एक काल्पनिक हिंदू आध्यात्मिक गुरु पर बनी वेब सीरीज 'आश्रम' के सेट पर बजरंग दल के सदस्यों ने हमला कर दिया. सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह के समूह कैसे कानून अपने हाथ में ले लेते हैं.
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मामला भोपाल में पुरानी जेल के परिसर का है जहां 'आश्रम' के अगले सीजन के लिए शूटिंग चल रही थी. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कई लोग सेट पर कुछ नारे लगाते हुए दौड़ते हुए नजर आते हैं. फिर वही लोग एक जगह रुक कर एक व्यक्ति की पिटाई करने लगते हैं.
बाद में पुलिस ने पत्रकारों को बताया कि इन लोगों ने सेट पर तोड़ फोड़ भी की, कम से कम तीन बसों के शीशे फोड़ दिए और प्रकाश झा को भी पकड़ कर उनके चेहरे पर स्याही पोत दी.
धर्म के नाम पर
पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी ने भी इस मामले में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन पुलिस इन्हीं वीडियो के आधार पर हमला करने वाले लोगों को पहचानने की और आगे की कार्रवाई करने की कोशिश कर रही है.
मीडिया में आई कुछ खबरों के अनुसार बजरंग दल भोपाल के सदस्य सुशिल सुदेले ने बयान दिया है, "मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें शूटिंग करने की इजाजत दी है, लेकिन हिंदू धर्म को बदनाम करने की इजाजत नहीं दी है."
बजरंग दल के कुछ अन्य सदस्यों के मीडिया में आए बयान के मुताबिक समूह को इस बात पर आपत्ति है कि वेब सीरीज में दिखाया गया है कि एक हिंदू आश्रम के अंदर महिलाओं का शोषण होता है. उनका कहना है कि ऐसा अगर किसी आध्यात्मिक गुरु ने किया है तो सीरीज में उसका नाम लिया जाना चाहिए, लेकिन सभी आश्रमों को बदनाम नहीं करना चाहिए.
वेब सीरीज का विरोध
बजरंग दल के सदस्य चाहते हैं कि सीरीज का नाम बदल दिया जाए. सुदेले का दावा है कि झा ने उनकी मांग मान भी ली है, लेकिन खुद झा ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है.
बजरंग दल को विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि यह आरएसएस के संरक्षण में चलने वाले अनेकों दक्षिणपंथी संगठनों में से एक है. यह विडंबना ही है कि 'आश्रम' के काल्पनिक आध्यात्मिक गुरु का किरदार निभाने वाले अभिनेता बॉबी देओल एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसमें एक नहीं तीन-तीन मौजूदा और पूर्व बीजेपी सांसद हैं.
उनके पिता धर्मेंद्र बीजेपी के सांसद रह चुके हैं, धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी मौजूदा लोकसभा में मथुरा से बीजेपी की सांसद हैं और बॉबी के भाई सनी देओल भी मौजूदा लोक सभा में गुरदासपुर से बीजेपी के सांसद हैं.
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अदालत का भी समर्थन
'आश्रम' से पहले भी बजरंग दल जैसे हिंदूवादी दक्षिणपंथी संगठन कई वेब सीरीज का विरोध कर चुके हैं. वेब सीरीज "तांडव" का विरोध करने में तो बीजेपी के भी कई नेताओं ने अग्रणी भूमिका निभाई. सीरीज के खिलाफ कई स्थानों पर कम से कम 10 एफआईआर दर्ज कराई गई.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में इनमें से एक मामला अभी भी लंबित है. फरवरी 2021 में इस मामले पर सुनवाई करते हुए अदालत ने हिंदू देवी-देवताओं के मजाक का विरोध करते हुए एक लंबी टिप्पणी की थी.
अदालत ने कहा था कि सीरीज को मंच देने वाले कंपनी ने "इस देश के बहुसंख्यक नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ एक फिल्म को स्ट्रीम करने की अनुमति देने में सतर्कता नहीं बरती और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का परिचय दिया." यही नहीं, जज ने हिंदी फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाए जाने का भी कड़ा विरोध किया.
