बच्चे बेहद मासूम, भोले और निडर होते हैं. लेकिन इसी खूबी के चलते वो कई बार गजब की शरारत कर बैठते हैं.
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बच्चों के सामने ढंग से व्यवहार करें. यह सलाह यूं ही नहीं दी जाती. असल में बच्चे बड़ों की देखा देखी करते हैं. लेकिन ऐसा करने में वे कई बार ऐसा कुछ कर जाते हैं कि लोग हंस हंस के पागल हो जाते हैं. अलग अलग क्लिप्स और तस्वीरों से तैयार किया गया यह वीडियो, ऐसे ही पलों को दिखाता है.
कभी वो पेंट में लथपथ दिखाई पड़ते हैं, तो कभी मासूमियत से बड़ों को परेशान करते हुए. असल में बच्चों को न तो चोट का डर होता है, न ही मृत्यु का. उन्हें इन चीजों का जरा भी अंदेशा नहीं होता है. लिहाजा वो कहीं भी घुस जाते हैं.
मनोविज्ञान पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इंसान पांच साल की उम्र तक 80 फीसदी चीजें सीख जाता है. उसके बाद पूरी जिंदगी वह सिर्फ 2 से 10 फीसदी चीजें सीखता है. बड़े होकर हम किस परिस्थिति में कैसे व्यवहार करेंगे इसकी कुंजी भी हमारे बचपन में छुपी है.ॉ
बातें, जो हम याद नहीं रखना चाहते
बचपन, इंसान के लिए ये परिलोक सा समय होता है. बचपन में हर कोई धीरे धीरे जिंदगी की तालीम ले रहा होता है. इस दौरान कई चीजें होती हैं जो बड़े होकर हम याद नहीं रखना चाहते है.
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नाक चाटना
सर्दी या जुकाम होने पर नाक बहती है. आम तौर पर दुनिया भर में ज्यादातर बच्चे नाक से बहने वाले लसलसे पदार्थ को चाटते हैं और नाक साफ करवाने से भागते हैं.
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बिस्तर गीला करना
रात में सोये और सुबह देखा तो बिस्तर गीला. बचपन में ऐसा होना बहुत सामान्य बात है. लेकिन बड़े होने के बाद लोग इसे याद नहीं रखना चाहते.
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कपड़ों में पॉटी करना
दुनिया का हर शख्स बचपन में इस प्रक्रिया से गुजर चुका है. मां को या घरवालों को बच्चों को ढंग से पॉटी करना सिखाने में काफी वक्त लगता है. इसके बावजूद कभी कभार बच्चे स्कूल से लौटते हुए कपड़ों में पॉटी कर ही देते हैं.
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सब कुछ मुंह में डालना
घुटनों के बल चलते हुए बच्चे जमीन पर जो मिला उसे उठा लेते हैं और मुंह में डाल देते हैं. कुछ बच्चे अंगूठा भी चूसते हैं. बड़े होकर लोग यह चर्चा ही नहीं करते कि वो बचपन में क्या क्या खा लिया करते थे.
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जबरदस्त जिद करना
साल भर के होने और धीरे धीरे चलना शुरू करने के बाद बच्चे आम तौर पर बहुत जिद्दी होने लगते हैं. अगर उनकी जिद पूरी न की जाए तो वो या तो नाराज हो जाते हैं या रोने लगते हैं. कभी कभार तो वो जिद से मां बाप को भी शर्मिंदा कर देते हैं.
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आंख में साबुन जाने पर रोना
कुछ बच्चे नहाने से घबराते हैं तो कुछ शौक से नहाते हैं, लेकिन दोनों ही स्थितियों में अगर आंख में साबुन गया तो वो बुरी तरह रोने लगते हैं. बड़े होने के बाद भी आंख में साबुन जाने पर जलन तो होती है लेकिन रोना नहीं होता.
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तेज आवाज से घबराना
प्रेशर कुकर की सीटी बजे, कुत्ता भौंके, हॉर्न बजे या कोई जोर से बोले, लाड़ प्यार के बीच पहले वाले बच्चे अचानक तेज आवाज से घबरा जाते हैं और रोने लगते हैं.
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गोद में आना और जाना
एक बार चलना सीखने के बाद बच्चे हर वक्त चलना चाहते हैं. थकने के बाद वो गोद में उठाने की जिद करते हैं और पर्याप्त आराम मिलते ही फिर से नीचे रखने की जिद.
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सामान तितर बितर करना
बच्चे जो हाथ लगा उसे उठा लेते हैं और कहीं रख या फेंक देते हैं. बच्चों की इन हरकतों के कारण कई बार परिवार के लोग चाबियां, चश्मा या जूता खोजते खोजते परेशान हो जाते हैं.
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सुई लगाने पर रोना
बच्चों को इंजेक्शन लगवाना या उनके बाल या उनके नाखून काटना, ये आसान काम नहीं. ज्यादातर बच्चे इस दौरान इतना रोते हैं कि दिल पसीज जाता है लेकिन मन मारकर ये काम तो करने ही पड़ते है.