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वैज्ञानिकों ने सूर्य से 70 गुना बड़े ब्लैक होल की खोज की

२९ नवम्बर २०१९

वैज्ञानिकों ने एक ब्लैक होल की खोज की है. उसका नाम एलबी 1 है और यह पृथ्वी से 15 हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. इस खोज के बाद कई दूसरे ब्लैक होल के बारे में भी पता चल सकता है.

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तस्वीर: Reuters/National Science Foundation

खगोलविदों ने आकाशगंगा में एक ब्लैक होल की खोज की है. यह सितारों के विकसित होने के मौजूदा मॉडल को चुनौती देता है. रिसर्चरों ने गुरुवार को यह बात कही. साइंस जर्नल नेचर के अनुसार एलबी 1 पृथ्वी से 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर है और इसका आकार (मास) सूर्य से 70 गुना अधिक है.

इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले चीन के राष्ट्रीय खगोलीय वेधशाला के प्रोफेसर लियु जिफेंग ने कहा, "आकाशगंगा में 10 करोड़ ब्लैक होल होने का अनुमान है लेकिन वैज्ञानिकों ने जितना अनुमान लगाया था, एलबी 1 उससे दोगुना बड़ा है. नक्षत्रों के विकास के अधिकांश वर्तमान मॉडल के अनुसार ऐसे आकार का ब्लैक होल हमारी आकाशगंगा में मौजूद नहीं होना चाहिए."

आमतौर पर वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्लैक होल दो प्रकार के होते हैं. ज्यादातर नक्षत्रीय ब्लैक होल सूर्य की तुलना में 20 गुना बड़े होते हैं. इसका निर्माण तब होता है जब तारों का एक बड़ा समूह खुद से नष्ट हो जाता है. सुपरमैसिव ब्लैक होल सूर्य से कम से कम 10 लाख गुना बड़ा होता है और उसकी उत्पत्ति कब हुई है, इसके बारे में जानकारी नहीं होती है.

लियू कहते हैं, "हालांकि शोधकर्ताओं का मानना था कि आकाशगंगा में मौजूद बड़े तारों ने अपने अधिकांश गैस को आवेशित कणों के माध्यम से बहाया. इससे एलबी 1 जैसे आकार का ब्लैक-होल नहीं बना. अब सिद्धांतकारों को इसके निर्माण के बारे में बताने की चुनौती लेनी होगी."

डेविड रीट्ज कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) में एक भौतिक विज्ञानी हैं. वे इस खोज में शामिल नहीं रहे हैं. डेविड का कहना है, "खगोलशास्त्री अभी भी केवल "ब्लैक होल की संख्या और उनके बनने की प्रक्रिया को समझने लगे हैं."

तस्वीर: Reuters/Caltech/MIT/LIGO

डेविड की देखरेख में काम करने वाली कैलटेक की लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्जर्वेटरी ने पहले स्पेसक्राफ्ट में तरंगों का पता लगाया था. इससे दूर की आकाशगंगाओं में ब्लैक होल की संभावना का पता चला जो कि जितना अनुमान से बहुत बड़ा था.

नक्षत्रीय ब्लैक होल आमतौर पर सुपरनोवा विस्फोटों के बाद बनते हैं. यह घटना तब होती है जब बड़े तारे खत्म होने के कगार पर होते हैं और तेजी से जलते हैं. डेविड कहते हैं, "एलबी 1 का बड़ा आकार "पेयर इंस्टैबिलिटी गैप" के रूप में जाना जाता है, जहां सुपरनोवा इसे नहीं बना सकती. इसका मतलब यह है कि यह अलग तरह का ब्लैक होल है. किसी दूसरी प्रक्रिया की वजह से इसका निर्माण हुआ है."

एलबी 1 की खोज वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने चीन के जटिल लैमोस्ट टेलीस्कोप का उपयोग करके की है. इसके साथ ही दुनिया के दो अन्य बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप ने एलबी 1 के आकार की पुष्टि की. इसमें एक स्पेन का ग्रान टेलीस्कोपियो कैनेरिया और अमेरिका का कीक आई टेलिस्कोप शामिल है.

वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल से निकलने वाली एक्स-रे का पता लगाकर इसकी खोज करने की कोशिश की. लियू ने कहा कि लेकिन इस तरीके का सीमित इस्तेमाल ही किया जा सकता है क्योंकि काफी कम संख्या में ऐसे ब्लैक होल सिस्टम हैं जहां उनके आसपास के तारों की कक्षाएं उनके समीप हो और उनके पहचान किए जाने वाले एक्स-रे का उत्सर्जन होता हो.

तस्वीर: Reuters/NASA

उन्होंने बताया कि इसकी जगह एलबी 1 की खोज करने वाली टीम ने ब्लैक होल की पहचान से पहले आसपास बड़ी संख्या में मौजूद तारों की गति का लंबे समय तक निरीक्षण किया. बहुत ज्यादा सफल उपकरण नहीं होने के बावजूद इस पद्धति का उपयोग दशकों तक किया गया.

उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत में 2001 और 2008 के बीच निर्मित लैमोस्ट के माध्यम से रिसर्चर एक साथ 4,000 तारों का पता लगा सकते हैं. इस वजह से यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली ग्राउंड-आधारित दूरबीनों में से एक है. ल्यू ने कहा कि जिस पद्धति के माध्यम से एलबी 1 की खोज की गई है, यह भविष्य में अन्य दूसरे ब्लैक होल का पता लगाने में मददगार साबित होगी. हमारी आकाशगंगा में 10 करोड़ ब्लैक होल होने का अनुमान है लेकिन सिर्फ 4000 ही एक्स-रे उत्सर्जित कर सकते हैं और इनके बारे में हम पता लगा सकते हैं.

आरआर/एनआर (एएफपी)

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