पेनल्टी शूटआउट, फुटबॉल के खेल में यह ऐसा लम्हा है, जहां दर्शकों की सांस अटक जाती है. खिलाड़ियों को देखकर तो ऐसा लगता है जैसे पूरे ब्रह्मांड का दबाव उन पर हो. जितना तनाव गोलकीपर पर होता है उतने ही तनाव में किक मारने वाला खिलाड़ी भी होता है.
बीते 20 साल में गोलकीपर और टीम मैनेजमेंट काफी तेज हुए हैं. वो इस बात का पूरा हिसाब किताब रखते हैं कि कौन सा खिलाड़ी किस तरफ पेनल्टी मारता है. आम तौर पर खिलाड़ी बाएं, दाएं, सेंटर में या फिर बॉली बनाकर ऊपर की ओर किक मारते हैं. लेकिन पेनल्टी में बॉली बनाकर गेंद को ऊपर की तरफ मारना रिस्की होता है. बॉल स्विंग करती हुई गोल पोस्ट के बाहर या फिर ऊपर जा सकती है. लिहाजा ज्यादातर खिलाड़ी बॉली किक का जोखिम नहीं लेते.
रविवार को कोपा अमेरिका के फाइनल में मेसी ने यह रिस्क लिया और वही हुआ जिसका डर था. गेंद दाहिनी ओर लहराती हुई गोलपोस्ट के बाहर चली गई. पेनल्टी वो भी गोल के बाहर मारना अपराध जैसा माना जाता है, मेसी इसी अपराध का शिकार हुए.
वैसे बीते कुछ दिनों में यह चौथा मौका है जब बड़े सितारे पेनल्टी में चूके हो. यूरो 2016 में रोनाल्डो, मेसी, ओएजिल और रामोस जैसे खिलाड़ी पेनल्टी में चूके हैं. कोपा अमेरिका कप के फाइनल में चिली के विडाल और अर्जेंटीना के मेसी भी गच्चा खा गए.
असल में पेनल्टी में गोलकीपर और किक मारने वाले के बीच 50-50 का चांस होता है. गोलकीपर सही अंदाजा लगा गया तो गोल रोका जा सकता है. गलत अनुमान लगा तो गोल होगा. आखिरी मौके पर किक बदलना जोखिम भरा होता है, जाहिर है ऐसा जोखिम बड़े खिलाड़ी ही लेते हैं, ज्यादातर मौकों पर वह सफल हो जाते हैं, लेकिन कभी कभार नाकाम भी होते हैं. और उस नाकामी का दबाव बड़े बड़े सितारों को झकझोर देता है.
खिलाड़ियों के लिए संन्यास लेना बेहद भावुक लम्हा होता है. अच्छे खिलाड़ियों के लिए तो यह और मुश्किल और जज्बातों से भरा होता है. एक नजर भावुक होकर खेल को एक झटके में अलविदा कहने वाले खिलाड़ियों पर.
तस्वीर: Getty Images/C. Mason27 नवंबर 2016 को जर्मन ड्राइवर निको रोसबर्ग ने पहली फॉर्मूला वन चैंपियनशिप जीती. जीत का जश्न अभी चल ही रहा था कि पांच दिन बाद रोसबर्ग ने संन्यास का एलान कर सबको हैरान कर दिया. रोसबर्ग ने कहा कि अबू धाबी में रेस से पहले ही उन्हें लग चुका था कि ये उनकी आखिरी रेस है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Xhemajकोपा अमेरिका कप में चिली के खिलाफ पेनल्टी मिस करने से लियोनेल मेसी इतने दुखी हुए कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास का एलान कर दिया. फाइनल में अर्जेंटीना चिली से एक बार हार गया. अर्जेंटीना को अब मेसी जैसी महान प्रतिभा के बिना खेलना होगा.
तस्वीर: Reuters/Adam Hunger-USA TODAY Sportsऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान ही मेलबर्न में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा. सर्वकालीन महान कप्तान और खिलाड़ियों में शुमार धोनी की टेस्ट कप्तानी को लेकर कड़ी आलोचना हो रही थी. मेलबर्न टेस्ट ड्रॉ होते ही धोनी से क्रिकेट के सफेद कपड़े टांग दिए.
तस्वीर: picture-alliance/Dave Huntक्रिकेट के सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों में शुमार वीरेंद्र सहवाग का संन्यास भी बड़ा अप्रत्याशित रहा. टीम से बाहर होने के बाद सहवाग ने खुद माना कि अब उनके रिफ्लेक्स कमजोर पड़ रहे हैं. 2015 में सहवाग ने अपने 37वें जन्मदिन के मौके पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और आईपीएल को अलविदा कहा. वीरू को बिना फेयरवेल मैच के संन्यास लेने का अफसोस है.
तस्वीर: dapdसिहरन पैदा करने वाली रफ्तार और तेज दिमाग के चलते बल्लेबाजों की हालत खराब करने वाले पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने 2011 में वर्ल्ड कप के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा. वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड से पहला मैच हारने के बाद शोएब को आगामी मैचों में मौका नहीं दिया गया. इससे नाराज होकर उन्होंने बीच वर्ल्ड कप में ही खेल को अलविदा कह दिया.
तस्वीर: APबेल्जियम की जस्टिन हेनिन ने 2008 में मात्र 25 साल की उम्र में संन्यास लेकर सबको चौंका दिया. उस वक्त वह दुनिया की नंबर एक महिला खिलाड़ी थीं. वह लगातार 32 मैच जीत चुकी थीं और सात ग्रैंड स्लैम उनकी झोली में थे. हालांकि 2010 में उन्होंने वापसी की लेकिन कोहनी की चोट के चलते कुछ ही महीनों के भीतर हेनिन ने फिर खेल को अलविदा कह दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Kingtonस्वीडन के ब्यॉर्न बोर्ग को आज भी टेनिस के बड़े सितारों में गिना जाता है. 1973-1983 तक टेनिस कोर्ट में एक छत्र राज करने वाले ब्यॉर्न बोर्ग ने 26 साल की भरी जवानी में खेल को अलविदा कहा. थाइलैंड में एक्जिबिशन मैच के बाद जब बोर्ग से आगामी मैचों की योजना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मेरी कोई योजना नहीं है. मैं संन्यास ले रहा हूं."
तस्वीर: Getty Images/Fox Photosबॉस्केटबॉल के सबसे बड़े खिलाड़ी कहे जाने वाले माइकल जॉर्डन ने 30 साल की उम्र में संन्यास लेकर दुनिया को हैरान कर दिया. 6.6 फुट लंबे जॉर्डन लगातार तीन चैपियनशिप जीत चुके थे. लेकिन जुलाई 1993 में उनके पिता की हत्या कर दी गई. इस घटना ने जॉर्डन को इतना उद्वेलित किया कि उन्होंने खेल को अलविदा कह दिया. जॉर्डन (तस्वीर में दाएं) ने कहा कि उनके भीतर अब खेल के लिए कोई ललक नहीं बची है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमौजूदा दौरे के बेहतरीन लेफ्ट विंगर खिलाड़ियों में शुमार फ्रांस के फ्रांक रिबेरी ने 2014 में अचनाक संन्यास का एलान कर दिया. चोट के कारण वह वर्ल्ड कप नहीं खेल सके, लेकिन वर्ल्ड कप के बाद उन्होंने एक अखबार से बातचीत में संन्यास का एलान कर दिया. फ्रांस के कोच और दूसरे आला अधिकारियों ने रिबेरी को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह संन्यास के फैसले पर अडिग रहे.
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