दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला की हांफती हुई अर्थव्यवस्था अब आईसीयू में जा चुकी है. सरकार ने फैसला किया है कि करेंसी से 5 शून्य को हटा दिया जाएगा. इसका मतलब 1 लाख बोलिवर की कीमत 1 बोलिवर के बराबर हो जाएगी.
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान लगाया है कि 2018 के अंत तक वेनेजुएला में महंगाई दर 10 लाख प्रतिशत तक हो जाएगी. इस भविष्यवाणी के बाद ही राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने ऐलान है किया कि देश की बोलिवर मुद्रा में 1 लाख कीमत वाले नोट से पांच शून्य को हटाया जाएगा. इसकी कीमत 1 बोलिवर जितनी हो जाएगी. यानि वेनेजुएला में महंगाई का यह आलम है कि सरकार ने करेंसी की फेसवैल्यू (नोट पर छपा अंक) घटाने का फैसला करना पड़ा है.
इससे पहले सरकार की कोशिश थी कि 3 शून्य वाले नोटों से शून्य हटाए जाएं (1,000, 2,000 और 5,000), लेकिन आईएमएफ की भविष्यवाणी ने उसे बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया. नए नोट 20 अगस्त, 2018 से मिलने शुरू हो जाएंगे. आईएमएफ का अनुमान है कि वेनेजुएला की हालत पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी और हाल के दशकों में जिमबाव्बे की अर्थव्यवस्था जैसी है. राष्ट्रपति मादुरो ने नए कदम पर कहा है, ''ऐसा महंगाई पर लगाम लगाने के लिए किया गया है.''
तेलों का उत्पादन करने वाले संगठन ओपेक (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़) के सभी देशों की अर्शव्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है. 2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत घटने के बाद चरमराई व्यवस्था से वेनेजुएला समेत कई देश प्रभावित है. वेनेजुएला के कुल निर्यात में 96% हिस्सेदारी अकेले तेल की है. तेल की गिरती कीमतों की वजह से वहां की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. चार साल पहले तेल की कीमत पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. वित्तीय संकट की वजह से सरकार लगातार नोट छापती रही जिससे हाइपर मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो गई और वहां की मुद्रा बोलिवर की कीमत लगातार घटती रही. समाजवादी अर्थव्यवस्था को अपनाने वाले वेनेजुएला ने अपनी नीतियों में दशकों तक सब्सिडी दी है.
क्यों घुटनों पर गिरा वेनेजुएला
तेल के अकूत भंडार पर बैठे देश वेनेजुएला में ऐसा क्या हो गया कि आज देश कई तरह के संकट से गुजर रहा है और पूरा तंत्र ध्वस्त होने की कगार पर है.
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विरोध प्रदर्शन
शुरुआत हुई मार्च के अंत में आए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से. विधायिका से सभी शक्तियां छीन लेने का फैसला आया था, जिसके जवाब में देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे. अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बाद राष्ट्रपति निकोलास मादुरो ने फैसला पलट दिया. लेकिन तब तक जनता सड़कों पर थी और रूकने को तैयार नहीं थी.
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पैसों का नहीं रहा कोई मोल
मार्च से वेनेजुएला में मुद्रास्फीति दर 220 प्रतिशत को भी पार कर गयी है. देश का सबसे बड़े नोट, 100 बोलिवार, का मोल साल के अंत तक आते आते 0.04 डॉलर से भी कम हो गया था. घर की रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए भी बोरियों में भर कर पैसे ले जाने पड़ते.
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बढ़ती भूखमरी
बीते साल करीब 80 फीसदी खान पान की चीजें और दूसरी जरूरी चीजों की भारी कमी रही. वेनेजुएला के लोग हर हफ्ते 30 घंटे से ज्यादा समय दुकानों से सामान खरीदने के लिए खड़े होने में बिताते हैं. राष्ट्रपति मादुरो इस कमी का दोष अमेरिका के सट्टेबाजी कारोबार पर डालते हैं. विपक्ष कहता है कि सरकार ठीक से प्रबंधन नहीं कर पायी.
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स्वास्थ्य संकट 'युद्ध के हालात जैसा'
कोलंबिया में वेनेजुएलावासी मेडिकल सप्लाई इकट्ठी कर रहे हैं, ताकि उन्हें घर भेज सकें. पूरे देश के अस्पतालों में ऐसे हालात हैं जैसे युद्ध काल में होते हैं. मरीजों की मौत हो रही है, मलेरिया और डेंगू से लोग मारे जा रहे हैं.
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तेल भंडारों का क्या
बिजली खूब कटती है. ईंधन की कमी है. वेनेजुएला के जिन लोगों के पास तेल के इतने भंडार हैं, वे बेहाल हैं. 2014 में तेल की कीमतों में आयी 50-फीसदी तक की कमी से तेल पर निर्भर देश की हालत चरमरा गयी. 2013 में तेल से 80 अरब डॉलर आय हुई थी. वहीं 2016 में केवल 20 अरब डॉलर.
