विवादों में जहरीले धुएं के कारोबार पर ईयू का सुधार
११ नवम्बर २०१७![Braunkohleabbau in der Niederlausitz PUBLICATIONxINxGERxSUIxAUTxHUNxONLY 1074702378](https://static.dw.com/image/41337903_800.webp)
जलवायु सम्मेलन के ठीक बीच में यूरोपीय संघ के 28 देशों के बीच कार्बन क्रेडिट की व्यवस्था में सुधार पर समझौता हो गया है. यूरोपीय संघ के जलवायु कमिसार मिगेल आरियेस अनेट ने इसे पेरिस संधि पर अमल का ठोस कदम बताया है, लेकिन पर्यावरण समर्थक इसे आधा अधूरा कदम बता रहे हैं और इसकी आलोचना कर रहे हैं. यूरोपीय संघ का कार्बन उत्सर्जन कारोबार बड़ी फैक्टरियों और दूसरी कंपनियों द्वारा छोड़ी जाने वाली कार्बन डॉयऑक्साइड पर सीमा लगाता है.
क्या है कार्बन उत्सर्जन सिस्टम
यूरोपीय संघ में उत्सर्जन का कारोबार 2005 में शुरू किया गया था और कार्बन क्रेडिट पेपर एक साझा सिस्टम के तहत खरीदे बेचे जाते हैं. इसका लक्ष्य पर्यावरण सम्मत उत्पादन के लिए उद्यमों को प्रोत्सहित करना था. इसके तहत ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाली कंपनियां उन कंपनियों से कार्बन क्रेडिट पेपर खरीद सकती थीं जो तय पैमाने से कम कार्बन पैदा कर रही हैं.
पर्यावरण संरक्षक इसे उत्सर्जन घटाने के लिए नाकाफी कदम मानते हैं. पर्यावरण संगठन वर्ल्ड वाइड फंड की यूलियेट दे ग्रांप्रे का कहना है पुराना नियम पिछले दस सालों में कार्बन उत्सर्जन में कमी करवाने में विफल रहा है और नये नियम भी बहुत धीमा असर करेंगे. समस्या यह रही है कि कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट इतनी बड़ी संख्या में बाजार में रहे हैं कि उनकी कीमत बहुत कम रही है और उन्हें खरीदना आसान और सस्ता रहा है. इसने उद्यमों को नयी तकनीकों में निवेश का दबाव नहीं डाला है.
एक तो उद्यमों को बड़ी मात्रा में मुफ्त वाले सर्टिफिकेट दिये गये, तो दूसरी ओर वित्तीय संकट की वजह से उसकी मांग काफी कम रही. एक टन कार्बन डायऑक्साइड की कीमत 5 यूरो थी जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि प्रति टन 20 यूरो कीमत ही उद्यमों को पर्यावरण तकनीक में निवेश करने का दबाव बना सकता है.
सुधारों का लक्ष्य
यूरोपीय सुधारों का लक्ष्य यह है कि सर्टिफिकेटों की संख्या को घटाकर बाजार में उनकी कमी पैदा की जाए और कीमतें बढ़ने दी जाए ताकि बाजार के मांग और आपूर्ति वाले नियम पर उसका सौदा हो सके. इसके लिए 2 अरब सर्टिफिकेटों को या तो रिजर्व में रखा जाएगा या उन्हें खत्म कर दिया जाएगा. नतीजतन एक टन कार्बन डायऑक्साइड की कीमत बढ़कर 25 यूरो हो सकती है. उद्यम संगठनों को आशंका है कि यह कीमत 40 यूरो हो जाएगी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में उन्हें नुकसान होगा.
यूरोपीय देश एक ओर कार्बन उत्सर्जन कम करने तो दूसरी ओर उत्पादन को महंगा कर उद्यमों और नौकरियों को खतरे में न डालने के असमंजस से जूझ रहे हैं. यूरोपीय संघ में पोलैंड जैसे देश कोयले के बिजलीघरों पर निर्भर हैं लेकिन निवेश की हालत में हैं तो वहीं ऐसे गरीब देश भी हैं जहां निवेश की क्षमता नहीं है. दूसरी ओर जर्मनी जैसे देशों को अपने कोयले के भंडार का जल्द इस्तेमाल करना है ताकि सौर और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके.
जर्मन पर्यावरण मंत्री बारबरा हेंड्रिक्स के अनुसार सुधारों के बाद कार्बन सर्टिफिकेटों को बाजार से तेजी से हटाया जा सकेगा ताकि उनकी कीमत बढ़ सके और वे पर्यावरण निवेश के लिए प्रोत्साहन बन सकें. दूसरी ओर उद्यमों के लिए सुलभ नियम बनाये गये हैं ताकि वे ऐसे देशों में न चले जाएं जहां पर्यावरण के नियम सख्त नहीं हैं. पर्यावरण संरक्षकों की चिंता यही है कि ज्यादा जहरीला धुंआ छोड़ने वाले उद्यमों को जुर्माने के बदले भविष्य में भी वित्तीय मदद मिलती रहेगी.