दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के लिए यह बेहद शर्मिंदगी की घड़ी है क्योंकि भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान के कंधों पर सवार होकर उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से 67 पर जीत हासिल करके कीर्तिमान स्थापित किया था और अब उन्हीं की पार्टी के 20 विधायकों की भ्रष्ट आचरण के कारण सदस्यता रद्द होने जा रही है. निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दी है और उनकी स्वीकृति मिलने में कोई संदेह नहीं है. इसके पहले उनके कुछ मंत्रियों को फर्जी डिग्री आदि के आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था.
दरअसल केजरीवाल ने अपनी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था. जब इस पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने हो-हल्ला मचाया तो विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करके इस पद को लाभ के पद की सूची से निकाल दिया. लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी. इसके बाद इन विधायकों ने यह पद छोड़ दिया पर विवाद बना रहा और दिल्ली हाईकोर्ट और निर्वाचन आयोग तक पहुंचा. अब आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है.
फंस गए आप के 20 विधायक
ब्रिटेन में यह संसदीय परंपरा है कि सांसदों को लाभ के पद पर बैठने की अनुमति नहीं है. जब भी वहां कोई नया पद बनाया जाता है, उसके बारे में बाकायदा कानून बना कर स्पष्ट किया जाता है कि वह लाभ का पद है या नहीं. लेकिन भारत में इस परंपरा को तो अपनाया गया पर लाभ के पद की परिभाषा को अस्पष्ट छोड़ दिया गया. 1959 में बने एक कानून में उन पदों की एक सूची है जिन्हें लाभ का पद नहीं माना गया है. यानी जो पद इस सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें लाभ का पद माना जा सकता है.
2005 में इसी आधार पर समाजवादी पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन की सदस्यता समाप्त की गयी थी क्योंकि वे उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की अध्यक्ष भी थीं. 2006 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर फिर से चुनाव लड़ कर संसद में आने का कदम उठाया था क्योंकि भाजपा ने इस मुद्दे पर संसद की कार्यवाही ठप्प करनी शुरू कर दी थी क्योंकि वे राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् की अध्यक्ष भी थीं और उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल था. इसके बाद तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने क़ानून में संशोधन किया था.
लाभ के पद के बारे में वर्तमान व्यवस्था के पीछे तर्क यह है कि सांसदों या विधायकों की स्वतंत्रता की हिफाजत की जाए ताकि कोई भी सरकार उन्हें लाभ के पद देकर उपकृत न कर सके और उनके स्वतंत्र निर्णय लेने के क्षमता को प्रभावित न कर सके. लाभ का पद देकर कोई भी दल उन सदस्यों का असंतोष भी दूर कर सकता है जो मंत्री बनने से रह गए हैं. केजरीवाल ने स्पष्टतः यही किया था जिसका खमियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है. 20 विधायक कम होने से भी उनकी सरकार की स्थिरता पर तो कोई आंच नहीं आने वाली लेकिन उससे उनकी नैतिक सत्ता पर अवश्य आंच आ रही है.
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
तस्वीर: APयूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
तस्वीर: Reuters/B. Mathurकंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
तस्वीर: picture alliance/dpaभाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaस्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
तस्वीर: AP2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
तस्वीर: APएलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
तस्वीर: picture-alliance/AP200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyayइटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
तस्वीर: TAIकरीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
तस्वीर: AP2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.
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