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वैश्विक संकट के माहौल में मीडिया के मूल्य

ऋतिका पाण्डेय१३ जून २०१६

वैश्विक संकटों से निपटने, सेंसरशिप और गलत सूचनाओं के तेज प्रचार प्रसार वाले माहौल में मीडिया की कैसी भूमिका हो, यही मुद्दे 13 से 15 जून के बीच जर्मन शहर बॉन में आयोजित ग्लोबल मीडिया फोरम में चर्चा के केंद्र में हैं.

Bonn Global Media Forum GMF 02 | Award Ceremony Limbourg, Ergin und Diekmann
तस्वीर: DW/M. Müller

कभी दुनिया भर की महत्वपूर्ण घटनाओं को जनता तक पहुंचाने में भरोसेमंद स्रोत माने जाने वाले मीडिया की विश्वसनीयता पर आज सवाल खड़े होने लगे हैं. यह सवाल कितने जायज हैं और दुनिया भर का मीडिया खुद किन दबावों और बदलावों से गुजर रहा है, इस पर बहस का मौका दे रहा है 9 वीं बार हो रहा ग्लोबल मीडिया फोरम.

डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्गतस्वीर: DW

जर्मन शहर बॉन में 13 जून को शुरु हुए जीएमएफ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिम्बुर्ग ने कहा, "आजकल के डिजिटल युग में, गलत जानकारी फैलाना और हेरफेर करना पहले से काफी आसान हो गया है. इसलिए, हमें फिर से यह सोचने की जरूरत है कि हम अपने मूल्यों का प्रदर्शन और प्रसार कैसे करें."

पत्रकारिता के जरिए अपने दर्शकों तक पहुंचने के लिए "एक नया दृष्टिकोण" तलाशने और अपनाने के आह्वान के साथ डॉयचे वेले प्रमुख लिम्बुर्ग ने तीन दिनों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत की.

डॉयचे वेले अपनी नई डिजिटल रणनीति ले कर आने वाला है जिसका मकसद संस्थान की छवि दुनिया भर की सूचनाएं देने वाले एक डिजिटल संस्थान के रूप में बनाने पर होगा. इसमें सबसे ज्यादा ध्यान मोबाइल प्लेटफार्मों पर दिया जाएगा, जिनका डीडब्ल्यू की सेवाएं लेने वाले देशों में खूब प्रसार हो रहा है.

फोरम को यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष अलेक्जांडर ग्राफ लाम्ब्सडॉर्फ ने भी संबोधित किया. उद्घाटन सत्र के लिए जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने इस अवसर के लिए अपना विशेष वीडियो संदेश भेजा.

Gauck speaks to the DW Global Media Forum

02:33

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ग्लोबल मीडिया फोरम के नौंवे संस्करण में शामिल हो रहे करीब 2,300 भागीदारों में पत्रकार, राजनेता, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. दुनिया भर के लगभग 100 देशों से आए लोग यहां आयोजित होने वाले 40 से भी अधिक इवेंट्स में हिस्सा ले रहे हैं.

इस साल डॉयचे वेले का विशेष "फ्रीडम ऑफ स्पीच" अवार्ड तुर्की के अखबार हुर्रियत के मुख्य संपादक सेदात एरगिन को दिया गया. एरगिन पर इस साल मार्च से ही तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोआन के कथित अपमान के आरोप में मुकदमा चल रहा है. तुर्की में पत्रकारिता को स्वतंत्र रखने के लिए पत्रकार कठिन संघर्ष कर रहे हैं और इस क्षेत्र में एरगिन की भूमिका की सराहना के लिए यह पुरस्कार दिया गया. पिछले साल डॉयचे वेले का पहला "फ्रीडम ऑफ स्पीच" अवार्ड सऊदी अरब के कैद ब्लॉगर रईफ बदावी को मिला था.

जीएमएफ के दूसरे दिन "बॉब्स: बेस्ट ऑफ ब्लॉग्स" श्रेणी में विश्व भर के ऑनलाइन एक्टिविज्म से जुड़े लोगों और संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाएगा. विजेताओं में भारत एसिड अटैक के खिलाफ काम करने वाले अभियान शामिल है. पुरस्कार पाने वालों में बांग्लादेश का एक सिटिजन-जर्नलिज्म प्रोजेक्ट और ईरान का एक खास तरह का ऐप डेवलपर शामिल है, जो अपने ऐप के माध्यम से देश में लोगों को मॉरल पोलिसिंग से संबंधित चेतावनियां पहुंचाता है.

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