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वियना से आंखों देखी

शिवप्रसाद जोशी, वियना२६ मई २००९

ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना की आम हलचल ने उस समय नई करवट ली, जब 24 मई के दिन संत रविदास गुरु सभा के गुरुद्वारा में हिंसा और ख़ून ख़राबा हो गया. भारत से आए दो संत गोलियों का निशाना बने.

ख़ूनख़राबे से स्तब्ध लोगतस्वीर: picture alliance/dpa

इनमें से संत रामानंद नहीं रहे और सभा के प्रमुख संत निरंजन दास अस्पताल में भर्ती हैं. वियना के हानूश अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. उनकी सेहत के बारे में परस्पर विरोधी ख़बरें उनके अनुयायियों में हैं.

कुछ लोगों का कहना है कि उनकी हालत पहले से बेहतर है, कुछ कहते हैं हालत स्थिर बनी हुई है. डेरा सच खंड नाम के सिखों के इस पंथ के प्रमुख गुरु वही हैं. और वियना से लेकर उत्तर भारत के कई हिस्सों तक उनकी हालत को लेकर डेरे से जुड़े लोगों में चिंता बनी हुई है.

गुरुद्वारे के आगे कड़ी सुरक्षातस्वीर: AP

वियना के हानूश अस्पताल के बाहर पुलिस का पहरा है. डेरा सच खंड से जुड़े लोग और वियना में रहने वाले दूसरे भारतीय अस्पताल के बाहर जमा हैं. लेकिन उनके साथ कुछ तेज़तर्रार नौजवान भी हैं जो फोटो खींचने से मना करते हैं और बात तो कतई नहीं करते. जर्मन रेडियो डॉयचे वेले जब इन लोगों की प्रतिक्रिया लेने पहुंचा तो इन लोगों में से कुछ पहले तैयार हो गए लेकिन बाद में एक गुट ने आकर बातचीत बंद करा दी. कहा कि अभी बोलना ठीक नहीं.

उनके तेवरों से लगता था कि वो कितना आक्रोश में हैं. उनका आक्रोश मीडिया पर भी था. वियना के लोकल अख़बारों में इस घटना को ज़ोरशोर से पेश किया जा रहा है, एक अख़बार में तो इस हिंसा का हवाला देते हुए आतंकवाद शब्द तक का इस्तेमाल किया गया है. इससे लोगों में नाराज़गी है. भारत में भी मीडिया की कवरेज से ये लोग संतुष्ट नहीं.

नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर एक व्यक्ति ने कहा कि भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि ये सिखों का आपसी संघर्ष है. जबकि ऐसा नहीं है. उस व्यक्ति का कहना है कि ये सिखों की एकता को तोड़ने की साज़िश है और कुछ लोगों ने ग़लत इरादे से संत रविदास गुरु सभा के संतों को निशाना बनाया.

हानूश अस्पताल में संत की हालत के बारे में जानने के लिए अनुयायियों का तांता लगा है. लेकिन किसी को फ़िलहाल उनसे मिलने की इजाज़त नहीं है. बाहर जमा उनके अनुयायियों में से एक ने अपना नाम बताने से मना किया और कहा कि दूतावास के अधिकारी लगातार अस्पताल के संपर्क में हैं और उन्हें ये बताया गया है कि संत निरंजन दास की हालत कुछ ठीक है, लेकिन वो अनुयायी ये जोड़ना नहीं भूलता कि इस कुछ ठीक का क्या मतलब है. बहरहाल कई लोग लगातार फोन पर व्यस्त हैं और उनके हावभाव से समझा जा सकता है कि उनके पास भारत की ख़बरें भी आ रही हैं.

हरियाणा तक पहुंचीं लपटेंतस्वीर: UNI

उधर वियना में मीडिया और आम लोगों की दिलचस्पी का केंद्र बनी हुई है एक एशियन शॉप. इंडियन कल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन कुमार की इस दूकान में पिछले दो दिन में कई मीडिया वाले आए हैं. पवन सिर्फ़ इतना ही कहते हैं कि जो हुआ ग़लत हुआ, इससे भारत का नाम ख़राब हो रहा है.

कमोबेश यही राय वियना में बसे दूसरे भारतीयों की भी है , लेकिन डेरा सच खंड से जुड़े लोग व्यथित हैं और अंदरखाने भारी गुस्से में हैं. अस्पताल के बाहर एक शख़्स ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि कोई मीडिया वाला ये नहीं पूछ रहा कि ग़लती किसकी थी.

ख़ैर, उसकी भावनाएं समझी जा सकती हैं. लेकिन डॉयचे वेले ने इस बारे में सिख समुदाय से जुड़े कुछ लोगों से वियना में बात की और सबकी अलग अलग राय थी. कुछ का कहना था कि ताली एक हाथ से नहीं बजती. कुछ ये कहते हैं कि गुरु ग्रंथ साहिब के समांतर किसी जीवित इंसान के पांव छूने की परंपरा गलत है. कुछ ये कहते हैं कि इसमें क्या ग़लत है. एक तबक़ा इस शहर में ऐसा भी है, जो कहता है कि इन बातों से क़ौम का क्या भला हो रहा है.

वियना में तीन गुरुद्वारे हैं. तीन साल पहले ये गुरुद्वारा बना था. जो रूडोल्फ्शहाइम क़स्बे की पेट्ज़ग्रास सड़क पर है. वहां फिलहाल सन्नाटा पसरा है और पुलिस वाले तैनात हैं. अंदर जाने की मनाही है. बताया ये गया है कि वहां इस घटना के बाद से कोई प्रार्थना या सभा भी नहीं हो पायी है.

वियना का प्रमुख और सबसे बड़ा गुरुद्वारा, लांडोबारडन सड़क पर है, जो करीब 15 से 20 साल पहले बनाया गया था. एक और गुरुद्वारा माइडलिंग क़स्बे के पास है. वियना में क़रीब 3,000 सिख रहते हैं.

लेकिन इस वारदात ने दुनिया भर में सिखों और इस डेरे से जुड़े अनुयायियों का ध्यान खींचा है. बताया गया है कि अमेरिका, कनाडा, इटली और जर्मनी जैसे देशों से डेरे से जुड़े लोग वियना पहुंचे हुए हैं. सब लोग फ़िलहाल दो दिन से अस्पताल के बाहर जमा हैं. इनमें अलग अलग समुदायों के लोग हैं जो डेरा सच खंड को मानने वाले हैं.

रही बात वियना के आम लोगों की, तो ज़्यादातर लोग इस घटना से सहमे हुए हैं. और भारत को लेकर उनके ज़ेहन में जो छवि रही है उसमें ये वाक़या भी शिद्दत से शामिल हो गया है. डॉयचे वेले ने कुछ लोगों की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उनका कहना था कि ये एक बहुत ख़राब और भयानक बात है कि किसी की जान ले ली जाए. अखबारों में छपी खबरों के हवाले से वे उलटा सवाल करते हैं कि ये छोटे बड़े का झगड़ा क्योंकर है.

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