पांच मई को अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफ दिवस मनाया जाता है. एक ऐसा पेशा जो दिन पर दिन मुश्किल होता जा रहा है लेकिन जिनकी जरूरत पहले से भी कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है.
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हर दिन कोई 800 महिलाएं और 8,000 नवजात शिशु गर्भावस्था, जन्म के दौरान या उसके तुरंत बाद होने वाली ऐसी दिक्कतों के कारण मारे जाते हैं, जिनसे उन्हें बचाया जा सकता था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के ये आंकड़े मिडवाइफ के बारे में जारी उसकी ताजा रिपोर्ट में दर्ज हैं.
गर्भ और जन्म के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली मिडवाइफ पेशे के सम्मान में 5 मई को अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफ दिवस घोषित किया गया. 1992 में इसे शुरु करने वाले इंटरनेशनल कंफेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स की इस साल 25वीं वर्षगांठ है.
नई मांओं की चिंताओं का इलाज
जर्मनी में बाकायदा मिडवाइफ कानून के तहत, घर या अस्पताल कहीं भी बच्चे के जन्म के समय मिडवाइफ का मौजूद होना जरूरी है. जर्मनी में 21,000 से भी अधिक मिडवाइव्स हैं और उनकी भारी मांग रहती है.
गर्भवस्था के दौरान, जन्म के समय और बाद में नवजात की देखभाल से जुड़ी तमाम जानकारी मिडवाइफ ही नई मांओं को देती है और उन्हें किसी समस्या का इलाज भी बताती है.
नवजात शिशुओं के लिए 12 टिप्स
जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है. बच्चे अपने आस पास की चीजों को समझना और पहले शब्द बोलना सीखते हैं. इस दौरान माता पिता कई सवालों से गुजरते हैं. यदि आप भी उनमें से हैं, तो इन टिप्स का फायदा उठाएं.
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मालिश करें
भारत में बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है. लेकिन माता पिता अक्सर इस परेशानी से गुजरते हैं कि बच्चे की मालिश कब और कैसे की जाए. शिशु को दूध पिलाने के बाद या उससे पहले मालिश ना करें. घी या बादाम तेल को हल्के हाथ से बच्चे के पूरे शरीर पर मलें. नहलाने से पहले मालिश करना अच्छा होता है.
ध्यान से नहलाएं
नवजात शिशुओं की त्वचा बेहद नाजुक होती है. बहुत ज्यादा देर तक पानी में रहने से वह सूख सकती है. ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म ना हो. शुरुआती तीन हफ्ते में गीले कपड़े से बदन पोंछना काफी है. अगर आप बेबी शैंपू का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक हाथ से बच्चे की आंखों को ढक लें. नहाने के बाद बच्चे बेहतर नींद सो पाते हैं.
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आराम से सुलाएं
ब्रिटेन की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉन केली बताती हैं कि माता पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, "खास कर रात को, वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं." केली बताती हैं कि इस सब की कोई जरूरत नहीं. बहुत ज्यादा गर्मी बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.
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रोने से घबराएं नहीं
बच्चे रोते हैं और इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है. जच्चा बच्चा सेहत पर किताब लिख चुकी अमेरिका की जेनिफर वॉकर कहती हैं, "बच्चे रोने के लिए प्रोग्राम्ड होते हैं. उनके रोने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि यह उनका आपसे बात करने का तरीका है." मुंह में पैसिफायर लगा हो, तो बच्चे कम रोते हैं.
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दांतों की देखभाल
न्यूयॉर्क स्थित डेंटिस्ट सॉल प्रेसनर कहती हैं कि कई बार मां बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं. दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. प्रेसनर का कहना है कि जब दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें. अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें.
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कुदरत के साथ
बच्चों को जितना हो सके कुदरत के साथ जोड़ें. आज के हाई टेक जमाने में माता पिता बच्चों को मोबाइल, टेबलेट और टीवी के साथ ही बढ़ा करने लगे हैं. अमेरिका की अकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स का कहना है कि कम से कम दो साल की उम्र तक बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहिए.
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रंगों के बीच
बच्चों के आसपास रंग होना अच्छा है. आठ से नौ महीने के होने पर बच्चे अलग अलग तरह के रंग, सुगंध, शोर और स्पर्श को पहचानने लगते हैं. यही उन्हें सिखाने का सही समय भी है.
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खेल खेल में
बच्चे खेल खेल में नई चीजें सीखते हैं. सिर्फ वस्तुओं को पहचानना ही नहीं, बल्कि खुशी और गुस्से जैसे भावों को भी समझने लगते हैं. बच्चों से बात करते हुए मुस्कुराएं और उनकी आंखों से संपर्क बना कर रखें. याद रखें कि बच्चे बोल नहीं सकते, इसलिए आंखों के जरिए संवाद करते हैं.
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मम्मी के साथ पढ़ाई
बच्चे के साथ बातें करें. जब वह कोई आवाजें निकाले, तो उन्हें दोहराएं और उसके साथ कुछ शब्द जोड़ दें. इस तरह बच्चे का जल्द ही भाषा के साथ जुड़ाव बन सकेगा. किताबों से पढ़ कर कहानियां सुनाने के लिए बच्चे के स्कूल पहुंचने का इंतजार ना करें. छोटे बच्चे इन कहानियों के जरिए नई आवाजें और शब्द सीखते हैं.
