों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, लेकिन उनसे ना सिर्फ हमारी क्षमताएं और पर्यटन बेहतर हो सकता है बल्कि व्यापक तौर पर आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी." उनके मुताबिक, "विरासत सिर्फ किसी स्थल को संरक्षित करना नहीं है, बल्कि प्राचीन तौर तरीकों, पारंपरिक ज्ञान, सामाजिक मूल्यों, आर्थिक सिद्धांतों समेत उस सब चीजों को संरक्षित करना होगा जो जमीन के ऊपर और नीचे मौजूद है."
2050 तक दुनिया की आबादी बढ़कर 10 अरब हो जाएगी. बिजनेस इनसाइडर मैग्जीन के मुताबिक भारत के दो शहर दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर बन जाएंगे.
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10. मेक्सिको सिटी
मेक्सिको की राजधानी मेक्सिको सिटी की आबादी फिलहाल 88 लाख है. लेकिन अगले 34 साल में यह आबादी तिगुनी बढ़ेगी. 2050 तक शहर में 2.4 करोड़ लोग रहने लगेंगे.
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9. न्यू यॉर्क
कभी न सोने वाला अमेरिकी शहर न्यू यॉर्क भी अथाह आबादी का सामना करेगा. 84 लाख की आबादी न्यू यॉर्क शहर 2050 तक 2.48 करोड़ लोगों का बसेरा होगा.
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8. कराची
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में भविष्य में करोड़ों लोगों का मुख्य ठिकाना बन जाएगा. शहर की आबादी 3.17 करोड़ तक पहुंच सकती है.
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7. टोक्यो
जापान की राजधानी टोक्यो की आबादी फिलहाल 1.3 करोड़ है. शोध कहता है कि 2050 तक टोक्यो की आबादी बढ़कर 3.26 करोड़ हो जाएगी.
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6. लागोस
नाइजीरिया का सबसे बड़ा शहर लागोस भी अफ्रीकी महाद्वीप के लोगों को अपनी ओर खींचता रहेगा. आर्थिक विकास के चलते यहां की आबादी छह गुना बढ़ेगी. 2050 तक 3.26 करोड़ लोग खुद को लागोसवासी कहेंगे.
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5. कोलकाता
जनसंख्या वृद्धि का सामना करने वाले शहरों में पांचवें नंबर पर कोलकाता है. 1.4 करोड़ आबादी वाले कोलकाता की आबादी भविष्य में दोगुनी हो जाएगी
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4. किनशासा
कांगो गणतंत्र की राजधानी किनशासा की जनसंख्या फिलहाल 1.01 करोड़ है. 2050 तक यह 3.5 करोड़ हो जाएगी.
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3. ढाका
बांग्लादेश की राजधानी ढाका भी जनसंख्या विस्फोट की गवाह बनेगी. अगले 34 साल में शहर की आबादी चार गुना बढ़ेगी. इसका मतलब होगा कि ढाका में 3.52 करोड़ लोग रहेंगे.
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2. दिल्ली
बाहरी इलाकों को छोड़ दिया जाए तो दिल्ली की आबादी फिलहाल एक करोड़ है. लेकिन रोजगार और सुविधाओं की तलाश में हर दिन हजारों लोग दिल्ली आते हैं. 2050 तक दिल्ली 3.6 करोड़ लोगों को जगह देगी.
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1. मुंबई
आबादी और जनसंख्या के घनत्व के लिहाज से भारत की मायानगरी कही जाने वाली मुंबई टॉप पर रहेगी. 2050 तक मुंबई की आबादी 4.24 करोड़ हो जाएगी. यह दुनिया का सबसे व्यस्त शहर हो जाएगा.
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यूनेस्को ने जिन 900 स्थलों को विश्व विरासत घोषित किया है, उनमें 193 शहर और शहरी इलाकों में स्थित ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं. सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण भी संयुक्त राष्ट्र के उन 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों में शामिल है जिन्हें 2030 तक पूरा किया जाना है. अन्य लक्ष्यों में भुखमरी से निपटना, लैंगिक समानता लाना और जलवायु परिवर्तन से लड़ना शामिल है.
