जिम्बाब्वे में 3 लाख हेक्टेयर जमीन की फसल चट करने के बाद टिड्डी दल अफ्रीका के दूसरे देशों में तबाही मचा रहे हैं. यूएन ने टिड्डी दल के हमले का तोड़ खोजने के लिए इमरजेंसी बैठक बुलाई.
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खास किस्म के टिड्डों ने जाम्बिया, जिम्बाब्वे, दक्षिण अफ्रीका और घाना में बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद कर दी है. अब मलावी, मोजाम्बिक और नामीबिया से भी व्यापक नुकसान की खबरें आ रही हैं. लगातार बिगड़ते हालात के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने जिम्बाव्वे की राजधानी हरारे में आपात बैठक की है.
विशेषज्ञों के मुताबिक यह पहला मौका है जब सब सहारा देशों में टिड्डी दलों ने इतने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है. यह टिड्डे फसल चट करते समय उसमें लार्वा छोड़ देते हैं. 7 से 12 दिन के भीतर लार्वा विकसित टिड्डे में बदल जाते हैं. और सारा खेल आगे बढ़ने लगता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक एक महीने में नए टिड्डों की टोली 1,000 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है.
टिड्डी दल के लाखों टिड्डे एक साथ खेत पर हमला करते हैं. ये धान, गेंहू, मक्का और ज्वार की फसल को चट कर जाते हैं. ये फसलें दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका का मुख्य आहार हैं. दशकों के सूखे के चलते इन इलाकों में किसानों की हालात पहले से ही खराब थी. टिड्डी दल के हमले ने उन पर और करारी चोट की है.
FAO के दक्षिणी अफ्रीका के कॉर्डिनेटर डेविड फिरी कहते हैं, "किसी को नहीं पता कि ये अफ्रीका कैसे पहुंचे. इसीलिए किसानों को पता ही नहीं है कि इनसे कैसे निपटा जाए." 2016 में पहली बार यह टिड्डे नाइजीरिया और टोगो में देखे गये थे. विशेषज्ञों को आशंका है कि दक्षिण अमेरिका या दुनिया के दूसरे हिस्सों से ये टिड्डे विमान के जरिये अफ्रीका पहुंचे. अफ्रीका में कोई प्राकृतिक दुश्मन न होने के कारण इनकी संख्या बढ़ती गई.
टिड्डों से निपटने के लिए अब 13 देशों के विशेषज्ञ साझा योजना बना रहे हैं. जिम्बाब्वे में तीन दिन तक चलने वाली बैठक में अलग अलग किस्म के कीटनाशकों पर चर्चा होगी.
जिम्बाब्वे के कृषि मंत्री डेविस मारापिरा के मुताबिक दिसंबर 2016 के मध्य में यह समस्या शुरू हुई. टिड्डी दल अब तक देश के 10 जिलों की फसल चौपट कर चुका है. मारापिरा के मुताबिक, "सरकार रसायन और स्प्रे करने वाले उपकरण खरीदने में किसानों की मदद कर रही है." कीटनाशक का छिड़काव इन टिड्डों के खिलाफ कारगर होता है. लेकिन अगर टिड्डे रसायनों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर गए तो समस्या ज्यादा विकराल और अंतहीन सी हो जाएगी. FAO के फिरी कहते हैं, "छिड़काव से कीड़ों की कम संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन संख्या ज्यादा हुई तो नियंत्रण करना काफी मुश्किल होगा. ऐसे में अलग अलग तरीके अपनाने पड़ेंगे, जिनमें एक साथ पूरी फसल को जलाना भी शामिल है."
(बड़े काम के कीड़े)
बड़े काम के कीड़े
कीड़े मकोड़े कभी तो परेशान करते हैं, कभी नुकसान पहुंचाते हैं और कभी बीमार कर देते हैं. लेकिन अधिकतर कीड़े बहुत काम के होते हैं. उनके कारण हमें खाना मिलता है. धरती साफ रहती है और वे हमें खतरे से भी आगाह करते हैं.
तस्वीर: Robert R. Jackson
डरावनी लेकिन अच्छी
तरह तरह की मकड़ियां. वैसे तो कीड़ा नहीं हैं लेकिन फिर भी बहुत फायदेमंद हैं. वे कई नुकसानदायक कीड़ों को खा जाती हैं खासकर मच्छरों, मक्खियों और खटमलों को.
तस्वीर: C.M./Fotolia
उनके बिना कुछ नहीं
कीड़े पत्तियां खाते हैं और काटने वाली मक्खी मच्छर भी. वे फल फूलों, सब्जियों के परागण में मदद करते हैं और अक्सर कचरा भी साफ करते हैं.
तस्वीर: Iryna Novytsky
मेहनती मददगार
फायदा पहुंचाने वाले कीड़ों में सबसे पहला नाम मधुमक्खियों का आता है. वे शहद बनाती हैं और उनके कारण कई फूलों, फलों, सब्जियों में परागण संभव हो पाता है. दुनिया भर में ये कीड़े खतरे में हैं. चीन के कुछ इलाकों में तो ये खत्म हो चुकी हैं. कारण है पौधों पर छिड़की जाने वाली दवाइयां.
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पसंदीदा गुबरैला
रंग बिरंगा यह कीड़ा शायद हम इसलिए पसंद करते हैं कि ये पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े खा जाता है. एक मादा गुबरैला एक दिन में करीब 50 कीड़े खा जाती है और जीवन भर में हजारों.
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खुश किसान
कीड़े और खराब पत्ते खाने के कारण यह फसलों को कीड़े लगने से भी बचाते हैं. ये उन किसानों के बहुत काम आते हैं जो बिना केमिकल के नुकसानदायक कीड़ों से फसलों को बचाना चाहते हैं. .
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परजीवी
स्कॉर्पियन बर्रे भले ही इंसान के लिए नुकसानदायक नहीं हों लेकिन कुछ कीड़ो को ये खत्म कर देते हैं. ये अक्सर पतंगों, गुबरैले के अंदर घुस कर अंडे देते हैं. इसमें से निकलने वाला लार्वा कीड़ों को अंदर से खा कर बाहर आ जाता है.
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हमलावर
ग्राउंड बीटल कहे जाने वाले ये कीड़े उनका शिकार करते हैं जिन्हें हम नहीं चाहते. जैसे लकड़ी में पनपने वाले कीड़े, घोंघा, इल्ली को खा जाते हैं. आलू में होने वाले जिद्दी कीड़ों की भी इनके आगे कुछ नहीं चलती. वे दुनिया भर में पाए जाते हैं और कहीं कहीं इन्हें संरक्षित भी किया गया है.
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काले कीड़े
ये भी एक तरह का बीटल है. पहली नजर में ये रेंगने वाले कीड़े जैसा दिखता है लेकिन इनके पंख छिपे हुए होते हैं. दुनया भर में इसकी 50 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं. जानवरों को ये बार्क बीटल अच्छे लगते हैं.
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शांत दैत्य
इन भौंरों को देख कर डर लगता है लेकिन इनका जहर सामान्य ततैये से बहुत कम होता है. बड़े भौंरे पेड़ों का रस चूसते हैं लेकिन छोटे भौंरे सभी तरह के मांस पर जिंदा रहते हैं. एक दिन में ये आधा किलो तक कीड़े खा जाते हैं.
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जिंदा रहने दें
मकड़ियों से डरें नहीं. उन्हें जिंदा रहने, खुश हों कि वे घर में हैं.