हाल ही में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि वेब सीरीज दिखाने वाली ओटीटी सेवाओं पर कोई नियंत्रण नहीं है और सरकार को इनके लिए एक नियामक व्यवस्था बनानी चाहिए.
भारत: क्या हैं डिजिटल मीडिया के नए नियम
सरकार ने समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं के लिए नए दिशा निर्देश बनाए हैं. इनसे इन तीनों क्षेत्रों में बड़े बदलाव होने की संभावना है, लेकिन जानकार सवाल उठा रहे हैं कि नए नियमों के दुरूपयोग को कैसे रोका जाएगा.
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बड़े बदलाव
यह पहली बार है जब भारत में समाचार वेबसाइटों, सोशल मीडिया और ओटीटी सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बनाए गए हैं. सरकार का कहना है कि इन नियमों के पीछे मंशा इंटरनेट पर आम लोगों को और सशक्त बनाने की है.
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सोशल मीडिया पर जो चीजें नहीं जानी चाहिए
10 तरह के कॉन्टेंट को सोशल मीडिया के लिए वर्जित बना दिया गया है. इसमें शामिल है वो सामग्री जिस से भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा होता हो, जिससे मित्र देशों से भारत के संबंधों पर खतरा होता हो, जिस से पब्लिक ऑर्डर को खतरा होता हो, जो किसी जुर्म को करने के लिए भड़काती हो या जो किसी अपराध की जांच में बाधा डालती हो.
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मानहानि, अश्लीलता पर प्रतिबंध
इस तरह की सामग्री को भी वर्जित कर दिया गया है जिससे किसी की मानहानि होती हो, जिसमें अश्लीलता हो, जिससे दूसरों की निजता का हनन होता हो, लिंग के आधार पर अपमान होता हो, जो नस्ल के आधार पर आपत्तिजनक हो और जिससे हवाला या जुए को प्रोत्साहन मिलता हो.
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शिकायत पर कार्रवाई
सोशल मीडिया कंपनियों को आम लोगों से शिकायत मिलने पर 24 घंटों में उसे दर्ज करना होगा और 15 दिनों के अंदर उस पर कार्रवाई करनी होगी. इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को एक शिकायत निवारण अधिकारी और एक अनुपालन अधिकारी भारत में ही नियुक्त करना होगा.
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वर्जित सामग्री को हटाना होगा
किसी अदालत या किसी सरकारी संस्था से वर्जित सामग्री को हटाने का आदेश जारी होने के 36 घंटों के अंदर सोशल मीडिया कंपनी को उस सामग्री को हटाना होगा.
तस्वीर: Twitter
मासिक रिपोर्ट
सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट भी छापनी होगी जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्हें कितनी और कौन सी शिकायतें मिलीं, उन पर क्या कार्रवाई की गई और कंपनी ने खुद भी किसी वर्जित सामग्री को हटाया या नहीं.
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संदेश भेजने वाले की पहचान
सोशल मीडिया पर फैले रहे उपद्रवी संदेश या पोस्ट को सबसे पहले किसने भेजा या डाला इसकी पहचान सोशल मीडिया कंपनी को करनी होगी और उसके बारे में जांच एजेंसियों को बताना होगा.
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जुर्माना और जेल
सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नियमों का पालन ना करने पर तीन साल से सात साल तक की जेल और दो लाख से 10 लाख रुपयों तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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ओटीटी सेवाओं के लिए नियम
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी सेवाओं को अपने कार्यक्रमों को उम्र के आधार पर पांच श्रेणियों में डालने के लिए, अपने यूजरों की उम्र मालूम करने के लिए और एडल्ट कार्यक्रमों को बच्चों की पहुंच से परे कर देने के लिए कहा गया है.
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समाचार वेबसाइटों के लिए नियम
समाचार वेबसाइटों को प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए पहले से बने हुए नियमों का पालन करना होगा. इसे सुनिश्चित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय एक समिति भी बनाएगा.