कई ट्रेन हादसे खराब ज्वाइंट या फिर लचर पटरियों के कारण होते हैं. देखिये तेज रफ्तार ट्रेन को कितना परेशान करते हैं ऐसे रेलवे ट्रैक.
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इस वीडियो को देखकर पता चलता है कि पटरियां लचर होने पर ट्रेन किस मुश्किल से गुजरती है. वीडियो में 100 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती ट्रेन के पहिये का वीडियो है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे तेज रफ्तार हासिल करते ही खराब ज्वाइंट्स के चलते पहिये उछलने लगते हैं.
बढ़िया सस्पेंशन के चलते पहिये और बोगी इस झटके को बर्दाश्त कर लेते हैं. लेकिन अगर सस्पेंशन में खराबी हो तो सुरक्षा खतरे में पड़ेगी. एक बार उछला हुआ पहिया अगर पटरी पर नहीं लौटा तो ट्रेन हादसे की शुरुआत होगी. सबसे पहले एक बोगी पटरी से उतरेगी और फिर उसके पीछे की बोगियां.
हाई स्पीड रेलवे ट्रैक बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि पटरियों के ज्वाइंस बिल्कुल वेल्डिंग फ्री कंडीशन में हों. इसके अलावा पटरियों को बेहद मजबूती से जमीन पर कसा जाता है. भारत के ज्यादातर रेलवे ट्रैक आज भी लकड़ी के ऊपर से गुजरते हैं. लकड़ी के ऐसे स्लैब बहुत ज्यादा रफ्तार को बर्दाश्त नहीं कर पाते.
(ये हैं दुनिया के सबसे खतरनाक रेल रूट)
सबसे खतरनाक रेल रूट
19वीं शताब्दी में आई रेल क्रांति ने दुनिया का चेहरा बदल दिया. एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में उस वक्त बेहद दुस्साहसिक रेल रूट बनाए जा रहे थे. ये रास्ते आज भी इंजीनियरिंग और रोमांच की मिसाल हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Tuul/robertharding
चेन्नई-रामेश्वरम रूट, भारत
समुद्र पर बना 2.06 लंबा पुल दक्षिण भारतीय महानगर चेन्नई को रामेश्वरम से जोड़ता है. 1914 में बनाया गया यह पुल बीच में खुलता भी है और वहां से जहाज और फेरी जाते हैं. कंक्रीट के 145 स्तंभों पर टिके इस पुल को समुद्री लहरों और तूफानों से खतरा बना रहता है. इसके ऊपर ट्रेन पर सफर करना रोमांचक है.
तस्वीर: picture-alliance/Tuul/robertharding
ट्रेन ए लास नुबेस, अर्जेंटीना
इसे ट्रेन ऑफ क्लाउड्स भी कहा जाता है. एंडीज पर्वतमाला से गुजरने वाला यह रास्ता उत्तर पश्चिमी अर्जेंटीना से होता हुआ चिली की सीमा तक जाता है. 27 साल की मेहनत के बाद यह रेल रूट 1948 में बनकर तैयार हुआ. 4,220 मीटर की ऊंचाई पर काम करना इंजीनियरों और कामगारों के लिए बहुत मुश्किल साबित हुआ. जिगजैग आकार के इस रूट पर 29 पुल, 21 सुरंगें और 13 इनलैंड ब्रिज हैं.
तस्वीर: Imago/Therin-Weise
जॉर्जटाउन लूप रेलरोड, अमेरिका
ये रूट है तो सिर्फ 7.2 किलोमीटर का, लेकिन बना पूरा नैरोगेज पर है. 1877 में बना यह रूट 640 फुट की खड़ी चढ़ाई से भरा है. जिन्हें ऊंचाई से नीचे देखने में डर लगता हो, ये उनके लिए नहीं है. इसके पुलों और तीखे मोड़ों पर ट्रेन बहुत ही धीरे और सावधानी से गुजरती है.
तस्वीर: CC by Don O'Brian
व्हाइट पास, अलास्का, अमेरिका
करीब 176 किलोमीटर लंबा यह रेल रूट सन 1900 में खुला. 1982 में कोयला उद्योग के धंसने के बाद इसे बंद करना पड़ा. हालांकि 1988 में इसे पर्यटन के लिए खोल दिया गया. एक तरफ चट्टान और दूसरी तरफ गहरी खाई, कुछ सैलानी तो इस दौरान डर के मारे आंखें बंद कर लेते हैं.
तस्वीर: Imago/All Canada Photos
कुरैंडा सीनिक रेलरोड, ऑस्ट्रेलिया
1882 से 1891 के बीच बना यह 34 किलोमीटर का रास्ता, घने उष्णकटिबंधीय वर्षावन से होकर गुजरता है. यह विश्व धरोहर बैरन नेशनल पार्क और मैकएलिस्टर रेंज को जोड़ता है. इस रास्ते पर कई झरने, तीखे मोड़ और गहरी खाइयां हैं.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
डेविल्स नोज, इक्वाडोर
एंडीज पर्वतमाला में अलाउसी और सिबाम्बे के बीच 12 किलोमीटर लंबा यह रेल ट्रैक सांसें फुला देता है. 1902 में बनाया गया यह रेलवे ट्रैक समुद्र तल से 9,000 फुट ऊपर है. कुछ जगहों पर तो ट्रेन अचानक 500 मीटर ऊंची खड़ी चढ़ाई में चढ़ती है और फिर तीखी ढलान पर मुड़ते हुए नीचे उतरती है.
तस्वीर: cc by Arabsalam
लिंटन एंड लिनमाउथ क्लिफ, यूके
जिस चढ़ाई पर इंसान पैदल न चल सके, वहां एक छोटी सी रेलवे लाइन है. 862 फुट ऊंची यह लाइन लिनमाउथ और लिंटन कस्बे को जोड़ती है. 1990 में से चल रहे इस ट्रैक को आज भी इंजीनियरिंग का मार्बल कहा जाता है.
तस्वीर: CC by Janina Forbes
कम्ब्रेस एंड टोलटेक सीनिक रेलरोड, न्यू मेक्सिको
अमेरिका के न्यू मेक्सिको प्रांत की यह रेलवे लाइन 1880 में बनी. यह अमेरिका की सबसे ऊंची रेलवे लाइन है. रॉकी पर्वतमाला से गुजरने वाले इस रूट पर यहां आज भी कोयले और भाप इंजन की मदद से ट्रेनें चलती हैं.