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विकीलीक्स संस्थापक असांज को जमानत

१४ दिसम्बर २०१०

अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों को दुनिया भर में उजागर करने वाले जूलियन असांज को लंदन में जमानत मिल गई है. उन्हें कुछ शर्तों और दो लाख पाउंड के मुचलके पर छोड़ा जा रहा है. असांज पर सेक्स अपराध से जुड़ा मामला चल रहा है.

तस्वीर: Picture alliance/dpa

उन्हें प्रत्यर्पण के एक मामले की सुनवाई से ठीक पहले जमानत मिली है. इस आधार पर उन्हें फौरन नहीं छोड़ा गया. अब सरकारी वकीलों को दो घंटे के अंदर इस बात का फैसला करना है कि क्या वे प्रत्यर्पण के लिए अपील करेंगे या नहीं.

मानवाधिकार संगठनों ने काफी दिनों से असांज को रिहा करने की मुहिम चला रखी है. जिस वक्त लंदन में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने सुनवाई चल रही थी, भारी संख्या में उनके समर्थक बाहर खड़े थे. जैसे ही असांज को जमानत मिलने की बात सामने आई, वे खुशी से झूम उठे. मानवाधिकार संगठनों ने आनन फानन में एलान किया है कि वे असांज की रिहाई के लिए दो लाख पाउंड यानी लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का मुचलका भर देंगे.

इस बीच स्वीडन के वकीलों का कहना है कि वे असांज के खिलाफ प्रत्यर्पण का मामला आगे बढ़ाना चाहेंगे. असांज बार बार कह चुके हैं कि उन पर गलत आरोप लगाए जा रहे हैं और वे इसका मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.

असांज ने पिछले दिनों अप्रत्याशित तरीके से अमेरिका के ढाई लाख खुफिया केबल संदेश इंटरनेट पर जारी करके सनसनी फैला दी. इसके बाद उन पर जबरदस्त दबाव बना और उनसे जुड़े इधर उधर के मामले सामने आने लगे. स्वीडन में दो महिलाएं पहले ही असांज पर सेक्स अपराध से जुड़ा मामला लगा चुकी थीं. इसके आधार पर इंटरपोल ने उनकी तलाश शुरू की.

तस्वीर: AP

असांज ने लंदन में अदालत के सामने समर्पण कर दिया और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 39 साल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक असांज ने पिछले हफ्ते भी जमानत लेने की कोशिश की लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली.

केबल संदेशों में तमाम राजनयिकों और अमेरिकी अफसरों की बातचीत का खुलासा है. अमेरिका ने उनके इस कदम को बेहद खतरनाक बताया है और कहा है कि इससे उसकी सुरक्षा को काफी खतरा हो सकता है. लेकिन असांज का कहना है कि उन्होंने जनहित में यह काम किया है. दुनिया भर में उनके लाखों चाहने वाले लगातार उनके समर्थन में माहौल बना रहे हैं. कुछ बड़ी कंपनियों ने असांज के साथ हर तरह का कारोबार बंद कर दिया, जिसके बाद इंटरनेट पर असांज के कुछ समर्थकों ने पेपाल और मास्टर कार्ड जैसी कंपनियों की वेबसाइट हैक कर दी. कुछ मानवाधिकार संगठनों ने तो उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार देने की भी मांग कर डाली.

अब उन्हें जमानत देने का फैसला किया गया है लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल के मुताबिक उन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक बैंड पहनना पड़ेगा ताकि यह पता लग पाए कि वह कहां हैं. जमानत की शर्तों के मुताबिक उन्हें पासपोर्ट जमा करा देना होगा और इस तरह वे आसानी से अलग अलग देश नहीं जा पाएंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एन रंजन

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