विशेष अदालत ने चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत में भेजा
२२ अगस्त २०१९
सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की कस्टोडियल रिमांड के मामले की सुनवाई के बाद उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई हिरासत में भेज दिया है.
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सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश किए गए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम से जांच एजेंसी ने आईएनएक्स मीडिया मामले में पूछताछ के लिए रिमांड की मांग की थी. इसे मानते हुए कोर्ट ने उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई की कस्टडी में भेज दिया है. इस दौरान हर रोज चिदंबरम के परिवारजन उनसे अधिकतम 30 मिनट के लिए मिल सकेंगे. सीबीआई की तरफ से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता की हिरासत की मांग की थी. सीबीआई के खिलाफ चिदंबरम की याचिका कल सुप्रीम कोर्ट में सुनी जानी है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय, ईडी के खिलाफ उनकी याचिका 27 अगस्त को सुनी जाएगी.
चिदंबरम को सीबीआई मुख्यालय से भारी सुरक्षा के बीच राउज एवेन्यू कोर्ट लाया गया. अदालत की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि जांच में खुलासा हुआ है कि इंद्राणी मुखर्जी द्वारा 50 लाख डॉलर का भुगतान किया गया. इंद्राणी इस मामले में एक सह-आरोपी है. लेकिन, चिदंबरम ने सीबीआई द्वारा यह सवाल पूछने पर इनकार कर दिया.
अभियोजन पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि जब उन्हें दस्तावेज दिखाए गए तो चिदंबरम चुप रहे और टाल-मटोल करते रहे. इससे उन्हें आगे और दस्तावेजों का सामना कराए जाने को बल मिला.
मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया, जिसने चिदंबरम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया और उन्हें आईएनएक्स मीडिया मामले में 'सरगना' बताया. मेहता ने कोर्ट मामले की डायरी भी दी, जिससे चिदंबरम को हिरासत में लेने के लिए मजबूत मामला बने. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व वकील कपिल सिब्बल ने चिदंबरम की तरफ से पेश होते हुए कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली है. उन्होंने जोर दिया कि जांच पूरी कर ली गई है, क्योंकि ड्राफ्ट चार्जशीट तैयार कर ली गई है.
चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने के आरोपी हैं.
गिरफ्तारी को "लोकतंत्र की हत्या" बताती कांग्रेस
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी के अगले दिन कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेस कर इसे 'दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या' करार दिया. चिदंबरम का बचाव करते हुए कांग्रेस के मीडिया प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस गिरफ्तारी को एक 'हताश सरकार' द्वारा 'बदला लेने वाली राजनीति' का परिणाम बताया और इसके साथ ही ईडी और सीबीआई पर उनके 'राजनीतिक आकाओं' को खुश करने का आरोप लगाया.
सुरजेवाला ने आगे आरोप लगाया कि चिदंबरम की गिरफ्तारी देश में गहराते आर्थिक संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए चली गई एक चाल है. सुरजेवाला ने कहा कि चिदंबरम के यहां इस मामले के सिलसिले में पहले ही चार बार छापे मारे जा चुके हैं और चिदंबरम 20 से अधिक समनों पर पेश हो चुके हैं.
चिदंबरम पर लगाए गए आरोपों को झूठा बताते हुए कांग्रेस ने कहा, "2008 में हुई एक कथित अपराध के लिए 5 साल से अधिक की गई व्यर्थ जांच के बाद अधिकारी चिदंबरम के खिलाफ किसी भी स्पष्ट या सटीक आरोपों को साबित करने में असमर्थ रहे हैं." उन्होंने आगे कहा, "देश में हर किसी का मुंह बंद कराने के लिए वरिष्ठ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं."
हालांकि एजेंसियों का मानना है कि उनके पास चिदंबरम के खिलाफ एक मजबूत मामला है और उन्हें चिदंबरम से पूछताछ करने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस ने इस कदम को 'बदला लेने वाला, चयनात्मक और दुर्भावनापूर्ण' कहा.
भारत की सात राष्ट्रीय पार्टियों को 2016-2017 में कुल 1,559 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है. 1,034.27 करोड़ रुपये की आमदनी के साथ बीजेपी इनमें सबसे ऊपर है. जानते हैं कि इस बारे में एडीआर की रिपोर्ट और क्या कहती है.
