रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के पास शांतिपूर्वक सत्ता हस्तानांतरण का मौका था, लेकिन विपक्षी नेता बोरिस नेम्तसोव की हत्या ने हालात बदल दिए हैं. नेम्तसोव की हत्या के बाद पुतिन देश के अंदर भी दबाव का सामना करेंगे.
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शतरंज के पूर्व विश्व चैंपियन और रूसी विपक्षी नेता गैरी कास्परोव ने वॉशिंगटन में कहा, "मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं है कि रूस पुतिन की बर्बर तानाशाही से निकलकर 10 साल पहले जैसे हल्के उदारवादी हालात देख पाएगा." स्वनिर्वासन के चलते अमेरिका में रहने वाले कास्परोव ने बोरिस नेम्तसोव की हत्या को रूसी समाज के लिए एक बड़ा झटका बताया.
क्रेमलिन के पास हत्या
नेम्तसोव की शुक्रवार रात मॉस्को में रूसी संसद के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई. 55 साल के नेम्तसोव भ्रष्टाचार और सरकार की नीतियों का खुलेआम विरोध करते रहे. 1990 के दशक में बोरिस येल्तसिन के कार्यकाल में वह रूस के उप प्रधानमंत्री भी रहे. एक वक्त ऐसा था जब उन्हें रूस का भावी राष्ट्रपति माना जा रहा था.
रविवार को उनकी हत्या के विरोध में मॉस्को में प्रदर्शन हुए. हत्या से पहले नेम्तसोव ने क्रेमलिन के सामने प्रदर्शन की योजना बनाई थी. सोमवार को नेम्तसोव को याद करते हुए यह प्रदर्शन हुआ. नेम्तसोव रूस के उन गिने चुने दिग्गजों में से एक थे, जो विरोध के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाने की वकालत करते थे.
नेम्तसोव की हत्या के विरोध में प्रदर्शनतस्वीर: Yuri Kadobnov/AFP/Getty Images
किसने की हत्या
प्रशासन ने हत्या के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है. अधिकारियों के मुताबिक नेम्तसोव की "शहादत" की आड़ में विपक्ष "बिखरे आंदोलन को एक" करना चाह रहा है.
वहीं विरोधियों ने हत्या के लिए रूसी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. कास्परोव के मुताबिक विपक्ष के लिए यह हत्या एक साफ संकेत है, प्रशासन जता रहा है कि "हम तु्म्हें सजा देने में समय बिल्कुल बर्बाद नहीं करेंगे. यह बिल्कुल नहीं जताएंगे कि हम कानून का पालन कर रहे हैं. हम आराम से तुम्हें मिटा देंगे."
फ्रांस ने हत्या की जांच कराने की मांग की है. फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरें फाबियुस के मुताबिक नेम्तसोव की हत्या "कई सवालों की श्रृंखला उठाती है."
क्रेमलिन के पास रूसी सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Yuri Kadobnov/AFP/Getty Images
पुतिन को झटका
आम तौर पर रूस के मामलों में चुप रहने वाले चीनी मीडिया ने भी नेम्तसोव की हत्या को व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका करार दिया है. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा, "इस घटना ने रूस की राष्ट्रीय एकता पर गहरा आघात किया है और इस मुश्किल मुद्दे को हल कर रही रूसी सरकार पर और दबाव बढ़ा दिया है."
सोमवार को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और रूसी विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव की बातचीत भी हुई. दोनों नेताओं ने मीडिया के कैमरों के सामने हाथ तो मिलाए लेकिन चेहरे पर औपचारिक मुस्कान भी नहीं थी. 80 मिनट तक चली बातचीत में केरी ने लावरोव के सामने सख्त लहजे में यूक्रेन और नेम्तसोव का मुद्दा उठाया.
ओएसजे/आरआर (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)
यूक्रेन संघर्ष: जान बनाम जज्बात
फोटो जर्नलिस्ट फिलिप वारविक ने यूक्रेन में छिड़े संघर्ष की कुछ जबरदस्त तस्वीरें खींची हैं. इन तस्वीरों में यूक्रेन के संघर्ष को मानवीय नजरिए से दिखाया गया है.
