वैज्ञानिकों को अर्जेंटीना के पैटागोनियन जंगल में मिले जीवाश्म शाकाहारी डायनासोर की सबसे पुरानी प्रजाति के हो सकते हैं. ये जीवाश्म टाइटेनोसोर के हैं. ये शाकाहारी डायनासोर धरती के सबसे बड़े जीव माने जाते हैं.
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वैज्ञानिकों ने रविवार को बताया कि अर्जेंटीना में खुदाई के दौरान मिला विशाल डायनासोर अब तक का सबसे पुराना टाइटेनोसोर हो सकता है. यह जीव 14 करोड़ साल पहले यानी क्रेटेशियस काल की शुरुआत में धरती पर पाए जाते थे. जिस जगह यह जीवाश्म मिले हैं वह आज पैटेगोनिया के नाम से जाना जाता है.
टाइटेनोसोर डायनासोर के साउरोपॉड समूह के सदस्य हैं. टाइटेनोसोर समूह में जमीन पर रहने वाले सबसे बड़े जीवों का पता मिलता है जो आज के आज की व्हेल के आकार के भी हो सकते हैं.
अर्जेंटीना के ला मटान्जा विश्वविद्यालय ने अपने विश्लेषण में बताया कि 65-फीट यानी करीब 20-मीटर लंबे निंजाटइटन जापताई नाम की इस विशाल छिपकली की खोज 2014 में दक्षिण-पश्चिम अर्जेंटीना के नुएक्वेन प्रांत में की गई थी. इस जीव का नाम अल निंजा के नाम से पुकारे जाने वाले अर्जेंटीना के जीवाश्म विज्ञानी सेबेस्टियन अपस्टेगिया और तकनीशियन रोगेलियो जैपाटा के नाम पर रखा है.
निंजाटइटन नाम दो शब्दों से बना है निंजा और टाइटन. निंजा शब्द जापान से आता है और टाइटन का मतलब होता है विशालकाय.
कॉनसेट विज्ञान परिषद के रिसर्चर पाब्लो गैलिना ने एक बयान में कहा कि, "इस जीवाश्म का महत्व टाइटेनोसोर की एक नई प्रजाति होने के अलावा यह भी है कि यह इस समूह के लिए दुनिया के सबसे पुराने जीव में दर्ज है."
टाइटेनोसोर लंबी गर्दन और पूंछ वाले विशाल शाकाहारी छिपकली थे जो शायद पृथ्वी पर चलने वाले सबसे बड़े जानवर थे.
नई खोज के अनुसार टाइटेनोसोर पहले जितना सोचा गया था उससे अधिक समय से धरती पर रह रहे थे. क्रेटेशियस युग लगभग 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर के विलुप्त होने के साथ खत्म हो गया था.
रिसर्चर गैलिना जो अर्जेंटीना की विज्ञान पत्रिका अमेघियाना में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट की मुख्य लेखिका हैं, उन्होंने कहा कि 14 करोड़ साल पहले के जीवाश्म "वास्तव में बहुत दुर्लभ हैं."
एसएस/एनआर(रॉयटर्स)
करोड़ों साल के इतिहास के गवाह हैं जियोपार्क
दुनिया के 41 देशों में 147 इलाकों को यूनेस्को ने जियोपार्क घोषित किया है. इन जियोपार्कों में धरती के करोड़ों साल के सफर की झलक मिलती है. चलिए, दक्षिण अमेरिका के जियोपार्कों में.
तस्वीर: Red GeoLac
अरारिपे, ब्राजील
यह लैटिन अमेरिका में यूनेस्को का पहला वर्ल्ड जियोपार्क है. पार्क में 9 करोड़ से 15 करोड़ साल पुराने जीवाश्म देखे जा सकते हैं. जियोपार्क की लाल रंग की चट्टानों के बीच आज भी डायनासोरों के जीवाश्म मौजूद हैं.
तस्वीर: Red GeoLac
ग्रुटास डेल पालासियो, उरुग्वे
राजधानी मोटेंविडेयो से करीब 200 किलोमीटर दूर यह जियोपार्क है. यहां आदिम कलाकृतियों से सजी गुफाएं हैं. भूगर्भीय और मानवीय बदलावों के कालखंडों को समझने के लिए वैज्ञानिक यहां डेरा डाले रहते हैं.
तस्वीर: Red GeoLac
कोमार्का मिनेरा, मेक्सिको
मेक्सिको के हिडागो प्रांत के इस जियोपार्क में इंसान के धातु विज्ञान का इतिहास छुपा है. 500 साल तक इंसान ने कैसे कैसे नई धातुएं खोजी, इसकी जानकारी यहां मिलती है. इस ऐतिहासिक कोने की खोज 19वीं सदी में जर्मन खोजकर्ता आलेक्जांडर फॉन हुमबोल्ट ने की.
तस्वीर: Rodrigo Ruiz
मिक्सटेका आल्टा, मेक्सिको
पश्चिमी मेक्सिको में मौजूद यह जियोपार्क दक्षिण अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियंस का बसेरा है. भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से इस इलाके की पड़ताल कर पता चलता है कि इंसान ने क्रमिक विकास के दौरान क्या क्या किया होगा.
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इम्बाबुरा, इक्वाडोर
उत्तरी इक्वाडोर में ज्वालामुखियों और झीलों का इलाका. इम्बाबुरा को इन्हीं खूबियों के चलते जियोपार्क घोषित किया गया. भौगोलिक चुनौतियों से भरे इस इलाके में इंसान ने कई किस्म की संस्कृतियां विकसित कीं.
तस्वीर: Red GeoLac
कोल्का और वोल्कानेस दे अंडागुआ, पेरू
एक तरफ भूक्षरण हो रहा था और दूसरी तरफ एंडीज पर्वतमाला ऊंची हो रही थी, ऐसी भौगोलिक हलचलों ने इस इलाके को नायाब शक्ल दी. यहां समुद्र तल से 700 मीटर ऊंचा इलाका भी है और 6,318 मीटर ऊंची चोटी भी. 25 सक्रिय ज्वालामुखी यहां लावा भी बहाते हैं और गर्म पानी के चश्मे भी बनाते हैं.
कुएत्रालकुरा, चिली
दक्षिण अमेरिका के एकदम दक्षिण छोर पर मौजूद इस जियोपार्क को "स्टोन ऑफ फायर" भी कहा जाता है. लाइमा नाम का ज्वालामुखी पूरे महाद्वीप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है. पूरे जियोपार्क में कुल छह ज्वालामुखी हैं. (रिपोर्ट: विक्टोरिया डानेमन/ओएसजे)