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विक्षिप्त है नॉर्वे का हमलावरः वकील

२६ जुलाई २०११

नॉर्वे में बम विस्फोट और अंधाधुंध फायरिंग में कम से कम 76 लोगों की हत्या कर देने वाले युवक के वकील का मानना है कि वह विक्षिप्त है. युवक ने लोगों को मारने का आरोप स्वीकार कर लिया है लेकिन यह नहीं माना है कि वह अपराधी है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

नॉर्वे में 32 साल के हमलावर आंदर्स बेहरिंग ब्रेविक के वकील गीयर लिप्पेस्टाड का कहना है, "यह पूरा मामला इस बात की ओर संकेत करता है कि वह विक्षिप्त है." वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल ने अपना आरोप स्वीकार कर लिया है और माना है कि उसने ज्यादती की है लेकिन यह नहीं माना कि वह अपराधी है.

लिप्पेस्टाड का कहना है कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि ब्रेविक अदालती सुनवाई के दौरान खुद को विक्षिप्त मानता है कि नहीं. इस मामले की सुनवाई शुरू होने में साल भर लग सकता है. वकील का कहना है कि ब्रेविक ने बताया है कि वह इस्लाम विरोधी गुट का सदस्य है, जिसके दो सेल नॉर्वे में और कई सेल दूसरे देशों में काम कर रहे हैं. हालांकि लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा है कि क्या वाकई में ऐसे कोई सेल काम कर रहे हैं.

पूरा नॉर्वे शोकग्रस्ततस्वीर: dapd

अकेले किया

नॉर्वे पुलिस का मानना है कि शुक्रवार की घटना ब्रेविक ने अकेले के दम पर अंजाम दी. देश के न्याय मंत्री क्नुट स्टोर्बरगट ने इस दौरान पुलिस की कार्रवाई की तारीफ की और इस बात को नहीं माना कि घटना के बाद पुलिस ने बहुत धीमी गति से अपनी कार्रवाई की. ओस्लो पुलिस प्रमुख से बातचीत के बाद स्टोर्बरगट ने कहा, "यह जरूरी है कि हम हर मुद्दे पर आलोचक के नजरिए से देखें. लेकिन हर चीज का एक मौका होता है."

नॉर्वे की पुलिस को उटोया टापू पर पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का वक्त लगा, जिस दौरान ब्रेविक आसानी से वहां जमा युवकों को अपनी गोलियां का निशाना बनाता रहा. उस फायरिंग में उसने 68 लोगों को मार गिराया, जबकि इससे पहले राजधानी ओस्लो में हुए बम धमाके में सात लोग मारे गए. पुलिस जल्द ही घटना में मारे गए लोगों के नाम जारी करने वाली है. पहले पुलिस ने हमलों में 93 लोगों के मारे जाने की बात कही लेकिन बाद में संख्या घटा कर 76 कर दी गई.

नॉर्वे के लोगों ने भी आम तौर पर पुलिस का साथ दिया है. राजधानी ओस्लो में करीब एक लाख लोगों ने शांति जुलूस निकाला, जिसमें राहत और बचाव के कामों की तारीफ की गई.

'दो सेल और हैं'

आरोपी ब्रेविक ने सोमवार को उस वक्त हलचल पैदा कर दी, जब उसने जज से कहा कि उसके संगठन के दो और सेल काम कर रहे हैं. हालांकि मामले को करीब से देख रहे एक जानकार का कहना है, "इस बारे में आरोपी के बातों पर यकीन नहीं किया जा सकता है. लेकिन हममें से कोई भी पूरी तरह इस बात को खारिज करने का दुस्साहस नहीं कर सकता है." जांचकर्ता इस बात को भी नहीं मानते कि ब्रेविक एक बड़े इस्लाम विरोधी संस्था का हिस्सा है और उनका मानना है कि आरोपी ऐसी बातें इसलिए कह रहा है ताकि जांच करने वालों को भ्रम में रख सके.

नॉर्वे को इस बात से राहत मिली है कि ब्रेविक ने अकेले ही पूरी घटना को अंजाम दिया है. उसका मानना है कि यूरोप को "मार्क्स संस्कृति" और "मुस्लिमों के आक्रमण" से बचाया जाना चाहिए. न्याय मंत्री ने कहा कि इस घटना से नॉर्वे ने बड़ा सबक लिया है लेकिन वह एक लोकतांत्रिक देश बना रहेगा और वहां ज्यादा खुलापन आएगा. हालांकि वहां सुरक्षा को लेकर कुछ कदम उठाने होंगे. उन्होंने कहा, "देश में ज्यादा खुलापन, ज्यादा राजनीतिक गतिविधि और बेहतर लोकतंत्र आएगा. लोगों की सुरक्षा बढ़ेगी लेकिन हमें इसके लिए काम करना होगा."

वकील का दावा विक्षिप्त हैं ब्रेविकतस्वीर: AP

धीमी गति से

देश के एक अखबार का दावा है कि ब्रेविक कांड की सुनवाई धीमी गति से चल रही है क्योंकि आरोपी खुफिया सेल या उससे जुड़े दूसरे मुद्दों पर मुंह नहीं खोल रहा है. जांचकर्ता इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या ब्रेविक की हरकत 2008 के उस कानून के तहत आता है, जिसमें मानवता के खिलाफ अपराध का जिक्र है.

ओस्लो यूनिवर्सिटी में अपराध कानून के लेक्चरर स्टाले एस्केलांड का कहना है, "एक सुनियोजित तरीके से लोगों के गुट की हत्या करना इस श्रेणी में आता है और इस अपराध के लिए सजा 30 साल तक की हो सकती है. जबकि आतंकवाद के दूसरे मामलों में नॉर्वे में 21 साल तक की सजा होती है." दोनों ही मामलों में अगर अपराध दोहराए जाने का खतरा हो तो सजा की अवधि पांच साल तक के लिए बढ़ा दी जाती है. पुलिस के वकील क्रिस्टियान हाटलो का कहना है कि ब्रेविक को अपनी बची हुई जिंदगी जेल के अंदर ही बितानी पड़ सकती है.

शांतिपूर्ण प्रदर्शन

इस बीच सोमवार की रात एक लाख से ज्यादा लोगों ने ओस्लो में प्रदर्शन किया. इनमें से कई लोगों के हाथ में सफेद और लाल गुलाब थे. देश के दूसरे शहरों में भी हजारों हजार लोगों ने रैली निकाली और 22 जुलाई को हुई घटना में मारे गए लोगों को याद किया.

नॉर्वे उटोया द्वीपतस्वीर: dapd

ब्रेविक का दावा है कि दूसरे देशों को लोग भी उससे मिले हुए हैं. लेकिन समझा जाता है कि पुलिस इस बात को नहीं मान रही है और इस वजह से सीमा पर लगी नाकेबंदी हटा दी गई और किसी भी दूसरे देश से इस मामले में जांच के लिए नहीं कहा गया है. यहां तक कि ब्रेविक के 1500 पन्नों वाले ऑनलाइन दस्तावेज में भी आखिरी लाइन यही लिखी गई है, "अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो खुद से कर लीजिए."

मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि आम तौर पर ऐसे मामले में हमलावर अकेले होते हैं. स्वीडिश नेशनल डिफेंस कॉलेज के मैग्नस रैनस्टॉर्प का कहना है, "जब आप यह दस्तावेज पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि वह अकेला ही था. ऐसा लगता है कि वह अपनी ही बनाई गई दुनिया में खो गया था और उसे असली नकली दुनिया का फर्क ही पता नहीं चल पा रहा था."

रिपोर्टः रॉयटर्स/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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