ज्यादातर भारतीय महिलाएं, रोज आंखों से होने वाले यौन हमले सहती हैं. कभी उनके वक्ष को घूरा जाता है तो कभी कामुक नजरें उनके शरीर को स्कैन करती हैं. इस वीडियो के जरिये ऐसे समाज को कड़ा संदेश दिया गया है.
तस्वीर: Fotolia/Mr Korn Flakes
विज्ञापन
भारत में यौन दुर्व्यवहार आम जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन चुका है कि वह हर जगह दिखाई पड़ता है, यहां तक की दफ्तरों में भी. समाज में शिक्षा का विस्तार होने के बावजूद कई लड़कों को लगता है कि महिलाओं के शरीर को अपनी नजरों से टटोलना उनका अधिकार है. कई पुरुष तो बेशर्मी से साथ घूरने लगते हैं. कई बार बहाना खोजकर बेवजह छूते भी हैं.
घर से बाहर निकलने वाली ज्यादातर महिलाएं शाम तो ऐसी ही यातनाएं झेलते हुए वापस लौटती हैं. पुरुषों की तरह वह भी चाहती हैं कि वे कहीं पर आराम से बैठकर बातचीत कर सकें. कोई पहनावे से उनके चरित्र का मूल्यांकन न करें. गर्मी लगने पर उन्हें भी कुर्ता या टीशर्ट फटकाते हुए हवा मारने की इच्छा होती है. लेकिन वो चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाती हैं.
शाना अहमद ने अपनी शॉर्ट फिल्म के जरिये ऐसे लोगों को एक कड़ा संदेश दिया है. उनकी फिल्म अंतरात्मा को झकझोरते हुए सवाल करती है कि क्या यही सभ्यता और शिक्षा का निचोड़ है.
(महिलाओं के खिलाफ अजीबोगरीब कानून)
महिलाओं के खिलाफ अजीबोगरीब कानून
महिलाओं के खिलाफ दुनिया भर से आने वाली शोषण और अत्याचार की खबरें आम हैं. कई देशों में महिलाओं के खिलाफ ऐसे कानून हैं जो उनके मानवाधिकारों का गला घोंटते दिखते हैं...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Romain Fellen
शादीशुदा महिला का बलात्कार
दिल्ली में 2012 के निर्भया कांड के बाद दुनिया भर में भारत की थूथू हुई. लेकिन एक साल बाद ही कानून में एक नई धारा जोड़ी गई जिसके मुताबिक अगर पत्नी 15 साल से ज्यादा उम्र की है तो महिला के साथ उसके पति द्वारा यौनकर्म को बलात्कार नहीं माना जाएगा. सिंगापुर में यदि लड़की की उम्र 13 साल से ज्यादा है तो उसके साथ शादीशुदा संबंध में हुआ यौनकर्म बलात्कार नहीं माना जाता.
तस्वीर: AP
अगवा कर शादी
माल्टा और लेबनान में अगर लड़की को अगवा करने वाला उससे शादी कर लेता है तो उसका अपराध खारिज हो जाता है, यानि उस पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. अगर शादी फैसला आने के बाद होती है तो तुरंत सजा माफ हो जाएगी. शर्त है कि तलाक पांच साल से पहले ना हो वरना सजा फिर से लागू हो सकती है. ऐसे कानून पहले कोस्टा रीका, इथियोपिया और पेरू जैसे देशों में भी होते थे जिन्हें पिछले दशकों में बदल दिया गया.
तस्वीर: SHAH MARAI/AFP/Getty Images
सुधारने के लिए पीटना सही
नाइजीरिया में अगर कोई पति अपनी पत्नी को उसकी 'गलती सुधारने' के लिए पीटता है तो इसमें कोई गैरकानूनी बात नहीं मानी जाती. पति की घरेलू हिंसा को वैसे ही माफ कर देते हैं जैसे माता पिता या स्कूल मास्टर बच्चों को सुधारने के लिए मारते पीटते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/PIXSELL/Puklavec
ड्राइविंग की अनुमति नहीं
सऊदी अरब में महिलाओं का गाड़ी चलाना गैरकानूनी है. महिलाओं को सऊदी में ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं दिया जाता. दिसंबर में दो महिलाओं को गाड़ी चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया. इस घटना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संस्थानों ने आवाज भी उठाई.
तस्वीर: Reuters
पत्नी का कत्ल भी माफ
मिस्र के कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को किसी और मर्द के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखता है और गुस्से में उसका कत्ल कर देता है, तो इस हत्या को उतना बड़ा अपराध नहीं माना जाएगा. ऐसे पुरुष को हिरासत में लिया जा सकता है लेकिन हत्या के अपराध के लिए आमतौर पर होने वाली 20 साल तक के सश्रम कारावास की सजा नहीं दी जाती.