रियाल मैड्रिड बनाम एफसी बार्सिलोना, क्लब फुटबॉल के इतिहास में इससे दिलचस्प कोई मुकाबला नहीं. यही वजह है कि सिर्फ इसी मुकाबले को एल क्लासिको कहा जाता है. इसका खुमार किसी भी फाइनल या चैंपियंस लीग से भी ज्यादा होता है. लेकिन इसी होड़ में जमकर हंगामा भी होता है. बड़े से बड़े खिलाड़ी भी इस दौरान आपा खो देते हैं. एक दूसरे को किसी भी तरह हराने के चक्कर में मैदान पर कई बार गुस्से से भरे दृश्य भी दिखते हैं.
सर्वश्रेष्ठ क्लबों में शुमार इन टीमों के लिये दुनिया के चुनिंदा बेहतरीन खिलाड़ी फुटबॉल खेलते हैं. रियाल मैड्रिड के लिए जहां क्रिस्टियानो रोनाल्डो, गेरथ बेल, करीम बेंजमा, सेर्गियो रामोस, टोनी क्रूज और मार्सेलो जैसे स्टार पिच पर उतरते हैं, तो बार्सिलोना की जर्सी में लियोनेल मेसी, लुई सुआरेस, नेमार जूनियर, आंद्रेया इनिएस्ता और पिके जैसे बड़े नाम दिखते हैं.
बीते 30 साल से इन क्लबों के लिए बड़े बड़े खिलाड़ी खेलते रहे हैं. चाहे वो ब्राजील के रोनाल्डो हों, फ्रांस के जिदान या फिर रोनाल्डिनियो या पुयोल. दोनों टीम को मैच सिर्फ एक स्तर पर नहीं खेला जाता, बल्कि इसके कई आयाम होते हैं. स्टार खिलाड़ी इस मुकाबले को व्यक्तिगत जोर आजमाइश से रूप लेते हैं, कोचों के लिए खुद को ज्यादा बड़ा रणनीतिकार साबित करने का मौका होता है और फैंस के लिए नाक ऊंची करने का चांस. इस दौरान सब होता है, 90 मिनट का जबरदस्त खेल, उस दौरान कई बार झगड़ा, हार, जीत, रेफरी की शिकायत, बाद में फैंस की झड़प, शायद यही एल क्लासिको है.
(फुटबॉल के ड्रामेबाज)
फुटबॉल के कुछ बड़े खिलाड़ी, ड्रामेबाजी में भी अव्वल होते हैं. विरोधी टीमों को उनके ड्रामेबाजी के हुनर से भी निपटना पड़ता है. तस्वीरों में वर्ल्ड कप के टॉप-7 ड्रामेबाज.
तस्वीर: Reutersनीदरलैंड्स के स्टार स्ट्राइकर आर्यन रोबेन, जितने मशहूर अपने खेल के लिए हैं, उतनी ही शोहरत उन्होंने ड्रामेबाजी में भी हासिल की है. मैच के दौरान उन्हें विपक्षी खिलाड़ी ने अगर छू भी दिया तो रोबेन चीखते हुए गिर पड़ते हैं और पेनल्टी मांगने लगते हैं. मेक्सिको के खिलाफ उन्हें ऐसे ही पेनल्टी मिली.
तस्वीर: Reutersसुआरेस को लोग अब उरुग्वे के स्टार स्ट्राइकर के साथ साथ स्टार बाइटर यानी काटने वाला भी कह रहे हैं. विपक्षी खिलाड़ियों को दांत गड़ाने वाले सुआरेस ऐसा दिखावा करते हैं जैसे विपक्षी टीम मैदान पर उनका शोषण कर रही हो.
तस्वीर: JAVIER SORIANO/AFP/Getty Imagesस्पेन के स्ट्राकर डियागो कोस्टा, हुनर के बजाए ड्रामे से खेल को ज्यादा प्रभावित करते हैं. वो बिना किसी के छुए भी गिर पड़ते हैं और पेनल्टी, पेनल्टी कहने लगते हैं. ड्रामे की ही बदौलत वो नीदरलैंड्स के खिलाफ एक पेनल्टी पाने में सफल हुए.
तस्वीर: Reutersजर्मनी के स्टार स्ट्राइकर भी हाल के बरसों में मैदान पर बहुत ड्रामा करने लगे हैं. हल्की सी छुअन छुआई में मुलर भी चीख उठते हैं. उनके ड्रामे से तंग आकर पुर्तगाल के पेपे ने म्यूलर से सिर लड़ा दिया, नतीजा हुआ रेड कार्ड.
तस्वीर: picture-alliance/dpaखुद फाउल करना लेकिन ऐसा दिखाना जैसे गलती सामने वाले खिलाड़ी ने की हो, इस कला में बिजली जैसी रफ्तार वाले इटली के स्टार स्ट्राइकर मारियो बालोटेली काफी आगे हैं. तस्वीर में नौ नंबर की जर्सी पहने बालोटेली.
तस्वीर: Reutersहॉलैंड के गोलकीपर टिम कुर्ल पेनाल्टी जैसे मौकों पर साइकोटेरर का सहारा लेते हैं. वो विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को लगातार बरगलाते हैं. कोस्टा रिका के खिलाफ कुर्ल लगातार कहते रहे, "मुझे पता है, तुम कहां मारोगे."
तस्वीर: picture-alliance/dpaब्राजील के नेमार जूनियर भी मैदान पर जरूरत से ज्यादा नाटक करते हैं. यही वजह रही कि कोलंबिया के खिलाफ जब नेमार को गंभीर चोट लगी तो रेफरी ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया.
तस्वीर: Reuters ओएसजे/आरपी