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विद्या की कहानी विद्या की जुबानी

४ मार्च २०१२

अभिनय के जरिए हिंदी फिल्मों में अपनी अलग पहचान बना चुकी विद्या बालन के लिए कोलकाता दूसरे घर की तरह है. उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरूआत इसी महानगर से की.

तस्वीर: Youtube

विद्या बालन को अब तक भले गंभीर किरदार निभाने के लिए सराहना मिली हो, उनकी की पहली पसंद कामेडी है. अपनी पिछली फिल्म द डर्टी पिक्चर में दक्षिण भारतीय सेक्स बम कही जाने वाली सिल्क स्मिथा के किरदार में वाहवाही बटोरनी वाली विद्या को लगता है कि नौ मार्च को रिलीज होने वाली फिल्म कहानी उनके दिल के करीब है. कोलकाता और इसके आसपास घूमती अपनी इस फिल्म के प्रमोशन के लिए यहां पहुंची विद्या ने अपनी पसंद-नापसंद के बारे में बातचीत की.

कहानी की कहानी क्या है?

इसमें मैंने छह महीने की गर्भवती युवती का किरदार निभाया है जो लंदन से अपने पति की तलाश में पहली बार कोलकाता आती है. इस अनजान शहर में उसका कई भी अपना नहीं है. लेकिन यहां लोग हर तरह से उसकी सहायता करते हैं. बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों में यहां आने के बावजूद मेरे किरदार के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती है.

पहले भी आपकी कई फिल्मों की शूटिंग कोलकाता में हुई है और अब कहानी का ज्यादातर हिस्सा भी यहीं शूट किया गया है. क्या फिर यह शहर आपके लिए भाग्यशाली साबित होगा?

कोलकाता हमेशा मेरे लिए भाग्यशाली साबित हुआ है. इस बार भी यही उम्मीद है. यह शहर मेरे दूसरे घर की तरह है. मैंने अपनी पहली फिल्म भालो थेको में यहीं से काम शुरू किया था. शरतचंद्र के उपन्यास पर आधारित परिणीता की भी शूटिंग यहीं हुई थी. इस शहर और यहां के लोगों में बेहद अपनापन झलकता है.

कहानी को लेकर उम्मीदतस्वीर: AP

कहां तो पहले आपके पहनावे पर फब्तियां कसी जाती थीं और अब आपके निभाए हर किरदार को सराहना मिल रही है.

बीच में एक दौर ऐसा आया था जब मुझे काफी कुछ सुनना-सहना पड़ा था. लेकिन मैंने धैर्य बनाए रखा. बाद में संयोग से कुछ ऐसी भूमिकाएं मिलीं जिनमें मुझे अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने का मौका मिला. बस थोड़ी सी मेहनत और थोड़ा भाग्य. दो साल का समय मेरे लिए कठिन था. उसका मेरे जीवन पर असर तो बहुत हुआ. लेकिन इसके लिए मैं किसी को दोष नहीं देती. उस कठिन दौर ने मुझे मानसिक तौर पर मजबूत बनाया और कामयाबी हासिल करने की प्रेरणा दी. अब मैं अपनी भूमिकाओं और फिल्मी दुनिया में अपने मुकाम से खुश और संतुष्ट हूं.

आपको कैसे किरदार पसंद हैं?

वैसे तो मुझे मनोरंजन प्रधान भूमिकाएं पसंद हैं. लेकिन मेरे खाते में गंभीर भूमिकाएं ही ज्यादा दर्ज हैं. मैंने अपने जीवन में अभिनय का कोई पैमाना नहीं बनाया है. मैं तो बस बढ़िया किरदार निभाना चाहती हूं. किरदार ऐसे हों जिनमें कुछ कर दिखाने का मौका हो. इसलिए मैं हर तरह के किरदार के लिए तैयार हूं. वह चाहे निगेटिव ही क्यों न हो. मेरी पिछली कुछ फिल्मों से तो यह साबित हो ही गया होगा. अभिनय करना मेरे बस में है. लेकिन किसी फिल्म की कामयाबी कई बातों पर निर्भर है. उम्मीद है आगे से तमाम बेहतर पटकथाएं और भूमिकाएं मेरे पास आएंगी.

विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म फेरारी की सवारी में आपने पहली बार आइटम डांस भी किया है. क्या तमाम दूसरी हीरोइनों की तर्ज पर ही आपने ऐसा किया है?

मैंने इससे पहले संतोष सिवान की फिल्म में भी एक डांस किया था. लेकिन यह फिल्म खास है. यह डांस कहानी की मांग है. इसमें किसी की नकल जैसी कोई बात नहीं है. यह गाना लोगों को जरूर अच्छा लगेगा. मुझे तो इसी बात का आश्चर्य है कि किसी दौर में डांस की मेरी काबिलियत पर सवाल उठाए जाते थे और अब मुझसे आइटम सांग करने को कहा जा रहा है. इससे लगता है कि मैंने इस मामले में काफी कुछ हासिल किया है. खासकर द डर्टी पिक्टर के बाद मुझमें डांस के प्रति आत्मविश्वास बढ़ा है. अब मुझे डांस अच्छा लगने लगा है.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता

रिपोर्टः आभा एम

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