विज्ञान में चाहिए महिलाओं के लिए अच्छी भूमिका
२३ अगस्त २०१२14 दिन तक टीवी कार्यक्रम और धारावाहिकों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं को पता चला कि जर्मनी के टेलीविजन कार्यक्रमों में विज्ञान से संबंधित कार्यक्रम बहुत कम दिखाई जाती हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक सिर्फ 1.7 प्रतिशत कार्यक्रम ऐसे हैं जिनमें विज्ञान से जुड़े कार्यक्रम दिखाए जाते हैं. 2 प्रतिशत कार्यक्रम इंजीनियरिंग के बारे में होते हैं. इतना ही नहीं इन कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी भी बेहद कम है. विज्ञान में 0.7 प्रतिशत महिलाएं ही हैं जबकि इंजीनियरिंग में ये आंकड़ा 0.5 प्रतिशत है.
बर्लिन की तकनीकी यूनिवर्सिटी के मारियोन ऐश का कहना है, "महिलाओं को ज्यादातर नर्स, शिक्षक, ब्यूटीशियन, वकील, डॉक्टर और पुलिस अधिकारी के रूप में दिखाया जाता है. इतना ही नहीं महिलाओं को जो दिखाया भी जाता है उसमें भी वो अपना काम करते हुए कम दिखाई जाती हैं. उन्हें प्यार, परिवार और व्यक्तिगत खुशी के बारे में चिंता करते हुए ज्यादा दिखाया जाता है. लगता है शो के प्रोड्यूसर और लेखक इस ओर ध्यान ही नहीं देते." इस शोध से जुड़े क्रिस्टोफ फाल्केनरोथ का कहना है, "ऐसा पूरे यूरोप में होता है."
शोधकर्ता मानते हैं कि अगर इसे रोकना है और महिलाओं के विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना है तो धारावाहिकों में महिला वैज्ञानिकों को और ज्यादा दिखाना होगा. ऐश कहते है,
" लड़कियां बचपन से ही अपने वातावरण को बहुत करीब से देखती हैं. वो देखती हैं कि उनके आसपास के लड़के और लड़कियां क्या करते हैं. लड़कियों को रोल मॉडल चाहिए." शोध के दौरान 15 से 17 साल की लड़कियों से ये पूछा गया कि उन्हे उनके ड्रीम जॉब के बारे में कैसे पता चला. उनमें से एक चौथाई ने कहा कि टीवी देखकर ही जॉब के बारे में तय किया. जाहिर है टीवी सीरियल एक खास तरह के काम के बारे में लोगों को प्रेरित कर सकते हैं.
इसी तरह के निष्कर्ष अमेरिका में भी मिले हैं. अमेरिका में टेलीवीजन पर दिखाए जाने वाले क्राइम शो क्राइन सीन इनवेस्टिगेशन के शुरु होने के दस साल बाद ये पाया कि फोरेंसिक सांइस में गेजुएशन करने वाली लड़कियों की संख्या में 64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस क्राइम शो में खूबसूरत लड़कियों को फोरेंसिक टीम में काम करते हुए दिखाया जाता है.
बर्लिन के शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि टीवी पर महिलाओं को महिलाओं के जैसा दिखाने की जरूरत है. अगर महिलाओं को पुरुषो के जैसा दिखाया जाए तो इसके परिणाम उल्टा हो सकते हैं.
शोध के नतीजों के बाद ऐश और फाल्केनरोथ का कहना है कि अगर उन्हे स्थिति में बदलाव लाना है तो लोगों से लड़ना होगा. उन्हे बदलाव के लिए प्रेरित करना होगा.
रिपोर्टः ब्रिगिटे ओस्टेराथ/वीडी
संपादनः आभा मोंढे