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आर्थिक संकट की जड़ें
2013 में गुजरे हूगो चावेज ने एक ऐसा देश छोड़ा था जहां गरीबी दर कम थी. शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहतर था और आर्थिक वृद्धि हो रही थी. लेकिन उन्हीं की सोशलिस्ट परंपरा का एक असर कुप्रबंधन भी था. ना केवल उनके कदमों से देश की तेल कंपनियों पर नियंत्रण काफी नहीं था, बल्कि वे 2006 से ही तेल उत्पादन घटने के बावजूद इस पर काफी खर्च करते गये.
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मादुरो ने भी आगे बढ़ाया
चावेज के चुने हुए उत्तराधिकारी मादुरो को भी सत्ता में चार साल हो गए और दो और साल बाकी हैं. विपक्ष उनसे कुर्सी खाली करने की मांग करता रहता है और उन्हें आर्थिक बर्बादी का जिम्मेदार बताता है. मादुरो पर विपक्ष अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाता है.
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सरकार विपक्ष के पीछे पड़ी
इसी साल अप्रैल में मादुरो ने विपक्ष के नेता हेनरिक कैपरिलेस को चुप कराने के लिए उन्हें 15 साल के लिए किसी सरकारी पद को संभालने के लिए अयोग्य घोषित करवा दिया. उन पर "प्रशासनिक गड़बड़ियों" का आरोप लगाया गया. कैपरिलेस के नेतृत्व में मादुरो के नाम पर जनमत संग्रह कराने का आंदोलन चल रहा था. इससे प्रदर्शनकारी और भड़क उठे.
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विपक्ष और विद्रोही हुआ
विरोध प्रदर्शनों के अलावा, विपक्ष ने करीब 20 लाख लोगों के हस्ताक्षर इकट्ठा किए हैं. इनकी मांग मादुरो के नाम पर रेफरेंडम कराए जाने की है. यह अनिवार्य संख्या से करीब 10 गुना ज्यादा है. सुप्रीम कोर्ट विरोधी की एक कार्रवाई में विपक्ष ने मादुरो के खिलाफ एक सांकेतिक सुनवाई भी करवायी.
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सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन
पिछले सितंबर में 10 लाख से भी अधिक नागरिक काराकस में सड़कों पर उतरे थे. विपक्ष ने 19 अप्रैल को फिर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. इसे वे "मदर ऑफ ऑल प्रोटेस्ट्स" बता रहे हैं और इसी दिन मादुरो के सत्ता में आने के चार साल पूरे होंगे. (कैथलीन शुस्टर/आरपी)
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मादुरो सरकार का कहना है कि वह राजनीतिक विरोधियों की ओर से शुरू हुए ''आर्थिक युद्ध'' का शिकार है. आरोप लगाया कि पिछले साल विपक्षी दलों को अमेरिका की शह मिली और मादुरो सरकार के खिलाफ कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए. राष्ट्रपति मादुरो का कहना है कि बोलिवर करेंसी में की जा रही इस बड़े पैमाने की तब्दीली का असर हालिया लॉन्च हुई क्रिप्टोकरेंसी पेट्रो पर भी पड़ेगा. हालांकि क्रिप्टोकरेंसी के विशेषज्ञ मानते हैं कि पेट्रो में लोगों का विश्वास नहीं है क्योंकि मादुरो सरकार ने देश की अर्शव्यवस्था और मुद्रा का प्रबंधन सही तरीके से नहीं किया.
जूता मरम्मत के 20 अरब
वेनेजुएला में अप्रैल महीने में महंगाई 234 प्रतिशत की नई ऊंचाई पर पहुंच गई थी. इसका मतलब है कि वहां हर साढ़े सतरहवें दिन कीमतें दोगुनी हो रही है. आज वेनेजुएला में न्यूनतम मजदूरी 1 अमेरिकी डॉलर प्रति माह के करीब है. मई 2018 में 13 लाख के न्यूनतम मासिक वेतन से सिर्फ दो लीटर दूध, चार केन ट्यूना और एक ब्रेड मिल रहा था. जून 2018 में सालाना महंगाई दर 46,000 फीसदी तक आ गई.
इसके असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वेनेजुएला में एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को अपना पुराना जूता मरम्मत करवाने के लिए चार महीने की सैलरी के बराबर 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) देने पड़े. नाई बाल काटने के एवज में अंडे और केले ले रहे हैं. कैब सर्विस लेने के लिए सिगरेट का डब्बा देना पड़ रहा है. रेस्त्रां खाना खिलाने के बदले पेपर नैपकिन ले रहा है. अनाज, दूध, दवाइयों और बिजली का घोर अभाव है. बेरोजगारी बढ़ने के अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है.
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विश्व की राजनीति तेल में सनी रहती है. जिन देशों के पास तेल है, वे या दोस्त हैं या दुश्मन. अमेरिकी एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की यह सूची इसकी झलक भी देती है.