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विद्रोह में झुलसा यूक्रेन

२८ जनवरी २०१४

कीव शहर एक युद्धभूमि की तरह दिख रहा है. चारों तरफ जले हुए टायरों की काली राख बर्फ से पटी सड़क को मटमैली कर रही है. डिनामो स्टेडियम में कभी 2012 के यूरो कप की बहार थी, आज इसके बाहर अफरा तफरी है.

Ukraine Proteste
तस्वीर: Vinnitsa.info

प्रदर्शनकारी "स्लावा यूक्रेन" (यूक्रेन जिंदाबाद) के नारे लगा रहे हैं. एक नकाबपोश प्रदर्शनकारी बीयर और वोदका की खाली बोतलें जमा कर रहा है. वह इनमें पेट्रोल भर कर मोलोटोव कॉकटेल यानी पेट्रोल बम तैयार कर रहा है. स्टेडियम के पास ही विरोध प्रदर्शनकारी जली हुई पुलिस बसों की आड़ में बैठे हैं. हाथ में डंडे और लोहे की रॉड हैं. सामने दंगारोधी पुलिस भी डटी है. बीच बीच में पथराव होता है. फिर थोड़ी देर की शांति. सर्दी के इस मौसम में यूक्रेन उबल रहा है.

तापमान -15 डिग्री पहुंच चुका है. लेकिन प्रदर्शनकारियों को अपना असलहा चाहिए. सब्बल से फुटपाथ के पत्थर निकाले जा रहे हैं, जिनसे कभी बचाव किया जाता है, तो कभी हमला. इस बात में किसी को शक नहीं कि हालात अभी और बिगड़ सकते हैं लेकिन लोग हिलने को तैयार नहीं. पश्चिमी शहर तेरनोपिल से आए 37 साल के शिक्षक मिखाइल गुरिक कहते हैं, "जब तक जीत नहीं होती, मैं यहीं रहूंगा." 20 और 25 साल के दो प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद माहौल और तल्ख हो गया है. यहां जमा लोगों का दावा है कि उन्हें गोली मारी गई.

अपनों के खिलाफ राष्ट्रपति

गुरिक का कहना है, "राष्ट्रपति यानुकोविच ने अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है." यहां प्रदर्शन कर रहे ज्यादातर लोग मिडिल क्लास के हैं. गुरिक का कहना है कि उनकी पत्नी स्थानीय यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र की शिक्षक हैं और महीने में करीब 480 डॉलर कमा लेती हैं, जो आम यूक्रेनी की तनख्वाह से ज्यादा है.

विपक्ष के नेताओं के साथ बैठक करते राष्ट्रपति यानुकोविचतस्वीर: Reuters

हालांकि ज्यादातर प्रदर्शनकारी दक्षिणपंथी हैं लेकिन गुरिक जैसे लोग भी हैं, जिन्हें इस बात से नाराजगी है कि सरकार उन्हें चरमपंथी बुला रही है. अच्छी तरह से नियंत्रित प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया है, जहां से उन्हें रसद की सप्लाई की जा रही है. यहीं खाना भी बन रहा है. यहीं कुछ घंटे आराम की भी जगह खोजी गई है और फिर भयंकर सर्दी में प्रदर्शन.

कभी लेनिन म्यूजियम रहा यूक्रेनियन हाउस अब चाय बनाने का केंद्र है. औरतें यहां गर्म चाय तैयार कर रही हैं, गर्म उबले आलू मिल रहे हैं और बीच बीच में सैंडविच का दौर भी चल पड़ता है. बैरिकेड लगाए गए हैं, ताकि कीव के स्वतंत्रता चौराहे की रक्षा की जा सके. 2004-05 में यहां नारंगी क्रांति हुई थी. यह जगह यूक्रेन में मैदान के नाम से जानी जाती है. यहां बड़े कंसर्ट भी होते हैं और राजनीतिक गतिविधियां भी.

दो फांक विपक्ष

हालांकि जब बॉक्सर और विपक्षी नेता विटाली क्लिचको लोगों से धैर्य रखने की अपील करते हैं, तो लोगों में उत्साह भरता है. उनकी राष्ट्रपति से बातचीत भी हुई है. विरोधियों में दो धड़े बनते जा रहे हैं. एक तो बातचीत करना चाहता है और दूसरा हर हाल में अपनी मांगें मनवाना चाहता है. 25 साल के एक कार्यकर्ता ने अपना नाम नहीं बताया, लेकिन इरादा जाहिर कर दिया, "मैं यहां लड़ने आया हूं, भाषण सुनने नहीं."

कड़ाके की ठंड के बावजूद डटे हुए प्रदर्शनकारीतस्वीर: Reuters

यहीं पास में पूर्व प्रधानमंत्री यूलिया टिमोशेंको की बड़ी सी तस्वीर लगी है, जिनके नेतृत्व में देश ने नारंगी क्रांति देखी और जो लंबे वक्त से जेल में हैं. यूक्रेन के मौजूदा राष्ट्रपति पर रूस के साथ साठ गांठ का आरोप है. यहां के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार पर रूस का इतना दबाव है कि इस प्रदर्शन को भी मॉस्को में ही होना चाहिए. प्रमुख कार्यकर्ता ओलेकजैंडर डानिल्युक का कहना है, "यह प्रदर्शन रूसियों के खिलाफ नहीं है लेकिन पुतिन और उनके इरादों के खिलाफ है."

एजेए/एमजे (डीपीए)

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