विवादों के बीच जर्मन सेना का हेनेल राइफल खरीदने का फैसला
१५ सितम्बर २०२०
हथियारों की खरीद का मामला हर देश में मुश्किल होता है. जर्मनी ने भी सालों तक तलाश की और अब सेना के लिए नई असॉल्ट राइफल चुनी है. 1959 के बाद पहली बार सैनिकों को नई राइफलें मिलेंगी.
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जर्मन सेना बुंडेसवेयर के लिए नई असॉल्ट राइफल पूर्वी जर्मन प्रांत थुरिंजिया की कंपनी सीजी हेनेल बनाएगी. यह बहुत महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि सैनिकों को मिलने वाली राइफल को स्टैंडर्ड हथियार या जवानों की दुल्हन कहा जाता है जो हमेशा उनके साथ होती है. सालों तक चली चुनाव प्रक्रिया के बाद इस कंपनी को चुने जाने की घोषणा मंगलवार को रक्षा मंत्रालय ने की. ये फैसला अभी अंतिम नहीं है क्योंकि बोली में हारी कंपनी हेकलर एंड कॉख को रक्षा मंत्रालय के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करने का अधिकार है. सेना के लिए 120,000 राइफलें खरीदी जाएंगी जिनकी कीमत करीब 25 करोड़ यूरो होगी. खरीदारी के लिए धन बजट से आएगा और आखिरी फैसला जर्मन संसद में होगा.
थुरिंजिया की हेनेल कंपनी हेकलर के मुकाबले छोटी कंपनी है और वह जूल शहर की परंपरागत हथियार बनाने वाली कंपनी के पुनर्गठन से बनी है. 2017 में जब नई राइफलों की खरीद के लिए बोली शुरू हुई तो उसे सबसे कम गंभीर उम्मीदवार माना गया था. अब तीन साल बाद टेस्ट परीक्षणों और कीमत में उसकी बोली बाजी मार ले गई है. हेकलर एंड कॉख कंपनी जी36 राइफल बनाती है जो इस समय जर्मन सेना के पास है. 2012 में मौसम की कठिन परिस्थितियों में उसका निशाना अचूक न होने को लेकर सवाल उठे थे. तत्कालीन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन ने 2015 में कहा था कि जी36 जिस तरह से इस समय बना है, उसका सेना में कोई भविष्य नहीं है. जवानों के बीच ये हथियार अभी भी लोकप्रिय है.
कंपनी ने पिछले साल भावी हथियार की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे और रक्षा मंत्रालय की आलोचना भी की थी. सैनिक हथियारों की गुणवत्ता के मामले में उनका भार, लंबाई, गोली और निशाने तकनीकी रूप से बहुत जटिल मामले होते हैं. गोलियों का कैलिबर उसकी घातक क्षमता तय करता है लेकिन उसके भार की वजह से यह भी तय होता है कि कोई सैनिक अपने साथ कितनी गोलियां लेकर चल सकता है. टेंडर में कैलिबर के बदले सिर्फ भार दिया गया था लेकिन सेना ने यह जरूर कहा था कि उसे हर क्लाइमेट जोन में काम करने लायक होना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय मिशनों में जर्मन सेना की तैनाती को देखते हुए यह शर्त बहुत महत्वपूर्ण है.
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हथियारों की सबसे बड़ी दुकान है अमेरिका
दुनिया में हथियारों की खरीद बिक्री पर नजर रखने वाले इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया है कि 2013-17 के बीच हथियारों की बिक्री 10 फीसदी बढ़ गई है. देखिए दुनिया में हथियारों के बड़े दुकानदार और खरीदार देशों को.
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संयुक्त राज्य अमेरिका
हथियारों के सौदागर के रूप में सबसे आगे चलने वाले अमेरिका ने अपनी बढ़त और ज्यादा कर ली है. बीते पांच सालों में दुनिया में बेचे गए कुल हथियारों का करीब एक तिहाई हिस्सा यानी करीब 34 फीसदी अकेले अमेरिका ने बेचे. अमेरिकी हथियार कम से कम 98 देशों को बेचे जाते हैं. इनमें बड़ा हिस्सा युद्धक और परिवहन विमानों का है.
