वॉशिंगटन में हो रहे परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में उत्तर कोरिया से परमाणु खतरे के अलावा इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा परमाणु हथियार हासिल किए जाने की चिंता केंद्र में है.
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जब से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2009 में परमाणु अप्रसार को अपनी विदेशनीति का मुख्य हिस्सा बनाया है, वैश्विक परमाणु सुरक्षा पर लक्षित यह चौथा शिखर सम्मेलन है. इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित करीब 50 देशों के राज्य व सरकार प्रमुख तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. उनका मकसद परमाणु भंडारों के लिए खतरों को कम करना और उन्हें सुरक्षित बनाना है. वे इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों द्वारा विश्व भर में शहरी इलाकों को पहुंचने वाले खतरों की भी चर्चा करेंगे.
अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोड्स का कहना है कि सम्मेलन में परमाणु सामग्रियों को सुरक्षित करने के अलावा उनके आतंकवादियों के हाथों पकड़ने को रोकने के उपायों पर चर्चा होगी. उन्होंने कहा, "हमने इस बात के पर्याप्त सबूत देखे हैं कि इस्लामिक स्टे जैसे आतंकवादी संगठन निर्दोष मानव जीवन और अंतरराष्ट्रीय मानकों की कोई परवाह नहीं करते और यह प्रभावी अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा नीति की जरूरत दोगुनी करता है." रोड्स ने कहा कि 2010 की पहली शिखर भेंट के बाद से परमाणु पदार्थों की सुरक्षा के लिए बहुत कुछ किया गया है जिसमें यूक्रेन और चिली सहित कई देशों में परमाणु सामग्रियों को कम करना या पूरी तरह खत्म करना शामिल है. करीब 3.8 टन परमाणु सामग्री जब्त की गई है, जो 150 बम बनाने के लिए काफी है.
किसके पास, कितने एटम बम
दुनिया भर में इस वक्त नौ देशों के पास करीब 13,865 परमाणु बम हैं. हाल के सालों में परमाणु हथियारों की संख्या घटी है. चलिए देखते हैं कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं.
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रूस
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है. 1949 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले रूस के पास 6,500 परमाणु हथियार हैं.
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अमेरिका
1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण के कुछ ही समय बाद अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु हमला किया. सिप्री के मुताबिक अमेरिका के पास आज भी 6,185 परमाणु बम हैं.
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फ्रांस
यूरोप में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार फ्रांस के पास हैं. उसके एटम बमों की संख्या 300 बताई जाती है. परमाणु बम बनाने की तकनीक तक फ्रांस 1960 में पहुंचा.
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चीन
एशिया में आर्थिक महाशक्ति और दुनिया की सबसे बड़ी थल सेना वाले चीन की असली सैन्य ताकत के बारे में बहुत पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन अनुमान है कि चीन के पास 290 परमाणु बम हैं. चीन ने 1964 में पहला परमाणु परीक्षण किया.
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ब्रिटेन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य ब्रिटेन ने पहला परमाणु परीक्षण 1952 में किया. अमेरिका के करीबी सहयोगी ब्रिटेन के पास 200 परमाणु हथियार हैं.
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पाकिस्तान
अपने पड़ोसी भारत से तीन बार जंग लड़ चुके पाकिस्तान के पास 150-160 परमाणु हथियार हैं. 1998 में परमाणु बम विकसित करने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं हुआ है. विशेषज्ञों को डर है कि अगर अब इन दोनों पड़ोसियों के बीच लड़ाई हुई तो वह परमाणु युद्ध में बदल सकती है.
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भारत
1974 में पहली बार और 1998 में दूसरी बार परमाणु परीक्षण करने वाले भारत के पास 130-140 एटम बम हैं. चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत ने वादा किया है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. साथ ही भारत का कहना है कि वह परमाणु हथियार विहीन देशों के खिलाफ भी इनका प्रयोग नहीं करेगा.
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इस्राएल
1948 से 1973 तक तीन बार अरब देशों से युद्ध लड़ चुके इस्राएल के पास 80 से 90 नाभिकीय हथियार हैं. इस्राएल के परमाणु कार्यक्रम के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है.
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उत्तर कोरिया
पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान की मदद से परमाणु तकनीक हासिल करने वाले उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं. तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 2006 में उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया.
