कुछ देशों में गर्भवती महिलाओं को वैल्प्रोएट दवा दी जाती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस दवा ने हजारों बच्चों की जिंदगी खराब की है.
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आम तौर पर सोडियम वैल्प्रोएट मिर्गी के रोगियों को दी जाती है. गर्भावस्था के दौरान भी कुछ महिलाओं को चक्कर आने की शिकायत हो, तब यह दवा दी जाती है. लेकिन अब पता चला है कि यह दवा गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है. फ्रांस में ऐसे 4,100 मामले आये हैं, जहां इस दवा के चलते बच्चों में गंभीर समस्याएं सामने आयीं.
फ्रेंच नेशनल एजेंसी फॉर सेफ्टी ऑफ मेडिसिन और नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस एडमिनिस्ट्रेशन की साझा रिपोर्ट के मुताबिक गर्भ में पल रहे बच्चे पर इस दवा का चार गुना ज्यादा असर पड़ता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक शोध में इस बात का साफ पता चला है कि इस दवा के चलते शिशु में जन्मजात डिफेक्ट सामने आते हैं. ऐसे बच्चों की रीढ़ की हड्डी और उनके हार्ट में डिफेक्ट होता है. साथ ही उनके जननांग भी विकृत होते हैं.
फ्रेंच नेशनल एजेंसी फॉर सेफ्टी ऑफ मेडिसिन के साइंटिफिक डायरेक्टर मोहम्मद जुराइक के मुताबिक, "शोध इस बात की पुष्टि करता है कि वैल्प्रोएट की प्रकृति बहुत ही टेराटोजेनिक है." टेरानटोजेन एजेंट से बनने वाली दवाओं को टेराटोजेनिक कहा जाता है. यह एजेंट भ्रूण के विकास में बाधा डालता है.
फ्रांस के मेडिकल स्टोर्स में वैल्प्रोएट डेपाकाइन नाम से बेचा जाता है. इस दवा का शिकार होने वाले बच्चों ने अधिकारियों पर सुस्ती का आरोप लगाया है. यह दवा 1980 के दशक से इस्तेमाल की जा रही है. दवा बनाने वाली कंपनी सनोफी के खिलाफ अब मुकदमा भी चल रहा है. 2,900 परिवारों ने सामूहिक याचिका के जरिये कंपनी पर केस ठोका है.
दुनिया के कई देशों में आज भी वैल्प्रोएट दवाओं का इस्तेमाल होता है. भारत में भी दो दर्जन से ज्यादा दवाओं में यह मौजूद है.
(कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल)
कैसे रखें गर्भावस्था में ख्याल
होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए. इनसे मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है.
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गर्भावस्था के दौरान मां कैसा महसूस कर रही है यह बहुत जरूरी है, इससे होने वाले बच्चे की सेहत पर भी असर पड़ता है. मां के लिए उसका बच्चा दुनिया की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है. जरूरी है कि वह इस खुशी के एहसास को मरने न दे.
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मां औप बच्चे के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी घर के दूसरे सदस्यों पर भी होती है. शरीर में हार्मोन परिवर्तन के कारण मां का मूड पल भर में बदल सकता है. ऐसे में बाकियों को सहयोग बनाकर चलना जरूरी है, खासकर पति को.
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सुबह नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें. इसके बाद जैतून के तेल से मालिश मां के लिए फायदेमंद है, यह सलाह है जर्मन दाई हाएके सोयार्त्सा की.
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मां के शरीर में हो रहे हार्मोन परिवर्तन के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. हफ्ते में एक दिन चेहरे पर मास्क का इस्तेमाल अच्छा है. एक चम्मच दही में कच्चा एवोकाडो मिलाकर लगाएं और दस मिनट बाद धो दें.
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गर्भावस्था के दौरान कसरत जरूरी है. आसन लगाकर पेट के निचले हिस्से से सांस खींचकर छोड़ना तनाव दूर करता है. इस दौरान दिमाग में एक ही ख्याल हो, "यह सांस मेरे बच्चे को छू कर गुजर रही है."
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सुबह बहुत कुछ खा सकना आसान नहीं, अक्सर सुबह के वक्त मां को उल्टी की शिकायत रहती है. हर्बल चाय या फिर हल्का फुल्का बिस्कुट या टोस्ट खाना बेहतर है. नाश्ते में इस बात पर ध्यान दें कि वह फाइबर वाला खाना हो. फल खाना और भी अच्छा है.
अक्सर गर्भावस्था के दौरान बाल रूखे और बेजान हो जाते हैं. बालों के लिए इस दौरान हल्के केमिकल वाले शैंपू का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हफ्ते में एक दिन एक चम्मच जैतून के तेल में दही और अंडे का पीला भाग मिलाकर लगाने से बालों की नमी लौट आती है. गर्भावस्था में हेयर कलर का इस्तेमाल ना करें.
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शरीर और दिमाग के स्वस्थ होने के साथ दोनों के बीच संतुलन बहुत जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान पैदल चलना भी फायदेमंद है. स्वीमिंग के दौरान पानी से कमर को काफी राहत मिलती है.
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मां के लिए दांतों को साफ रखना भी जरूरी है, दिन में दो बार ब्रश करें लेकिन नर्म ब्रश से. शुरुआती छह महीनों में दांतों का खास ख्याल रखें और डेंटिस्ट से भी नियमित रूप से मिलते रहें.
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विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे के लिए हरी सब्जियां और आयोडीन युक्त भोजन फायदेमंद है. बच्चे को खूब आयरन और कैल्शियम की भी जरूरत होती है. ध्यान रहे कि खानपान में इन चीजों की कमी नहीं होनी चाहिए. नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाना भी जरूरी है.
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दिन में करीब दो लीटर पानी पीना स्वस्थ जीवनशैली का हिस्सा है. ज्यादा पानी पीने से मां का शरीर चुस्त महसूस करता है.