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सऊदी अरब
अमेरिका अपने हथियारों का करीब आधा हिस्सा मध्यपूर्व के देशों को बेचता है और करीब एक तिहाई एशिया के देशों को. सऊदी अरब मध्य पूर्व में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियार का करीब दसवां हिस्सा सऊदी अरब को जाता है. सऊदी अरब हथियारों की दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है. अमेरिका के 18 फीसदी हथियार सऊदी अरब खरीदता है.
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रूस
अमेरिका के बाद हथियार बेचने वालों में दूसरे नंबर पर है रूस. बेचे गए कुल हथियारों में 20 फीसदी रूस से निकलते हैं. रूस दुनिया के 47 देशों को अपने हथियार बेचता है साथ ही यूक्रेन के विद्रोहियों को भी. रूस के आधे से ज्यादा हथियार भारत, चीन और विएतनाम को जातें हैं. रूस के हथियार की बिक्री में 7.1 फीसदी की कमी आई है.
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फ्रांस
हथियारों बेचने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है फ्रांस. कुल हथियारों की बिक्री में उसकी हिस्सेदारी 6.7 फीसदी की है. फ्रांस ने हथियारों की बिक्री में करीब 27 फीसदी का इजाफा किया है और वह दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश बन गया है.
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जर्मनी
फ्रांस के बाद जर्मनी का नंबर आता है. बीते पांच सालों में जर्मनी की हथियार बिक्री में कमी आई है बावजूद इसके वह चौथे नंबर पर काबिज है. जर्मनी ने मध्य पूर्व के देशों को बेचे जाने वाले हथियारों में करीब 109 फीसदी का इजाफा किया है.
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चीन
अमेरिका और यूरोप के बाद हथियार नियातकों में नंबर आता है चीन का. बीते पांच सालों में उसके हथियारों की बिक्री करीब 38 फीसदी बढ़ी है. चीन के हथियारों का मुख्य खरीदार पाकिस्तान है. हालांकि इसी दौर में अल्जीरिया और बांग्लादेश भी चीन के हथियारों के बड़े खरीदार बन कर उभरे हैं. चीन ने म्यांमार को भी भारी मात्रा में हथियार बेचे हैं.
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इस्राएल
हथियारों की एक बड़ी दुकान इस्राएल में है. बीचे पांच सालों में उसने अपने हथियारों की बिक्री करीब 55 फीसदी बढ़ाई है. इस्राएल भारत को बड़ी मात्रा में हथियार बेच रहा है.
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दक्षिण कोरिया
हथियारों के कारोबार में अब दक्षिण कोरिया का भी नाम लिया जाने लगा है. उसने अपने हथियारों की बिक्री बीते पांच सालों में करीब 65 फीसदी बढ़ाई है.
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तुर्की
इस दौर में जिन देशों के हथियारों की बिक्री ज्यादा बढ़ी है उनमें तुर्की भी शामिल है. उसने हथियारों का निर्यात 2013-17 के बीच करीब 165 फीसदी तक बढ़ा दिया है.
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भारत
हथियारों के खरीदार देश में भारत इस वक्त सबसे ऊपर है. दुनिया में बेच जाने वाले कुल हथियारों का 12 फीसदी भारत ने खरीदे हैं. इनमें करीब आधे हथियार रूस से खरीदे गए हैं. भारत ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी भी बढ़ा दी है इसके अलवा फ्रांस और इस्राएल से भी भारी मात्रा में हथियार खरीदे जा रहे हैं.
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पाकिस्तान
पाकिस्तान के हथियारों की खरीदारी में कमी आई है. फिलहाल दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियारों का 2.8 फीसदी पाकिस्तान में जाता है. पाकिस्तान ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी काफी कम कर दी है.
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जर्मन रक्षा मंत्रालय का कहना है कि हेनेल के हथियार तकनीकी टेस्ट में थोड़े बेहतर थे और उनका ऑफर किफायती भी था. हेनेल कंपनी मेर्केल ग्रुप की कंपनी है जो संयुक्त अरब अमीरात की तवाजुन होल्डिंग का हिस्सा है. इस कंपनी को 2008 में फिर से शुरू किया गया. मूल कंपनी कार्ल गॉटलीब हेनेल ने हथियारों के औद्योगिक उत्पादन के लिए 1840 में बनाई थी.
