आधुनिक जहाजों में खराब मौसम और तूफान का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक उपकरण होते हैं. लेकिन इनके बावजूद कप्तान और उनका दल कभी कभार समुद्री तूफानों में फंस ही जाता है. किसी भी कप्तान के लिए यह सबसे चुनौती भरा समय होता है.
तेज समुद्री तूफान अपनी शक्तिशाली लहरों से विशाल और करोड़ों टन वजनी पानी के जहाज को खिलौने की तरह उछालने लगता है. ऐसे भी मामले दर्ज किए गए हैं जब जहाज 30 फुट ऊपर तक उछल गया. उस उछाल के बाद जहाज जब वापस समुद्र से टकराता है तो वो निर्णायक पल होता है.
आम तौर पर जहाजों में कई जीवन रक्षक लाइफ बोटें होती हैं. उन नावों में कुछ दिनों के लिए खाना और पानी भी होता है. अगर चालक दल तूफान में बुरी तरह फंस जाए तो वह तटरक्षक बलों को आपातकालीन संदेश भेजता है.
हालांकि बेहतर तकनीक के चलते अब चालक दल को कम से कम 20 किलोमीटर पहले ही तूफान वाले इलाके का पता चल जाता है. नेवीगेशन की मदद से वो रास्ता बदल लेते हैं और तूफानी इलाके को पार कर फिर से अपने रूट पर लौट आते हैं.
लेकिन जरा सोचिए आज से 200 साल पहले लकड़ी की सामान्य नावों में नाविकों ने किस साहस के साथ समुद्र की यात्रा की होगी. तब न तो नेवीगेशन था और न ही मौसम बताने वाले उपकरण.
चक्रवाती तूफान जब भी आते हैं, तबाही लाते हैं और पीछे भयावह मंजर छोड़ जाते हैं. कैसे उठते हैं ये तूफान और ये कितने तरह के होते हैं, देखें यहां तस्वीरों में..
तस्वीर: Fotolia/Daniel Lorettoओडिशा के गोपालपुर में हुदहुद तूफान के दौरान अपनी छतरी को संभालता हुआ एक शख्स. तूफान की वजह से तटीय इलाकों में पेड़ उखड़ गए और बिजली सप्लाई भी ठप रही. तूफान के कारण हुई दुर्घटनाओं में आठ लोगों की मौत हो गई.
तस्वीर: Reuters/Stringerहुदहुद से विशाखापट्टनम और श्रीकाकुलम जिलों में बिजली के सैकड़ों खंभे और टॉवर गिर गए. टेलीविजन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित होने से करीब 18 लाख की आबादी वाले इस शहर का देश के बाकी हिस्से से संपर्क टूट गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/STRकेंद्र और राज्य सरकारों ने हुदहुद से निपटने के लिए पहले ही तैयार कर रखी थी. तूफान के टकराने के पहले ही लाखों लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा दिया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Routनियोगुरी चक्रवाती तूफान ने दक्षिण पश्चिमी जापान के ओकिनावा में पहुंचा. 216 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाले इस तूफान से पहले समंदर में करीब 14 मीटर ऊंची लहरें उठीं.
तस्वीर: Reutersफिलीपींस में तबाही मचाने वाला हैयान तूफान रिकॉर्डों के मुताबिक अब तक का सबसे शक्तिशाली तूफान बताया गया. वैज्ञानिकों को लगता है कि जलवायु परिवर्तन तूफानों को और ताकतवर बना रहा है. हालांकि वो अभी तक इस बात पर पूरी तरह से यकीन नहीं कर रहे हैं.
तस्वीर: Reutersतूफान, आंधी और चक्रवात, तीनों नाम सागर में उठने वाले बवंडर के लिए हैं. उत्तरी अमेरिका के तटीय इलाकों में आने वाले बवंडर को हरिकेन कहा जाता है. पूर्वी और दक्षिण पूर्व एशिया में टाइफून और भारत में इसे चक्रवात का नाम दिया गया है. हालांकि नाम अलग होने के बाद भी वो एक ही तरह से विकसित होते हैं..
तस्वीर: dapdउष्णकटिबंधीय तूफान समंदर के ऊपर बनता है जहां पानी का तापमान कम से कम 26 डिग्री होता है और गर्म पानी भाप में तब्दील होता रहता है. भांप बना पानी संघनित होता है और हवा गर्म हो जाती और अपने साथ ठंडी हवा को खींचने लगती है. इस के बाद तूफान आता है.
धरती के घूमने के कारण हवा 50 किलोमीटर चौड़ी तूफान की आंख के चारों तरफ घूमने लगती है. आंखों का अंदरूनी हिस्सा बादल रहित और करीब करीब बिना हवा का होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजब एक बवंडर तट से टकराता है, तो उसकी ताकत गर्म पानी के अभाव में कम हो जाती है. बवंडर के साथ समुद्र से उठा पानी अक्सर भारी तबाही मचाता है. अगस्त 2011 में चीन में नानमदोल बवंडर ने भारी तबाही मचाई थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaअटलांटिक महासागर के तूफानों में हरिकेन सैंडी सबसे ज्यादा ताकतवर था. सैंडी से लहरें 4 मीटर ऊपर तक उठी, कई पेड़ उखड़ गए, बिजली सप्लाई ठप हो गई और कई जगह आग लग गई. 145 किलोमीटर की रफ्तार वाले सैंडी ने क्यूबा, न्यू यॉर्क और न्यू जर्सी सहित कई देशों में तबाही मचाई.
तस्वीर: Reutersटोर्नेडो ऐसे चक्रवात हैं जो वहां आ सकते हैं जहां आंधी आई हो. स्थानीय तापमान में अंतर के कारण गर्म हवा ऊपर और ठंडी हवा नीचे आती है. गर्म हवा का कॉलम बढ़ती हुई गति से ऊपर उठता है. इसका व्यास अधिकतर एक किलोमीटर तक होता है.
हर चीज उखाड़ने वाला बवंडर कई किलोमीटर तक एक ही ताकत के साथ चलता है. मध्य पश्चिमी अमेरिका में यह साल में कई बार आता है.
तस्वीर: Fotolia/Daniel Loretto