फ्रांस की पत्रिका शार्ली एब्दो एक बार फिर सुर्खियों में है. ठीक एक साल पहले पेरिस में पत्रिका के दफ्तर पर आतंकी हमला हुआ था. अब इस हमले की पहली बरसी पर पत्रिका ने फिर एक ऐसा कार्टून छापा है जिस पर नाराजगी जताई जा रही है.
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शार्ली एब्दो ने पत्रिका का स्पेशल एडिशन निकाला है. काले और सफेद रंग के कवर पेज पर जो कार्टून बना है वह कथित रूप से भगवान का बताया जा रहा है. कार्टून में दाढ़ी मूंछ वाला एक बूढ़ा व्यक्ति बना है, जिसकी कमर पर एके47 बंधी है, पैरों में चप्पलें हैं और कपड़ों पर लहू लगा है. वह पीछे देख कर भागता हुआ नजर आ रहा है और ऊपर शीर्षक है, "एक साल बाद, कातिल अब भी हाथ नहीं लगा है." इस एडिशन की दस लाख प्रतियां छापी गयी हैं और हजारों को विदेशों में भी भेजा जा रहा है.
वैटिकन ने इस कार्टून की निंदा करते हुए लिखा है, "हठीले धर्मनिरपेक्षवाद का मायावी झंडा लिए फ्रांस की यह पत्रिका एक बार फिर भूल रही है कि हर धर्म के नेता बार बार यह दोहराते रहे हैं कि धर्म के नाम पर हिंसा गलत है, जैसा कि पोप फ्रांसिस ने भी कई बार जोर दे कर कहा है, नफरत को सही ठहराने के लिए भगवान का इस्तेमाल करना सही मायनों में ईशनिंदा है." वैटिकन ने अपने अखबार में आगे लिखा है, "शार्ली एब्दो का फैसला एक दुखद विरोधाभास है, वह भी एक ऐसी दुनिया में, जहां राजनीतिक रूप से सही होने को बेहूदगी की हद तक अहमियत दी जाती है, लेकिन फिर भी वह लोगों की भगवान में आस्था को ना ही स्वीकारना चाहता है और ना ही उस विश्वास की इज्जत करना चाहता है, फिर चाहे मानने वाले किसी भी धर्म के क्यों ना हों."
फ्रांस में आयोजन
इस बीच फ्रांस में आतंकी हमलों की बरसी पर एक हफ्ते तक आयोजन चल रहे हैं. मारे गए लोगों के परिवार की उपस्थिति में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने मंगलवार को शार्दी एब्दों के पुराने दफ्तर पर एक स्मारक पट्टिका का उद्घाटन किया जिस पर मारे गए लोगों के नाम लिखे थे. 10 जनवरी को पेरिस के रिपब्लिक प्लाजा पर एक और समारोह होगा. पेरिस के मेयर ने घोषणा की है कि इस समारोह के दौरान "यादगार का एक पेड़" लगाया जाएगा. मारे गए लोगों को फ्रांस की सबसे बड़ी उपाधि "लीजन ऑफ ऑनर" भी दिया गया है.
7 से 9 जनवरी तक हुए हमलों में पिछले साल 17 जानें गयीं थीं. इसके बाद से " जे सुई शार्ली" के नारे के साथ दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए एकजुटता दिखाई दी. ये हमले व्यंग्य पत्रिका के पत्रकारों के अलावा यहूदियों पर केंद्रित थे. पेरिस में रहने वाले यहूदियों का कहना है कि वे आज भी खुद को शहर में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. हमले से बच कर निकलने वाली एक निवासी ने बताया, "मैं यहां बिलकुल भी सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं. यहूदी होने के कारण हमें बार बार निशाना बनाया जाता है. और यह देश तो वैसे भी जिहादियों के निशाने पर है." 13 नवंबर 2015 को एक बार फिर पेरिस में आतंकी हमले हुए, जिसके बाद फ्रांस ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ युद्ध की घोषणा की.
आईबी/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)
पेरिस: कलाकारों की एकजुटता
पेरिस पर आतंकी हमलों के बाद ही शुरु हुई एकजुटता की घोषणा. इस मौके पर इस जिंदादिल शहर के साथ एकजुटता में चले हैशटैग में एक था, "मैं पेरिस हूं". कलाकारों ने एकजुटता और प्रतिरोध की भावना के इजहार में स्केच या ड्रॉइंग बनाया.
