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"सुरक्षित साबित होने पर ही जारी की जाएगी वैक्सीन"

१ दिसम्बर २०२०

वैक्सीन ट्रायल को ले कर विवाद में आई सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा है कि वह कोरोना का टीका तब तक बाजार में नहीं लाएगी जब तक वह पूरी तरह सुरक्षित साबित नहीं हो जाता.

Symbolbild Covid-19-Impfstoff Frankreich
तस्वीर: Joel Saget/AFP/Getty Images

भारत में कोरोना कोरोना की कोरोना बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया ने कहा है कि कोविडशील्ड वैक्सीन को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए तब तक जारी नहीं किया जाएगा, जब तक कि यह इम्युनोजेनिक और सुरक्षित साबित न हो जाए. कंपनी ने यह भी कहा कि एक वॉलंटियर के साथ जो गंभीर घटना हुई है, उसका वैक्सीन से लेना देना नहीं है.

सीरम इंस्टीट्यूट ने इससे पहले कहा था कि वह उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले वॉलंटियर पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की मानहानि का दावा करेगी. कंपनी ने कहा कि उसे वॉलंटियर की चिकित्सा स्थिति को लेकर सहानुभूति है और यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, "हालांकि, हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि सभी अपेक्षित विनियामक और नैतिक प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से किया गया."

दरअसल हाल ही में एक वॉलंटियर ने इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड वैक्सीन से गंभीर साइड-इफेक्ट होने का दावा किया था. वॉलंटियर के कोवीशील्ड वैक्सीन से गंभीर साइड-इफेक्ट होने के दावे के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ने मंगलवार को बयान जारी किया. सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि चेन्नई के वॉलंटियर के साथ कोई हादसा नहीं हुआ और ट्रायल में सभी प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन किया गया है.

सीरम इंस्टीट्यूट के अनुसार, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, डाटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड (डीएसएमबी) और एथिक्स कमेटी ने कहा है कि वैक्सीन के ट्रायल में उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है. कंपनी ने कहा, "हमने घटना से संबंधित सभी रिपोर्ट और डाटा डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को सौंपे हैं. यह केवल उन सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को क्लीयर करने के बाद है, जिन्हें हमने परीक्षण के साथ जारी रखा."

कंपनी ने कहा है कि टीकाकरण के बारे में जटिलताओं और मौजूदा गलत धारणाओं को ध्यान में रखते हुए कानूनी नोटिस भेजा गया है, ताकि कंपनी की प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखा जा सके. 40 वर्षीय वॉलंटियर ने सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार की गई कोविशील्ड का डोज लेने पर गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य जटिलताओं की बात कही थी.

वॉलंटियर के वकील के अनुसार, उनके मुवक्किल को 29 सितंबर को टीका लगाया गया था, जिसके बाद उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हुईं. इसके बाद इसके कारण की जांच करने और परीक्षणों को रोकने के बजाय सीरम इंस्टीट्यूट और अन्य ने चुप्पी साधे रखी. वकील एनजीआर प्रसाद ने आईएएनएस को बताया, "हमें सीरम इंस्टीट्यूट सहित विभिन्न पक्षों को भेजे गए कानूनी नोटिस के लिए अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. हमने सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में आई खबरें पढ़ी हैं. हमने पाया कि हमारे मुवक्किल को 100 करोड़ रुपये से अधिक का मामले दायर करने की धमकी दी जा रही है."

आईएएनएस/आईबी

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