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वीडियो: बदलनी है बस एक सोच

३१ मार्च २०१६

हर साल 31 मार्च को 'इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी' (टीडीओवी) मनाने की शुरुआत को कुछ ही साल हुए हैं. एक वीडियो बहुत ही सरलता से हमें ट्रांसजेंडर लोगो के प्रति भेदभाव बरतने के बर्ताव का आईना दिखा जाता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh Nv

स्त्री, पुरुष या ट्रांसजेंडर - हर व्यक्ति को अपने अस्तित्व को खुल कर जीने का अधिकारी है. कई बार जाने-अनजाने में तीसरे लिंग वाले लोगों को समाज में तरह तरह की उलाहना या तिरस्कार झेलना पड़ जाता है. समाज में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के लिए सक्रिय रूप से काम करने वाले कुछ संगठन तो हैं, लेकिन यह संदेश हर किसी तक हम सबको पहुंचाना होगा. इसी सोच के साथ 'ट्रांसजेंडर मिशिगन' की प्रमुख रेचेल क्रैंडल ने 2010 में टीडीओवी मनाने की शुरुआत की.

1994 में स्थापित भारत का एक सामुदायिक संगठन 'हमसफर ट्रस्ट' समलैंगिकों, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर लोगों के साथ काम करता आया है. इस संदेश को फैलाने वाला यह वीडियो दिखाता है कि छोटी छोटी बातें कितना बड़ा बदलाव ला सकती हैं.

हिंसा और भेदभाव के शिकार बनते आए ट्रांसजेंडर लोगों को समाज में आम जीवन जी सकने का पूरा अधिकार दिलाने के लिए लोगों में इसकी जागरूकता लानी होगी. ऐसे वीडियो और वर्कशॉप के माध्यम से कई संगठन यह बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन असली बदलाव तो तभी आएगा जब हम सब अपना रवैया ठीक कर किसी भी महिला, पुरुष या ट्रांसजेंडर से लैंगिक भेदभाव ना बरतें.

आरपी/आईबी

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