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विश्व बैंक पर चीन के साथ मिलीभगत का आरोप

१७ सितम्बर २०२१

एक जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विश्व बैंक के पूर्व नेताओं ने 2018 में व्यापार करने की रैंकिंग में चीन को मजबूत करने के लिए कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाला था. इन नेताओं में आईएमएफ की मुखिया भी शामिल हैं.

USA Washington | Internationaler Währungsfonds | Kristalina Georgiewa, Direktorin
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Kamm

रिपोर्ट लॉ फर्म विल्मरहेल ने विश्व बैंक की एथिक्स समिति के अनुरोध पर बनाई है. जिस अवधि का रिपोर्ट में जिक्र किया गया है अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मौजूदा प्रबंधक निदेशक क्रिस्टालिना जोर्जिएवा उस समय बैंक की मुख्य कार्यकारी थीं. उनके अलावा उस समय जिम योंग किम बैंक के अध्यक्ष थे. रिपोर्ट के सामने आने के बाद विश्व बैंक पर चीन के दबदबे और जोर्जिएवा और किम की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं.

जोर्जिएवा ने कहा है कि वो इस रिपोर्ट के "निष्कर्ष और विवेचना" से असहमत हैं और उन्होंने मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड को सारी बात बता दी है. विश्व बैंक समूह ने व्यापार के माहौल पर पूरी "डूइंग बिजनेस" रिपोर्ट को ही रद्द कर दिया. बैंक का कहना है कि आंतरिक ऑडिट और विल्मरहेल जांच ने "बोर्ड के पूर्व अधिकारी और बैंक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के आचरण समेत कुछ नैतिक विषय" उठाए हैं.

गंभीर निष्कर्ष

मुद्रा कोष और विश्व बैंक में प्रमुख अमेरिकी शेयरहोल्डिंग का प्रबंधन करने वाले अमेरिकी सरकार के राजस्व मंत्रालय ने कहा है कि ये निष्कर्ष "गंभीर" हैं और वो इनका विश्लेषण कर रहा है. विल्मरहेल रिपोर्ट में कहा गया कि किम के दफ्तर में वरिष्ठ कर्मचारियों ने चीन के स्कोर को मजबूत करने के लिए "सीधा और अप्रत्यक्ष दबाव" बनाया था.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मौजूदा प्रबंधक निदेशक क्रिस्टालिना जोर्जिएवातस्वीर: Getty Images/AFP/F. Coffrini

रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है ऐसा किम के कहने पर ही किया गया हो. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जोर्जिएवा और उनके एक प्रमुख सलाहकार सिमोन यांकोव ने कर्मचारियों पर दबाव बनाया कि वो "चीन के डाटा बिंदुओं को बदलें" और उसकी रैंकिंग को ऊपर उठाएं.

यह सब ऐसे समय पर हो रहा था जब बैंक अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए चीन का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा था. किम ने टिप्पणी के लिए किए गए अनुरोध का जवाब नहीं दिया. यांकोव से तुरंत संपर्क नहीं हो पाया.

और भी मामले

"डूइंग बिजनेस" रिपोर्ट देशों के नियामन और कानूनी व्यवस्था, बिजनेस स्टार्टअप शुरू करने में आसानी, वित्तीय पोषण, इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे व्यापार संबंधी कदमों के आधार पर उनकी रैंकिंग बनाती है. "डूइंग बिजनेस 2018" रिपोर्ट अक्टूबर 2017 में छपी थी और इसमें मूल्यांकन करने के तरीकों में बदलाव करने के बाद शुरूआती रिपोर्ट के मुकाबले चीन की रैंकिंग 78वें स्थान से सात पायदान ऊपर चली गई थी.

विश्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष जिम योंग किमतस्वीर: Getty Images/A. Verdelli

यह जांच रिपोर्ट जोर्जिएवा के मुद्रा कोष की मुखिया बनने के लगभग दो साल बाद आई है. इसमें 2019 में छपी "डूइंग बिजनेस 2020" रिपोर्ट के लिए सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अजरबैजान की रैंकिंग निकालने के लिए डाटा के इस्तेमाल को लेकर दबाव की भी बात की गई है. हालांकि इसमें विश्व बैंक के अध्यक्ष या कार्यकारी बोर्ड के किसी भी सदस्य के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला.

"डूइंग बिजनेस 2020" रिपोर्ट में सऊदी अरब की रैंकिंग 30 पायदान उछल कर 62वें स्थान पर पहुंच गई. विश्व बैंक ने कहा है, "भविष्य में, हम व्यापार और निवेश के माहौल की समीक्षा के लिए एक नए तरीके पर काम करेंगे."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चीन की रैंकिंग को मजबूत करने की कवायद ऐसे समय पर हुई जब बैंक का प्रबंधन अपने कोष में एक बड़ी वृद्धि को लेकर "संवेदनशील बातचीत में पूरी तरह से व्यस्त था." उस समय चीन भी अपेक्षा से कम स्कोर को लेकर निराश था. जोर्जिएवा ने खुद विल्मरहेल के जांच अधिकारियों को बताया की "बहुपक्षवाद दांव पर लगा हुआ था और अगर अभियान के लक्ष्य हासिल नहीं हो पाते तो बैंक एक 'बड़ी गहरी समस्या' में फस जाता."

2018 में बैंक ने अपने कोष में 13 अरब डॉलर के इजाफे की घोषणा की जिसके बाद चीन की शेयरहोल्डिंग हिस्सेदारी 4.68 प्रतिशत से बढ़ कर 6.01 प्रतिशत हो गई.

सीके/एए (रॉयटर्स) 

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