तस्वीर: Twitter/ @CoralieMensa/Pierro Mensa
तस्वीरों के बदले लोगो
पेरिस का आइफेल टॉवर शांति का प्रतीक बना. जाँ जूलिएन की ड्रॉइंग सोशल मीडिया पर तेजी से फैली. हमले की तस्वीरों के बदले .ये लोगो भेजकर एकजुटका का आह्वान किया गया. लोग अब इसे अपनी टी शर्ट, शरीर और घरों पर दिखा रहे हैं.
तस्वीर: Facebook/Jean Jullien
जिंदादिली की नाम है पेरिस
पेरिस के प्रसिद्ध कॉमिक्स आर्टिस्ट योहान्न फार ने पेरिस हमलों पर तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई. अपने इंस्टाग्राम अकाउंट (https.://instagram.com/joannsfar/) पर उन्होंने पेरिस का मतलब जिंदादिली #Parisisaboutlife का संदेश दिया.
तस्वीर: Instagram/Joann Sfar
खून में डूबी फ्रांस की राजधानी
पेरिस के कैरिकेचर आर्टिस्ट #Baudry ने लिखा, "पेरिस उनकी मनोकामना सफल न होने दो." अपनी कलाकृति में उन्होंने पेरिस को खून के तालाब में बदल दिया है जिसे सेन नदी बांट रही है. पेरिस का गुस्सा नाम की यह तस्वीर प्रतिरोध का भी प्रतीक है.
तस्वीर: Twitter/@cyrilrtour/@hervebaudry
खून में सना राष्ट्रीय ध्वज
कैरिकेचर कलाकार कार्लोस लाटुफ की ड्राइंग भी हैशटैग #JeSuisParis के साथ हमले के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी. फ्रांस का लाल, सफेद और नीले रंग का राष्ट्रीय झंडा आतंकी हमले के शिकारों के खून से सन गया.
तस्वीर: Twitter/@ClaudeGaignard/@LatuffCartoons
खतरे में आइफेल टॉवर
पेरिस का सबसे जाना माना प्रतीक है आइफेल टॉवर. मारियान कामेंस्की की ड्रॉइंग में इसे आईएस के हमले का निशाना दिखाया गया. तस्वीर में अलादीन और उसके चिराग का संकेत है. लेकिन इस बार आईएस ने चिराग से जिन्न को बाहर निकाल टॉवर को अपने घेरे में लिया है.
तस्वीर: Twitter/@DonzelliX/@MarianKamensky1
शोक का प्रतीक
कलाकार चाउनी के एक संदेश में देश को शोक में एकजुट और पृष्ठभूमि में चांद को चमकता दिखाया गया है. महिला ने लाल रंग की जैकोबिन टोपी पहन रखी है. यह टोपी 18वीं सदी में फ्रांस की क्रांति के समय विद्रोह का प्रतीक थी.
तस्वीर: Twitter/@Zeli50/Chaunu
आजादी पर हमला
@Elinoux ने फ्रांस गणतंत्र के महत्वपूर्ण किरदार मारिएन की तस्वीर बनाई. लोगों को नेतृत्व देती आजादी नाम की पेंटिंग ने इस किरदार को अमर कर दिया है. तस्वीर में मारिएन को रोते हुआ दिखाया गया है.
तस्वीर: Twitter/@Elinoux
ड्रॉइंग में शोक
ब्रायन सेंटपॉल ने विभिन्न सोशल मीडिया साइट पर यह ड्रॉइंग पोस्ट की और इनमें अलग अलग हैशटैग का इस्तेमाल किया गया. यह ड्राइंग इस बात का प्रतीक है आतंकी हमलों के बाद स्थिति कितनी उलझन भरी थी.
तस्वीर: Twitter/@Elinoux
दुनिया भर में एकजुटता
दुनिया भर के शहरों के साथ फ्रांस के दक्षिणी शहर मार्शे ने भी पेरिस के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है. इस शहर में बहुत से अरब आप्रवासी रहते हैं. @Pierromensa ने तस्वीर बनाई "दादी पेरिस के बारे में सोचती है."