न्यूजीलैंड के केली मैकगैरी का नाम बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन उनके कारनामों से दुनिया भर के करोड़ों लोगों की सांस अटकत जाती हैं. आखिर क्या करते थे मैकगैरी.
विज्ञापन
रेड बुल रैम्पेज को दुनिया की सबसे कठिन फ्री माउंटेनबाइक चैंपियनशिप माना जाता है. चैंपियनशिप हर साल अमेरिका के उटा प्रांत के जियोन नेशनल पार्क के पास होती है. बीते कुछ सालों से इसमें न्यूजीलैंड के फ्री माउंटेनबाइकर कैली मैकगैरी भी हिस्सा ले रहे थे. 2013 की चैंपियनशिप में वह दूसरे स्थान पर रहे. उन्होंने एक 72 मीटर की छलांग भी लगाई.
इस दौरान उन्होंने अपने हेलमेट पर लगे कैमरे से माउंटेनबाइकिंग का रोमांच शूट किया. दो मिनट के इस वीडियो को अब तक करीब तीन करोड़ बार देखा जा चुका है. वीडियो के दौरान कई दर्शकों को पेट में उथल पुथल जैसी अनुभूति होती है. सांस अटक जाती है. मैकगैरी से ज्यादा दर्शकों को साइकिल के रुकने का इंतजार रहता है.
जिंदगी को इतने चरम पर जीने वाले मैकगैरी 2014 में रेड बुल रैम्पेज के दौरान हादसे का शिकार हुए. उनकी साइकिल के दोनों रिम जम्प के झटके को बर्दाश्त नहीं कर पाए. मैकगैरी को काफी चोट आई. लेकिन 34 के मैकगैरी ने वापसी की और फिर से माउंटेनबाइकिंग की दुनिया में लौट आए. लेकिन न्यूजीलैंड में एक प्रतियोगिता के दौरान वह फिर हादसे का शिकार हुए. इस बार चोट बहुत घातक साबित हुई. फरवरी 2016 में फ्री माउंटेनबाइक के इस सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
शिखर पर साहस
टॉमी कॉल्डवेल और केविन जॉर्गेसन ने दुनिया की सबसे मुश्किल चट्टान एल कपिटान पर फतह पा ली है. कैलिफोर्निया के योशेमाइट नेशनल पार्क की इस चट्टान को दोनों रॉक क्लाइंबरों ने सिर्फ हाथ और पैरों के बल पर जीत लिया.
तस्वीर: picture-alliance/AP//Ben Margot
सबसे मुश्किल रॉक क्लाइंबिंग
अब तक ज्यादातर लोगों ने एल कपिटान की चढ़ाई को नामुमकिन बताया. 900 मीटर की ये चट्टान एकदम सीधी सी है. रॉक क्लाइंबिंग के लिए इसे दुनिया की सबसे मुश्किल चट्टान कहा जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP//Ben Margot
सहारे की कोई जगह नहीं
टॉमी और केविन ने अपनी चढ़ाई 27 दिसंबर को शुरू की. सिर्फ हाथ और पैरों के सहारे एल कपिटान पर चढ़ने के अभियान को कई लोगों ने दुस्साहस कहा. दोनों ने इंच-इंच करके ये चढ़ाई पूरी की. दुर्घटना की स्थिति में बचने के लिए उन्होंने रस्सी और खूंटे इस्तेमाल किए.
चढ़ाई 19 दिन में पूरी हुई. इस दौरान दोनों फ्री क्लाइंबर्स चट्टान पर ही रहे. उन्होंने वहीं खाना पीना खाया और बिस्तर भी वहीं लगाया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Tom Evans
अंधेरे का डर नहीं
दिन में तपती चट्टान की वजह से उनके हाथों में छाले पड़ गए. इसके बाद टॉमी और केविन ने शाम को चढ़ाई करने का फैसला किया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Tom Evans
जांबाजों का सपना
एल कपिटान के शिखर तक पहुंचने के करीब 100 रास्ते है. 1958 में पहली बार क्लाइंबर इसके ऊपर चढ़े. मुश्किल मानी जाने वाली डॉन वॉल को भी 1970 में जीत लिया गया. लेकिन यह पहला मौका है जब किसी ने सिर्फ हाथ पैर की मदद से इसे जीता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP//Ben Margot
बरसों की मेहनत
केविन जॉर्गेसन (बाएं) और टॉमी कॉल्डवेल (दाएं) ने 2010 में भी इस चट्टान पर फ्री क्लाइंबिंग करने की कोशिश की थी. लेकिन तब तूफान की वजह से अभियान रोकना पड़ा. 2011 में की गई दूसरी कोशिश के दौरान केविन की एड़ी टूट गई.
गायलेना जॉर्गेसन (बीच में) और टेरी कॉल्डवेल अपने बच्चों को चोटी पर देखकर झूम उठे. टेरी के मुताबिक उनका बेटा कई दिन पहले ऊपर पहुंच सकता था लेकिन उसने अपने दोस्त का साथ दिया और दोनों एक साथ ऊपर पहुंचे. दोनों क्लाइंबर छह साल से भी ज्यादा समय से गहरे दोस्त हैं.