जकार्ता के एक थिंकटैंक के लिए काम करने वाली एलिसा सुल्तानुद्याया कहती हैं कि इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में शहरों में मौजूद गांवों को और अनौपचारिक बस्तियों को विरासत नहीं माना जाता. उनके मुताबिक, "शहर औपचारिक और अनौपचारिक बस्तियों के मिलने से ही बनते हैं. इसीलिए शहरों में मौजूद गांव भी शहरीकरण की योजनाओं का हिस्सा होने चाहिए. ये देहाती इलाके गांवों से शहरों की तरफ लोगों के जाने का माध्यम बनते हैं." वह कहती हैं कि इन इलाकों में पीढ़ियों से रहने वाले लोगों के पास बाढ़ और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए अहम पारंपरिक जानकारी हो सकती है, जिसे संरक्षित करके रखने की जरूरत है.
अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शाश्वत बंधोपाध्याय भी इस कांफ्रेंस में पहुंचे. उनका मानना है कि शहरों में दबाव बढ़ रहा है लेकिन आधुनिकीकरण करते वक्त चीजों को संरक्षित करने वाली सोच अपनानी होगी. इसमें लोगों को भी अपना योगदान देना होगा और अपने खाने, पहनावे और संगीत से जुड़ी परंपरा और संस्कृतियों को सहेज कर रखना होगा. वह कहते हैं, "विरासत एक बार खोई तो फिर वापस नहीं मिलेगी. इसीलिए विरासत को सहेजने के लिए हम जो भी कर सकते हैं, हमें वह करना चाहिए."
घरों का ठंडा रखने के लिए टोटके नहीं, ठोस उपाय करने होंगे
बढ़ती गर्मी और ऊर्जा की खपत के बावजूद दुनिया भर में आज भी भवन निर्माण में 1950 के दशक में खोजे गए मैटीरियल का इस्तेमाल हो रहा है. घरों को ज्यादा ठंडा और किफायती बनाने के लिए अब शहरीकरण के विशेषज्ञ ये सुझाव दे रहे हैं.
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ग्रीन छत और दीवारें
छत और दीवारों को जितना ज्यादा हो सके, उतना पौधों या छांव से ढंकना. ऐसा करने से घर के तापमान में बड़ा उतार चढ़ाव नहीं आएगा. साथ ही ये चीजें ध्वनि प्रदूषण और अति रोशनी को भी रोकेंगी. घर के भीतर धूल और वायु प्रदूषण भी कम दाखिल होगा.
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कोहरे और नमी का इस्तेमाल
नई तकनीक की मदद से कोहरे और उमस से पानी निकाला जा सकता है. मोरक्को में ऐसा किया जा रहा है. दुबई भी इस तकनीक को अमल में लाने की तैयारी कर रहा है.
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ठंडे फुटपाथ
अमेरिकी शहर लॉस एजेंलिस में सड़कों पर खास पेंट किया जा सकता है. इस तकनीक को कूलसील कहा जा रहा है. कूलसील की मदद से सड़कें और फुटपाथ कम गर्म होते हैं. बाहर चाहे कितनी ही गर्मी हो कूलसील वाली जगहों पर तापमान करीब 6.6 डिग्री सेल्सियस कम होता है.
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ऊर्जा बचाने वाले घर
इमारतों को अगर बेहतर ढंग से डिजायन किया जाए तो काफी ऊर्जा बचाई जा सकती है. अबू धाबी के अल बहार टावर में इसका सबूत मिलता है. इमारत को छांव देने के लिए एक सिस्टम लगाया गया है. सिस्टम धूप के चश्मे की तरह काम करता है और सूरज की 20 फीसदी ऊर्जा रोकता है. इसके जरिए इमारत ठंडी रहती है.
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स्वच्छ, हवादार शहर
शहरों को अगर बढ़िया तरीके से साफ और हरा भरा रखा जाए तो लोग बाहर निकलने के लिए प्रेरित होंगे. लोग टहलने, साइकिल चलाने या खेलने के लिए निकलेंगे. लोग जितना ज्यादा घर से बाहर निकलेंगे घरों में खर्च होने वाली ऊर्जा उतनी ज्यादा बचाई जा सकेगी. बाहर निकलने से लोग स्वस्थ भी ज्यादा रहेंगे.