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भारत में अफगानों को शरणार्थी दर्जा मिलना मुश्किल

१९ अगस्त २०२१

अपना देश छोड़ कर भारत आने के इच्छुक अफगानों के लिए सरकार ने एक नई वीजा योजना निकाली है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह काफी है. मांग उठ रही है कि उन्हें शरणार्थी दर्जा दिया जाए और सरकार की तरफ से हर संभव मदद दी जाए.

Spanien | Afghanistan-Evakuierungsflug ladet am Flughafen in Madrid
तस्वीर: Paul White/AP/picture alliance

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद देश छोड़ कर भारत आने वालों के लिए केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को एक नई वीजा योजना शुरू की. सरकार का कहना है कि 'ई-इलेक्ट्रॉनिक एक्स-एमआईएससी वीजा' नाम की इस नई वीजा श्रेणी को अफगानिस्तान के लोगों के आवेदनों को फास्ट ट्रैक करने के लिए लाया गया है.

मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि ये वीजा सुरक्षा जांच के बाद ही दिए जाएंगे और छह महीनों तक वैध रहेंगे. 'एक्स-एमआईएससी' नाम की वीजा श्रेणी पहले से मौजूद है. यह ऐसे मामलों में दिया जाता है जब किसी ऐसे विशेष उद्देश्य के लिए वीजा का आवेदन किया गया हो जो वीजा की किसी भी मौजूदा श्रेणी के तहत नहीं आता.

वीजा बनाम शरणार्थी दर्जा

यह एक ही बार देश के अंदर प्रवेश करने के लिए दिया जाता है और इसकी समय सीमा भी तय होती है. नई वीजा श्रेणी के बारे में ये जानकारियां सामने नहीं आई हैं लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इस तरह के वीजा की समय सीमा पहले से तय होगी. कई ऐक्टिविस्ट इसे दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन लोगों को शरणार्थी दर्जा दिया जाए.

अफगानों की मदद के लिए बर्लिन में हो रहा प्रदर्शनतस्वीर: John Macdougall/AFP/Getty Images

1951 में लागू की गई शरणार्थियों के दर्जे पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के अनुसार शरणार्थी उसे माना जाता है जो अपने देश से बाहर है और वो उत्पीड़न के डर से वापस लौट नहीं पा रहा है. भारत ने बीते दशकों में उत्पीड़न से बचने के लिए आए कई देशों के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा दिया है, लेकिन देश ने संयुक्त राष्ट्र की संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

एक अनुमान के मुताबिक भारत में आज करीब 3,00,000 शरणार्थी रहते हैं, लेकिन आज भी देश के पास ना कोई शरणार्थी कानून है ना नीति. इसकी वजह से अक्सर भारत में रह रहे कई शरणार्थियों को अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सरकार जब चाहे उन्हें अवैध आप्रवासी घोषित कर सकती है और फिर विदेशी अधिनियम या पासपोर्ट अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.

और भी देशों से हैं शरणार्थी

इससे पहले भी 1970 और 1990 के दशकों में भारत में अफगान शरणार्थी आए हैं. एक अनुमान के मुताबिक आज भारत में करीब 15,000 अफगान शरणार्थी रहते हैं. इनमें से अधिकतर लंबी अवधि के वीजा पर भारत में रहते हैं. इन्हें एक बार में एक साल रहने के लिए वीजा या परमिट भी दिया जाता है, लेकिन हर एक आवेदक की अच्छे से जांच करने के बाद.

काबुल हवाई अड्डे पर बैठे हुए अफगानतस्वीर: Wakil Kohsar/AFP

ऐक्टिविस्टों का कहना है कि इस समय भारत आ रहे अफगान अपना सब कुछ छोड़ कर आनन फानन में भाग कर आ रहे हैं. लिहाजा भारत का कर्त्तव्य बनता है कि वो उन्हें आर्थिक और हर तरह की मदद दे. शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संस्था राइट्सरिस्क का कहना है कि भारत सरकार को इन्हें वैसी ही मदद मुहैया करानी चाहिए जैसी वो करीब 70,000 तिब्बती शरणार्थियों और करीब 60,000 श्रीलंकाई शरणार्थियों को देता आ रहा है. संस्था ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी अपील की है.

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