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पापा के साथ ब्रश
बच्चों को नई नई चीजें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ वही चीज करना. बच्चे देख कर वही चीज दोहराते हैं. इसी तरह से आप उन्हें कसरत करना भी सिखा सकते हैं. शुरुआत में ध्यान लगने में वक्त लग सकता है लेकिन बाद में बच्चे नई चीजें करने में आनंद लेने लगते हैं.
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पहले कदम
जब तक बच्चे चलना नहीं सीख लेते उन्हें जूतों की जरूरत नहीं होती. इन दिनों फैशन के चलते माता पिता नवजात शिशुओं के लिए भी जूते खरीदने लगे हैं. शिशुओं के लिए मोजे ही काफी हैं. ये उनके लिए आरामदेह भी होते हैं.
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पहला जन्मदिन
बच्चे वयस्कों की तरह पार्टी नहीं कर सकते. वे जल्दी थक जाते हैं और भीड़ से ऊब भी जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए अपने बच्चे की पहली बर्थडे पार्टी को एक से दो घंटे तक ही सीमित रखें ताकि पार्टी बच्चे की मुस्कराहट का कारण बने, आंसुओं का नहीं.
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लिंचपिन लायबिलिटी इंश्योरेंस
भूल की स्थिति में हर्जाने की राशि चुकाने के लिए मिडवाइव्स के लिए लायबिलिटी इंश्योरेंस होता है. जर्मनी में इस बीमा की निरंतर बढ़ती रकम चुकाना मिडवाइफ को भारी पड़ रहा है. कई महिलाओं ने इसी कारण पेशा छोड़ दिया है. 2016 में इन्हें साल के 7,000 यूरो से भी अधिक और अगले साल 8,000 यूरो से अधिक चुकाने पड़ेंगे.
सन 1981 से लागू लिंचपिन लायबिलिटी इंश्योरेंस के अंतर्गत अगर मिडवाइफ की किसी गलती से बच्चे या मां को कोई नुकसान हुआ है, तो उसकी भरपाई की जाती है.
जर्मन मिडवाइफ एसोसिएशन के अनुसार स्वतंत्र रूप से काम करने वाली एक मिडवाइफ घंटे के 8.50 यूरो कमाती है, जो कि देश के न्यूनतम भुगतान के बराबर ही है. ऐसे में साल के 7,000 यूरो बीमा फीस देना उनके लिए काफी मंहगा पड़ता है. वहीं जर्मनी के पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया में केवल 350 यूरो में सामूहिक बीमा किए जाने की व्यवस्था है.
कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल
होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए. इनसे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है.
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गर्भावस्था के दौरान मां कैसा महसूस कर रही है यह बहुत जरूरी है, इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ता है. मां के लिए उसका बच्चा दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है. जरूरी है कि वह इस खुशी के एहसास को मरने न दे.
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मां औप बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी घर के दूसरे सदस्यों पर भी होती है. शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण मां का मूड पल भर में बदल सकता है. ऐसे में बाकियों को सहयोग बनाकर चलना जरूरी है, खासकर पति को.
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सुबह नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. इसके बाद जैतून के तेल से मालिश मां के लिए फायदेमंद है, यह सलाह है जर्मन दाई हाएके सोयार्त्सा की.
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मां के शरीर में हो रहे हार्मोन परिवर्तन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. हफ्ते में एक दिन चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल अच्छा है. एक चम्मच दही में कच्चा एवोकाडो मिलाकर लगाएं और दस मिनट बाद धो दें.
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गर्भावस्था के दौरान कसरत जरूरी है. आसन लगाकर पेट के निचले हिस्से से सांस खींचकर छोड़ना तनाव दूर करता है. इस दौरान दिमाग में एक ही ख्याल हो, "यह सांस मेरे बच्चे को छू कर गुजर रही है."
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सुबह बहुत कुछ खा सकना आसान नहीं, अक्सर सुबह के वक्त मां को उल्टी की शिकायत रहती है. हर्बल चाय या फिर हल्का फुल्का बिस्कुट या टोस्ट खाना बेहतर है. नाश्ते में इस बात पर ध्यान दें कि वह फाइबर वाला खाना हो. फल खाना और भी अच्छा है.
अक्सर गर्भावस्था के दौरान बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं. बालों के लिए इस दौरान हल्के केमिकल वाले शैंपू का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हफ्ते में एक दिन एक चम्मच जैतून के तेल में दही और अंडे का पीला भाग मिलाकर लगाने से बालों की नमी लौट आती है. गर्भावस्था में हेयर कलर का इस्तेमाल ना करें.
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शरीर और दिमाग के स्वस्थ होने के साथ दोनों के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान पैदल चलना भी फायदेमंद है. स्वीमिंग के दौरान पानी से कमर को काफी राहत मिलती है.
