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विश्व चैंपियन बनना चाहते हैं शिव

१० अक्टूबर २०१३

असम के 19 साल के बॉक्सर शिव थापा की नजरें अब कजाखस्तान में होने वाली विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप पर हैं. जुलाई में वे एशियाई संघ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी रहे.

तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

पहली बार विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाले शिव को वहां भी बेहतर प्रदर्शन का भरोसा है. वे आज अलमाटी रवाना हुए हैं. इससे पहले कोलकाता में एक सम्मान समारोह में शिरकत करने वाले इस बॉक्सर ने डॉयचे वेले के कुछ सवालों के जवाब दिए.

डॉयचे वेलेः आप एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले सबसे युवा बॉक्सर हैं. आपकी कामयाबी का राज क्या है ?

शिव थापाः मैं कभी अपने प्रतिद्वंद्वी को हल्के तौर पर नहीं लेता. इसके अलावा उसकी साख या ख्याति को कभी अपने पर हावी नहीं होने देता.

अब तक की कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहेंगे ?

अपने पिता और कोच को. पिता ने मेरे लिए समुचित भोजन की व्यवस्था करने और अभ्यास कराने में शुरू से ही काफी मेहनत की है.

एक बॉक्सर को कामयाबी के लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

अगर कोई बॉक्सर मानसिक तौर पर मजबूत और दक्ष रणनीतिकार नहीं है तो वह कभी जीत नहीं सकता. कामयाब बॉक्सर बनने के लिए अच्छे स्वास्थ्य के साथ तेज दिमाग जरूरी है. मैं सही योजना की वजह से ही अपने मैच जीतता हूं.

किसी बड़े मैच से पहले कितना दबाव होता है और उससे कैसे निपटते हैं ?

मैं किसी मैच को बड़ा या छोटा नहीं मानता. बॉक्सिंग रिंग में उतरने पर हर बार जीतना ही मेरा लक्ष्य होता है. मुझ पर दबाव का वैसे तो कोई असर नहीं होता, सच तो यह है कि मैं दबाव में ही बेहतर प्रदर्शन करता हूं. तनाव होने पर रॉक म्युजिक सुनता हूं और ध्यान लगाता हूं.

विश्व चैंपियनशिप में तो बॉक्सरों को बिना हेड गार्ड के रिंग में उतरना होगा. आपकी तैयारियां कैसी हैं ?

मैं इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हूं. हेडगार्ड के बिना लड़ने में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी. मैंने इसका पूरा अभ्यास किया है. दरअसल, इससे बॉक्सरों को सहूलियत ही होगी क्योंकि हेडगार्ड के बिना वह चारों ओर बेहतर तरीके से देख सकते हैं.

चैंपियनशिप में किन देशों के बॉक्सरों से कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है ?

खासकर उजबेकिस्तान और क्यूबा के बॉक्सरों को हराना कठिन होगा. लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. मैंने कड़ा अभ्यास किया है और स्वास्थ्य भी बेहतर है. मुझे वहां मेडल जीतने का भरोसा है.

भावी योजना क्या है ?

फिलहाल तो पूरा ध्यान विश्व चैंपियनशिप पर है. इस समय विश्व में मेरी रैंकिंग चौथी है. मैं नंबर वन के तौर पर रियो ओलंपिक में जाकर गोल्ड मेडल जीतना चाहता हूं. इस सपने को पूरा करने के लिए मैं किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं. भविष्य में मैं पेशेवर बॉक्सर बनना चाहता हूं.

आखिरी सवाल. बॉक्सर नहीं होते तो क्या करते ?

मेरा जन्म ही बॉक्सर बनने के लिए हुआ था. इसलिए दूसरे विकल्प के बारे में कभी सोचा ही नहीं.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे

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