अब तक हेकलर एंड कॉख कंपनी सेना को असॉल्ट राइफल की सप्लाई करती थी. रक्षा मंत्रालय के फैसले के सामने आने के बाद कंपनी के बहुमत शेयरहोल्डर आंद्रेयास हीशेन ने इस फैसले पर अफसोस जताया और कर्मचारियों को लिखा, "रक्षा मंत्रालय 60 साल बाद हेकलर एंड कॉख को भावी राइफल का ऑर्डर नहीं दे रहा है." अब तक सेना की असॉल्ट राइफल की सप्लाई करने वाली कंपनी के लिए यह गहरा धक्का है. कंपनी कर्ज में डूबी है, उसका सालाना कारोबार 24 करोड़ यूरो (2019) का है जबकि उस पर 25 करोड़ की देनदारियां हैं. हालांकि दो साल तक घाटे में रहने के बाद उसने फिर से मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है.
बाडेन वुर्टेमबर्ग के ओबर्नडॉर्फ में स्थित कंपनी में 910 लोग काम करते हैं, जिनमें 85 अमेरिका में हैं जहां हेकलर एंड कॉख का पिस्तौलों का एसेंबली प्लांट है. पिछले दिनों में अमेरिकी बाजार का महत्व कंपनी के लिए बढ़ा है. वहां उसका एक चौथाई कारोबार हो रहा है. कंपनी की एक तिहाई कमाई अब भी जर्मनी में हो रही है जहां जर्मन सेना के अलावा वह पुलिस को भी हथियारों की सप्लाई करती है.
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ऑस्ट्रेलिया ने खरीदी सबसे घातक पनडुब्बी
ऑस्ट्रेलिया 36 अरब डॉलर में फ्रांस से 12 नई पनडुब्बियां खरीद रहा है. पनडुब्बी कंपनी का दावा है कि यह अब तक की सबसे घातक पनडुब्बियां हैं.
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छोटे फिन वाली किलर
बीते दो दशकों से ऑस्ट्रेलिया अपनी समुद्री सीमा की हिफाजत के लिए छह डीजल पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन भविष्य में इन घरेलू पनडुब्बियों की छुट्टी कर दी जाएगी. उनकी जगह लेटेस्ट तकनीक वाली फ्रांस की ब्लैकफिन बाराकुडा पनडुब्बियां लेंगी.
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पानी में खामोश
डीसीएनएस कंपनी के मुताबिक बाराकुडा इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे ताकतवर पारंपरिक पनडुब्बी है. यह मशीन वॉटर जेट की मदद से चलती है. समुद्री दानव कही जाने वाली बाराकुडा बहुत ही खामोशी से पानी में आगे बढ़ती है. युद्ध की स्थिति में इसके हाइड्रोजेट इंजन इसे बेहद चपल शिकारी बना देते हैं.
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युद्ध की तकनीक
बाराकुडा में सबसे एडवांस नेवीगेशन टेक्नोलॉजी लगी है. तकनीकी कुशलता के चलते ही ऑस्ट्रेलिया ने बाराकुडा को चुना.
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मशीन एक, काम अनेक
डीसीएनएस के मुताबिक बाराकुडा में एक टॉरपीडो लॉन्चर सिस्टम भी है जो पानी के भीतर से 1,000 की दूरी पर क्रूज मिसाइलें फायर कर सकता है. पनडुब्बी का इस्तेमाल दूसरी पनडुब्बियों और युद्धपोतों के खिलाफ भी किया जा सकता है. खुफिया जानकारी जुटाने और स्पेशल ऑपरेशन में भी इसे लगाया जा सकता है.
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डीजल फ्यूल
फिलहाल फ्रेंच नौसेना बाराकुडा पनडुब्बियां इस्तेमाल करती है. वह इन्हें परमाणु ईंधन से चलती है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया इन्हें पारंपरिक डीजल फ्यूल से चलना चाहता है. पनडुब्बियों में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन 1.5 अरब डॉलर का हथियार सिस्टम लगाएगी.
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एडिलेड का शिपयार्ड
समझौते के मुताबिक डीसीएनएस अगले 30 साल में 12 बाराकुडा पनडुब्बियां बनाएगा. पनडुब्बियां एडिलेड के शिपयार्ड में बनाई जाएंगी. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और सॉफ्टवेयर अमेरिका से आएगा.
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जटिल इंजीनियरिंग
बाहर से एक पीस लगने वाली बाराकुडा 3,50,000 पुर्जों और पार्ट्स से मिलकर बनेगी. इसकी क्राफ्टिंग दुनिया के सबसे बड़ी विमान ए380 से भी मुश्किल है. ए380 में 1,00,000 पुर्जे और पार्ट्स होते हैं.