वैक्सीन ट्रायल को ले कर विवाद में आई सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि वह कोरोना का टीका तब तक बाजार में नहीं लाएगी जब तक वह पूरी तरह सुरक्षित साबित नहीं हो जाता.
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भारत में कोरोना कोरोना की कोरोना बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया ने कहा है कि कोविडशील्ड वैक्सीन को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए तब तक जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि यह इम्युनोजेनिक और सुरक्षित साबित न हो जाए. कंपनी ने यह भी कहा कि एक वॉलंटियर के साथ जो गंभीर घटना हुई है, उसका वैक्सीन से लेना देना नहीं है.
सीरम इंस्टीट्यूट ने इससे पहले कहा था कि वह उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले वॉलंटियर पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की मानहानि का दावा करेगी. कंपनी ने कहा कि उसे वॉलंटियर की चिकित्सा स्थिति को लेकर सहानुभूति है और यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, "हालांकि, हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि सभी अपेक्षित विनियामक और नैतिक प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से किया गया."
दरअसल हाल ही में एक वॉलंटियर ने इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड वैक्सीन से गंभीर साइड-इफेक्ट होने का दावा किया था. वॉलंटियर के कोवीशील्ड वैक्सीन से गंभीर साइड-इफेक्ट होने के दावे के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने मंगलवार को बयान जारी किया. सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि चेन्नई के वॉलंटियर के साथ कोई हादसा नहीं हुआ और ट्रायल में सभी प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन किया गया है.
सीरम इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, डाटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड (डीएसएमबी) और एथिक्स कमेटी ने कहा है कि वैक्सीन के ट्रायल में उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है. कंपनी ने कहा, "हमने घटना से संबंधित सभी रिपोर्ट और डाटा डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को सौंपे हैं. यह केवल उन सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को क्लीयर करने के बाद है, जिन्हें हमने परीक्षण के साथ जारी रखा."
कंपनी ने कहा है कि टीकाकरण के बारे में जटिलताओं और मौजूदा गलत धारणाओं को ध्यान में रखते हुए कानूनी नोटिस भेजा गया है, ताकि कंपनी की प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखा जा सके. 40 वर्षीय वॉलंटियर ने सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार की गई कोविशील्ड का डोज लेने पर गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य जटिलताओं की बात कही थी.
वॉलंटियर के वकील के अनुसार, उनके मुवक्किल को 29 सितंबर को टीका लगाया गया था, जिसके बाद उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हुईं. इसके बाद इसके कारण की जांच करने और परीक्षणों को रोकने के बजाय सीरम इंस्टीट्यूट और अन्य ने चुप्पी साधे रखी. वकील एनजीआर प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "हमें सीरम इंस्टीट्यूट सहित विभिन्न पक्षों को भेजे गए कानूनी नोटिस के लिए अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. हमने सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में आई खबरें पढ़ी हैं. हमने पाया कि हमारे मुवक्किल को 100 करोड़ रुपये से अधिक का मामले दायर करने की धमकी दी जा रही है."
महामारी में मुनाफा: कैसे कोविड-19 के दौरान कुछ अमीर और भी अमीर हो गए
कोरोना वायरस संकट के दौरान अधिकतर उद्योगों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन कुछ उद्योगों ने मुनाफा भी कमाया है. इन उद्योगों से कुछ नए धनी लोग भी निकले हैं और इनसे जुड़े जो लोग पहले से धनी थे वो और धनवान बन गए हैं.
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कोई कितना अमीर हो सकता है?
अमेजन ने कोविड-19 के बीच काफी व्यापार किया और कंपनी के शेयरों ने नए रिकॉर्ड स्थापित किए. संस्थापक जेफ बेजोस महामारी के पहले ही दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे और अब वो और अमीर हो गए हैं. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक वो 193 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं.
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अव्वल नंबर के करीब
इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला गाड़ियां बनाती है लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर इसे एक बड़ी टेक कंपनी के रूप में देखा जाता है. महामारी के दौरान टेक कंपनियों के स्टॉक बाजार में काफी चर्चा में रहे हैं और टेस्ला को इससे फायदा मिला है. कुछ ही समय पहले मस्क ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में बिल गेट्स को पीछे कर दिया था. 132 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ वो धीरे धीरे जेफ बेजोस की तरफ बढ़ रहे हैं.
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घर से काम करने के चलन का फायदा
घर से काम करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह से ऑनलाइन मीटिंग ऐप जूम का व्यापार बढ़ गया है और यह उसके संस्थापक एरिक युआन के लिए काफी लाभकारी साबित हुआ है. जूम 2019 में ही स्टॉक एक्सचेंज में शामिल हुई थी, लेकिन युआन आज अनुमानित 19 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं.
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सफलता के लिए फिट
दूसरों से दूरी बनाए रखना और जिमों का बंद रहना जॉन फोली के लिए वरदान जैसा साबित हुआ है. फोली की कंपनी पेलोटॉन घर पर कसरत करने के जिम उपकरण बनाती है और महामारी के दौरान इन उपकरणों की इतनी बिक्री हुई है कि कंपनी के शेयर के दाम में तीन गुना इजाफा हो गया है और 50-वर्षीय फोली अचानक ही अरबपति बन गए हैं.
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दुकानदारों की मदद का व्यापार
शॉपीफाई व्यापारियों की मदद करता है ऑनलाइन उनकी अपनी दुकान खड़ी करने में. इसे जर्मनी के टोबियास लुइटके ने विकसित किया था जो बाद में कनाडा चले गए थे. शॉपीफाई आज कनाडा की सबसे मूल्यवान कंपनी है और मार्च से अभी तक इसके शेयर का दाम दोगुना हो चुका है. फोर्ब्स के अनुसार 39 साल के लुइटके नौ अरब डॉलर के मालिक हैं.
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रातों-रात अरबपति
जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने कोविड-19 की वैक्सीन पर जनवरी में ही काम करना शुरू कर दिया था और अब संभव है कि उसके टीके को जल्द ही इस्तेमाल की अनुमति मिल जाए. इस सफलता से कंपनी के तुर्क मूल के मालिक उगूर सहीन पर सबका ध्यान गया है और वो काफी धनी हो गए हैं. इस समय उनके शेयरों का अनुमानित मूल्य है 2.4 अरब बिलियन डॉलर.
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सफलता की सामग्री
खाना बनाने की सामग्री उपलब्ध कराने वाली कंपनी हेलोफ्रेश को रेस्तरां के बंद होने का पूरा फायदा मिल रहा है. लोग जम कर आर्डर कर रहे हैं और कंपनी के शेयरों का मूल्य महामारी के दौरान तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ा है. कंपनी के संस्थापक और शेयरहोल्डर डॉमिनिक रिक्टर अभी उन लोगों की बराबरी तो नहीं कर पाए हैं जिन्होंने महामारी में सबसे ज्यादा कमाई की, लेकिन उनके पास वहां पहुंचने की सारी 'सामग्री' है.
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अमेजन से और किसी को भी फायदा
अमेजन की सफलता से सिर्फ जेफ बेजोस ही और अमीर नहीं हुए. उनकी पूर्व-पत्नी मैकेंजी के पास भी कंपनी के कई शेयर हैं जिनकी बदौलत वो दुनिया के सबसे अमीर महिला बन गई हैं. अनुमान है कि उनके पास 72 अरब डॉलर मूल्य की संपत्ति है.
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