वेब सीरीज 'महारानी' पर बिहार में क्यों मचा हंगामा
४ जून २०२१बिहार की राजनीति में अपराध व जातीय समीकरणों की जटिलता समेत अन्य विषयों पर पहले भी फिल्में बनती रहीं हैं. गंगाजल, राजनीति, बाहुबली इसके बेहतर उदाहरण हैं. 80-90 के दशक की याद दिलाती वेबसीरीज महारानी को नंदन सिंह व उमाशंकर सिंह ने लिखा है तथा जॉली एलएलबी फेम वाले सुभाष कपूर ने इसकी रचना की है, करण शर्मा ने निर्देशन किया है. इसमें दिखाया गया है कि बिहार में सालों बाद पिछड़ी जाति का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है. नाम है भीमा भारती. वह पिछड़ों को राजनीति में सबसे ऊपर ले जाने की सोच रखता है. लेकिन सत्ता में आने के बाद उन पर हमला होता है और वे जख्मी हो जाते हैं. कामकाज संभालने के लिए किसी और को सीएम बनाने की नौबत आ जाती है. राजनीति के माहिर खिलाड़ी भीमा पार्टी के बड़े नेताओं को छोड़ अपनी अनपढ़ पत्नी रानी भारती को मुख्यमंत्री बनवा देते हैं.
यह सुनकर आपको भी समझ में गया होगा कि किसकी बात हो रही है. सत्ता में बने रहने की लालसा व राजनीतिक दांव-पेंच की सीख के साथ-साथ रानी भारती के तेवर में बदलाव आता जाता है. वे अपने ‘साहेब' के निर्देशों से इतर स्वतंत्र होकर फैसले लेने लगतीं हैं. भीमा भारती के कई चहेते भी रानी की कार्रवाई की जद में आते हैं. भीमा बस देखते रह जाते हैं. अपने अनुभवों तथा मातहत अधिकारी कावेरी की मदद से रानी भारती बड़े से बड़े प्रतिद्वंदियों का सामना करतीं हैं तथा शासन चलातीं हैं. ठेठ बिहारी अंदाज के साथ-साथ बिहार या यूपी की पृष्ठभूमि वाले किसी फिल्म या सीरियल की तरह कभी-कभी गालियों का भी इस्तेमाल किया गया है. रानी भारती का किरदार अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने तथा भीमा भारती का रोल सोहम शाह ने निभाया है.
क्यों शुरू हुआ वाक्युद्ध
इस सीरीज की परिस्थिति, घटनाक्रम व डॉयलाग विवाद का कारण बन गए हैं. दर्शक भीमा भारती के किरदार को लालू प्रसाद यादव तथा रानी भारती के किरदार को राबड़ी देवी से और कहीं न कहीं नवीन कुमार को नीतीश कुमार से व पूरी सीरीज को इन दोनों के शासन काल से जोड़कर देख रहे हैं. इसमें चारा घोटाले को अन्न घोटाला कहा गया है. महारानी में एक डॉयलाग है जिसमें रानी भारती कहतीं हैं, "हमसे 50 लीटर दूध दुहा लीजिए...500 गोइठा ठोकवा लीजिए, लेकिन एक दिन में इतनी फाइल पर अंगूठा नहीं लगा सकती." इसी तरह एक डॉयलाग में कहा गया है, "...इसके तो पेट में दांत है."
रानी भारती के किरदार को राबड़ी देवी से जोड़े जाने को लेकर उनकी छोटी बिटिया रोहिणी खासी नाराज हैं. सोशल मीडिया में काफी सक्रिय रहने वाली रोहिणी ने ट्वीट कर अपनी मां का बचाव करते हुए बुद्धिजीवियों पर करारा प्रहार किया है. मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की चर्चा करते हुए रोहिणी ने नीतीश सरकार को निशाने पर लिया. अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, "बालिका गृह कांड भी एक धारावाहिक का हिस्सा नहीं था. बिहार के इतिहास में दर्ज हुआ एक ऐसा काला धब्बा है, पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी के द्वारा रचा गया राक्षसी कारनामा है." रोहिणी ने एक अन्य ट्वीट में राबड़ी देवी के शासनकाल में महिलाओं को पीरियड के समय दो दिन की छुट्टी देने को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि वे बिहार की पहली व इकलौती मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने कामकाजी महिलाओं की पीड़ा समझी.
इस बहस में शामिल हुएए वरिष्ठ जदयू नेता व पूर्व मंत्री नीरज कुमार कहते हैं, "बालिका गृह कांड में तो सजा हो रही है. इस सामाजिक कुकृत्य का जैसे ही पता चला सरकार ने त्वरित कार्रवाई की. गुनहगार सलाखों के पीछे हैं." उन्होंने पलटकर पूछा कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में 5263 महिलाओं के साथ कुकृत्य हुआ था. वे बताएं कि उस पर क्या कार्रवाई की गई थी. नीरज कुमार नियमित रूप से लालू यादव को निशाने पर लेते हैं.
दर्शक महारानी के किरदारों को किसी से जोड़ कर अपनी धारणा बनाने को स्वतंत्र हैं. लेकिन इस वेबसीरीज की मुख्य किरदार हुमा कुरैशी साफ तौर पर कह चुकीं हैं, "यह सीरीज किसी की जिंदगी से प्रभावित नहीं है. यह पूरी तरह एक काल्पनिक कहानी है." लेकिन महारानी पर हो रही बहस ने बिहार की राजनीति के चरित्र को उजागर कर दिया है जहां राजनीतिक दल एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते. राजनीति के दांव-पेंच, दल-बदल, अगड़े-पिछड़े, छुआछूत व पुलिस की बेचारगी से इतर महारानी की कहानी यह भी बताती है कि चुनावों में तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता कैसे विकसित हो.