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सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पाक गुइन हाय के साथ उत्तर कोरिया और दूसरी क्षेत्रीय समस्याओं पर बात करेंगे. बाद में ओबामा उत्तर कोरिया पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भी चर्चा करेंगे. इस साल के शुरू से ही कोरियाई प्रायद्वीप पर तनाव है, जब उत्तर कोरिया ने परमाणु और लंबी दूरी के रॉकेट का परीक्षण किया. शुक्रवार को ओबामा सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और जर्मनी के साथ ईरान के साथ तय परमाणु संधि में हुई प्रगति पर चर्चा करेंगे. सम्मेलन में भाग लेने वाले नेता गुरुवार को पहली बार व्हाइट हाउस में डिनर पर मिलेंगे. बाकी चर्चा शुक्रवार को तीन प्लेनरी सत्रों में होगी.
परमाणु पदार्थों को आतंकवादियों के हाथों में जाने से रोकना ओबामा की मुख्य चिंता है. ओबामा की छह साल की कोशिशों के बावजूद अधिकारियों का कहना है कि डर्टी बम के लिए सामग्रियां सुरक्षित नहीं हैं. शीतयुद्ध के सालों के बाद महाशक्तियों के बीच परमाणु युद्ध के खतरे की जगह उत्तरी अफ्रीका, यमन और सउदी अरब में सक्रिय आतंकी संगठनों ने ले ली है जिनकी अब परमाणु हथियारों में दिलचस्पी है. एक विशेष सत्र में न्यूयॉर्क या लंदन जैसे शहरों में परमाणु हमले की संभावना पर चर्चा होगी. बैठक में भाग लेने वाले नेता परमाणु आतंकवाद की स्थिति में होने वाली घटनाओं की संभावना पर विचार करेंगे. रूस और पाकिस्तान के नेता सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं.
एमजे/आईबी (डीपीए, एपी)
हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक कौन
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी 2016 रिपोर्ट में बताया है कि साल 2011-15 के बीच वैश्विक हथियार व्यापार में 2006-10 के मुकाबले 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. देखिए सबसे बड़े निर्यातक देश कौन हैं.
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1. अमेरिका
दुनिया के 58 देश हथियारों का निर्यात करते हैं जिनमें सबसे आगे है अमेरिका. यूएसए 96 देशों को हथियार भेजता है, जिनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उसके सबसे बड़े खरीदार हैं. 2015 के अंत में ही अमेरिका ने एफ-35 विमानों की बिक्री के एक बड़े ठेके पर हस्ताक्षर किए.
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2. रूस
दुनिया भर के हथियारों के कुल व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी रूस की है. भारत, चीन और वियतनाम इसके सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत के तो 70 फीसदी हथियार रूस से ही आते हैं. इसके अलावा अपने लड़ाकू विमानों, टैंकों, परमाणु पनडुब्बियों और राइफलों को रूस ने यूक्रेन समेत दुनिया के 50 देशों में भेजा.
पिछले सालों में चीन हथियारों के मामले में ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ है और आयात कम कर निर्यात को बढ़ाया है. चीन ने पिछले साल 37 देशों को हथियारों की आपूर्ति की, जिनमें पाकिस्तान (35%), बांग्लादेश (20%) और म्यांमार (16%) इसके सबसे बड़े ग्राहक रहे. 2006-10 और 2011-15 के बीच चीनी हथियारों के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
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4. फ्रांस
हालांकि फ्रेंच हथियारों के निर्यात में 2010 के बाद से 9.8% की कमी आई है, फिर भी वह दुनिया में चौथे नंबर का आर्म्स एक्सपोर्टर बना हुआ है. यूरोप में उससे बाद आने वाले जर्मनी से निर्यात कम हुआ है. हाल ही मिले कुछ बड़े ठेकों के कारण फ्रांस के अगले साल भी निर्यातकों के टॉप 5 में शामिल रहने का अनुमान है.
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5. जर्मनी
प्रमुख जर्मन हथियारों के निर्यात में वर्ष 2011-15 के बीच 51 फीसदी की कमी आई. इन सालों में जर्मनी ने अपने खास हथियार 57 देशों को भेजे. इन्हें आयात करने वालों में 29 प्रतिशत तो अन्य यूरोपीय देश ही थे. इसके बाद एशिया, अमेरिका, ओशिनिया को 23 प्रतिशत जबकि इतना ही मध्य पूर्व को बेचा गया. अमेरिका, इजरायल और ग्रीस जर्मन हथियारों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.
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6. ब्रिटेन
अगर सऊदी अरब (46%), भारत (11%) और इंडोनेशिया (8.7%) जैसे बाजार ना हों तो ब्रिटिश हथियार उद्योग दिवालिया हो जाएगा. साल 2006–10 और 2011–15 के बीच ब्रिटेन से हथियारों का निर्यात करीब 26 प्रतिशत बढ़ा. यूरोप में इसके बाद स्पेन और इटली का स्थान आता है.