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भारतीय जनता पार्टी
दिल्ली स्थित एक थिंकटैंक एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को एक साल के भीतर एक हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की आमदनी हुई जबकि इस दौरान उसका खर्च 710 करोड़ रुपये बताया गया है. 2015-16 और 2016-17 के बीच बीजेपी की आदमनी में 81.1 फीसदी का उछाल आया है.
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कांग्रेस
राजनीतिक प्रभाव के साथ साथ आमदनी के मामले भी कांग्रेस बीजेपी से बहुत पीछे है. पार्टी को 2016-17 में 225 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसने खर्च किए 321 करोड़ रुपये. यानी खर्चा आमदनी से 96 करोड़ रुपये ज्यादा. एक साल पहले के मुकाबले पार्टी की आमदनी 14 फीसदी घटी है.
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बहुजन समाज पार्टी
मायावती की बहुजन समाज पार्टी को एक साल के भीतर 173.58 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसका खर्चा 51.83 करोड़ रुपये हुआ. 2016-17 के दौरान बीएसपी की आमदनी में 173.58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पार्टी को हाल के सालों में काफी सियासी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन उसकी आमदनी बढ़ रही है.
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नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी
शरद पवार की एनसीपी पार्टी की आमदनी 2016-17 के दौरान 88.63 प्रतिशत बढ़ी. पार्टी को 2015-16 में जहां 9.13 करोड़ की आमदनी हुई, वहीं 2016-17 में यह बढ़ कर 17.23 करोड़ हो गई. एनसीपी मुख्यतः महाराष्ट्र की पार्टी है, लेकिन कई अन्य राज्यों में मौजूदगी के साथ वह राष्ट्रीय पार्टी है.
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तृणमूल कांग्रेस
आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 और 2016-17 के बीच ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की आमदनी में 81.52 प्रतिशत की गिरावट हुई है. पार्टी की आमदनी 6.39 करोड़ और खर्च 24.26 करोड़ रहा. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा रखने वाली तृणमूल 2011 से पश्चिम बंगाल में सत्ता में है और लोकसभा में उसके 34 सदस्य हैं.
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सीपीएम
सीताराम युचुरी के नेतृत्व वाली सीपीएम की आमदनी में 2015-16 और 2016-17 के बीच 6.72 प्रतिशत की कमी आई. पार्टी को 2016-17 के दौरान 100 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसने 94 करोड़ रुपये खर्च किए. सीपीएम का राजनीतिक आधार हाल के सालों में काफी सिमटा है.
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सीपीआई
राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे कम आमदनी सीपीआई की रही. पार्टी को 2016-17 में 2.079 करोड़ की आमदनी हुई जबकि उसका खर्च 1.4 करोड़ रुपये रहा. लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी का एक एक सांसद है जबकि केरल में उसके 19 विधायक और पश्चिम बंगाल में एक विधायक है.
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समाजवादी पार्टी
2016-17 में 82.76 करोड़ की आमदनी के साथ अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सबसे अमीर क्षेत्रीय पार्टी है. इस अवधि के दौरान पार्टी के खर्च की बात करें तो वह 147.1 करोड़ के आसपास बैठता है. यानी पार्टी ने अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च किया है.
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तेलुगु देशम पार्टी
आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी तेलुगुदेशम पार्टी को 2016-17 के दौरान 72.92 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि 24.34 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. पार्टी की कमान चंद्रबाबू के हाथ में है जो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं.
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एआईएडीएमके और डीएमके
तमिलनाडु में सत्ताधारी एआईएडीएमके को 2016-17 में 48.88 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसका खर्च 86.77 करोड़ रुपये रहा. वहीं एआईएडीएमके की प्रतिद्वंद्वी डीएमके ने 2016-17 के बीच सिर्फ 3.78 करोड़ रुपये की आमदनी दिखाई है जबकि खर्च 85.66 करोड़ रुपया बताया है.
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एआईएमआईएम
बचत के हिसाब से देखें तो असदउद्दीन औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम सबसे आगे नजर आती है. पार्टी को 2016-17 में 7.42 करोड़ रुपये की आमदनी हुई जबकि उसके खर्च किए सिर्फ 50 लाख. यानी पार्टी ने 93 प्रतिशत आमदनी को हाथ ही नहीं लगाया. (स्रोत: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म)