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मां के लिए दांतों को साफ रखना भी जरूरी है, दिन में दो बार ब्रश करें लेकिन नर्म ब्रश से. शुरुआती छह महीनों में दांतों का खास ख्याल रखें और डेंटिस्ट से भी नियमित रूप से मिलते रहें.
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विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे के लिए हरी सब्जियां और आयोडीन युक्त भोजन फायदेमंद है. बच्चे को खूब आयरन और कैल्शियम की भी जरूरत होती है. ध्यान रहे कि खानपान में इन चीजों की कमी नहीं होनी चाहिए. नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी है.
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दिन में करीब दो लीटर पानी पीना स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा है. ज्यादा पानी पीने से मां का शरीर चुस्त महसूस करता है.
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'मातृ स्वास्थ्य देखभाल का मजबूत स्तम्भ'
भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में आमतौर पर जच्चा करवाने वाली दाई कही जाने वाली मिडवाइफ का बहुत पुराना चलन है. खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां ज्यादातर जन्म घरों पर होते हैं, और आसपास किसी अस्पताल या डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं होती. ऐसी जगहों पर मिडवाइफ जर्मनी या किसी और विकसित देश के मुकाबले कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं.
पूरी दुनिया में लगभग 287,000 औरतें हर साल गर्भ या जन्म से जुड़ी परेशानियों के कारण जान से हाथ धो बैठती हैं. अधिकतर गरीब और कम आय वाले परिवारों के ऐसे करीब 29 लाख नवजात जन्म के पहले महीने में ही दम तोड़ देते हैं, जिन्हें बचाया जा सकता था. यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिडवाइव्स की व्यवस्था को और मजबूत बनाने पर जोर देते हुए अपनी वेबसाइट पर जारी संदेश में लिखा है, "दुनिया के तमाम देशों के साथ काम कर उनकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीतियों में मिडवाइफ से जुड़े मुद्दों की ओर ध्यान दिलाना" ही लक्ष्य है.
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पेरेंटिंग के अजब गजब चलन
दुनिया की अलग अलग जगहों पर बच्चों को पालने के तरीकों में काफी अंतर दिखता है. कहीं के आम चलन को कहीं और बेहद अजीब माना जा सकता है.
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बच्चे का प्रैम फुटपाथ पर छोड़ना
डेनमार्क में माता पिता बाजार में थोड़ी देर के लिए बच्चागाड़ी में बच्चे को अकेला छोड़ कर खरीदारी करने जाने को कोई बड़ी बात नहीं मानते. यहां तक अक्सर भीड़भाड़ और धुएं वाले रेस्तरां में माता पिता अपने बच्चे को ले जाने के बजाय उन्हें खुले फुटपाथ पर ही किनारे छोड़कर जाना पसंद करते हैं.
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बच्चे को बाहर ठंड में सुलाना
स्वीडेन, फिनलैंड जैसे कई नॉर्डिक देशों में कई पीढ़ियों से छोटे बच्चों को कुछ देर के लिए बाहर ठंड में रखने की परंपरा है. मांएं मानती है कि इससे बच्चा तंदरुस्त बनता है और आगे चल कर अत्यधिक ठंड के साथ ठीक से तालमेल बिठा पाता है. विज्ञान ने अभी तक इन धारणाओं की पुष्टि नहीं की है. जाहिर है बच्चों को पर्याप्त कपड़े पहनाए जाते हैं और उन्हें गर्म रखने के लिए कंबल भी ओढ़ाया जाता है.
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बच्चों को बीयर पीने देना
बच्चों में मोटापे की समस्या से निपटने के लिए 2001 में बेल्जियम के बीयर लवर्स क्लब ने एक खास उपाय निकाला. उनका प्रस्ताव था कि अगर बच्चे पानी की जगह सोडा पीना पसंद करते हैं तो उन्हें सोडा की जगह हल्की बीयर दी जाए. इसे दिखाते हुए एक सफल पायलट प्रोजेक्ट भी चला लेकिन बेल्जियन सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर कभी मान्यता नहीं दी.
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जहां बच्चे पीते हैं जानलेवा शराब
यूरोप में करीब एक तिहाई जानें शराब के कारण जाती हैं. इसके बावजूद यूरोपीय देश क्रोएशिया में कई माता-पिता अपने प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को महीने में कई बार अल्कोहल पीने देते हैं. कुछ आंकड़े दिखाते हैं कि आठवीं कक्षा तक पहुंचते पहुंचते करीब 30 फीसदी लड़के और 12 फीसदी लड़कियां हफ्ते में कई दिन शराब पीने लगते हैं.
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नवजात बच्चे से एक महीने तक दूर
चीन में कुछ जगहों पर नवजात बच्चे की मां को गर्भावस्था और जन्म देने की कठिन प्रक्रिया से उबरने के लिए कुछ समय देने का चलन है. एक महीने के लगभग मांएं घर में रहकर खास तरह का भोजन और दिनचर्या अपनाती हैं. महिला इस दौरान बच्चे को दूध पिला सकती है, लेकिन बच्चे के बाकी काम और देखभाल परिवार के अन्य लोग करते हैं.