तस्वीर: Filip Warwick
डेबाल्टसेव से बाहर
यूक्रेन के सैनिकों ने डेबाल्टसेव शहर को अजीब मनोस्थिति के साथ छोड़ा. यह शहर रूस समर्थक विद्रोहियों के नियंत्रण में जा चुका है. वहां से वापस लौटते हुए एक यूक्रेनी सैनिक ने कहा, "मैं कभी नहीं भूलूंगा कि हमने उसे वहां छोड़ दिया."
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खुशी के आंसू
डेबाल्टसेव से 50 किलोमीटर दूर आने के बाद यूक्रेन के सैनिकों ने एक दूसरे को गले लगाया. कुछ तो बारूदी सुरंगों से बचने के लिए यहां तक पैदल आए. 15-20 किलोमीटर पैदल चलने के बाद आर्तेमिव्सक पहुंचे एक सैनिक ने कहा, "उन्होंने हमें घेर लिया था. हमारा गोला बारूद भी बहुत कम बचा था. हम बड़ी मुश्किल से भागे."
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जिंदा हूं मैं
आर्तेमिव्सक के बाहरी इलाके में पहुंचकर एक यूक्रेनी सैनिक ने बस स्टॉप पर कुछ देर आराम किया और अपने परिवारजनों को टेलीफोन किया. संघर्ष के दौरान दोस्तों और परिवार से संपर्क करना मुश्किल था.
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जो बिछड़ गए
यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने बुधवार को बताया कि डेबाल्टसेव से वापसी के दौरान छह सैनिक मारे गए. आर्तेमिव्सक में एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर बाद तक 30 शव आए. डर है कि यह सिससिला जारी रहेगा.
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सोच में डूबे
रास्ते में रुका यूक्रेनी सेना का काफिला. एक ट्रक का सामने वाला शीशा बदला जा रहा है. इसी दौरान एक युवा सैनिक सोच में डूबा है. यूक्रेन के सैनिक डेबाल्टसेव से वापसी के लिए सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार मान रहे हैं.
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सुरक्षा के लिए वापसी
डेबाल्टसेव छोड़ती हुई यूक्रेन की सेना. अब इलाके में नई सुरक्षा रेखा बनाई जाएगी. रक्षा तंत्र नए सिरे से खड़ा किया जाएगा. लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि रूस समर्थक विद्रोही आर्तेमिव्सक की तरफ बढ़ते रहेंगे.
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अपने ही देश में शरणार्थी
अलेक्जांड्रा इवानोवना और उनका परिवार डेबाल्टसेव के यूक्रेनी चेकप्वाइंट से 35 किलोमीटर दूर है. वे दूसरे इलाके की तरफ जा रहे हैं. जान बचाने के लिए उन्होंने दो हफ्ते पहले घर छोड़ा. उनके साथ एक बच्चा और तीन हफ्ते का एक शिशु. अलेक्जांड्रा पूछती हैं, "हम कहां जाएं?"
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जान बनाम जज्बात
डेबाल्टसेव से 10 किलोमीटर दूर बसे लुगांस्क में हाल ही में बमबारी हुई. गेनादिय यहीं रहते हैं. उनके मुताबिक यहां कई लोग मारे गए. उनके घर वाली सड़क पर अब कोई और नहीं रहता. वो घर, बकरियां और अपनी गाय नहीं छोड़ना चाहते. थोड़ी बहुत आय दूध बेचकर होती है.
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खंडहर बनती इमारतें
पॉलिथीन शीट से ढंकी गई ये इमारत लुगांस्क के स्कूल की है. बच्चे अब यहां नहीं आते. एक टीचर जब यहां आईं और उन्होंने इमारत को इस हाल में देखा.
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मलबा ही मलबा
कुछ कक्षाओं में बच्चों की बनाई पेटिंग्स देखी जा सकती है. कभी बच्चों की चहचहाट से गूंजने वाले इस स्कूल में सन्नाटा पसरा है. मतबे के साथ साथ यूक्रेनी सेना के टिन और खाली फूड कैन बिखरे हैं.
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पाठशाला उजड़ी
स्कूल के स्पोर्ट्स हॉल के बीचों बीच एक पिंग पॉग टेबल. यहां खेलने वाले ज्यादातर बच्चे अब इलाका छोड़कर जा चुके हैं.