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वोट के बदले नोट के सवालों से फिर घिरी भारत सरकार

१७ मार्च २०११

2008 के वोट के बदले नोट मामले का भूत एक बार फिर केंद्र की यूपीए सरकार को डराने के लिए बोतल से बाहर आ गया है. विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफा मांगा है.

तस्वीर: picture-alliance/Bildfunk

अमेरिका के साथ परमाणु कार्यक्रम के मसले पर विरोध में आवाज बुलंद कर रहे विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से निबटने के लिए यूपीए सरकार पर सांसदों को पैसे से खरीदने का आरोप है. देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने तो पहले ही इस बारे में हंगामा किया था अब विकीलीक्स के खुलासे से इसकी और परतें खुलने लगी हैं. संसद के दोनों सदनों में विपक्षी पार्टियों ने जम कर हंगामा किया और इस पूरे प्रकरण को 'शर्मनाक' और 'लोकतंत्र की हत्या' कहा.

तस्वीर: UNI

विपक्ष के हमले के जवाब देते हुए वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी ने मामले को खारिज करते हुए कहा वर्तमान लोकसभा पिछली लोकसभा के कामकाज पर चर्चा नहीं कर सकती. राज्य सभा में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि जिन दस्तावेजों का जिक्र किया गया है वो एक संप्रभु देश और विदेश में उसके मिशन के बीच बातचीत का हिस्सा हैं जिसमें लगे आरोपों को वो ना तो पुष्ट करेंगे ना ही खारिज. प्रणब मुखर्जी ने कहा, "हर लोकसभा अपने समय में संप्रभु होती है. 14वें लोकसभा के दौर में क्या हुआ उसका फैसला 15वीं लोकसभा में नहीं हो सकती. सरकार 15वीं लोकसभा के लिए जवाबदेह है. 14वीं लोकसभा के लिए नहीं. 14वीं लोकसभा के दौर में क्या हुआ ये उस लोकसभा के भंग होने के साथ ही खत्म हो गया."

प्रणब ने बीजेपी नेता अरुण जेटली से ये भी पूछा क्या वो इस बात के लिए संतुष्ट हैं कि अखबारों में जो कुछ छपा है उसे कानून की अदालत में मान्यता मिल जाएगी. इसके जवाब में अरुण जेटली ने कहा , "अगर अखबारों में जो छपा है वो सही है तो ये भारत में एक जुर्म है." जेटली ने ये भी कहा कि अमेरिकी राजनयिकों को राजनयिक संरक्षण मिलती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है देश में किसी भारतीय को घूस देने की छूट मिल जाएगी." अरुण जेटली ने मुखर्जी की इस दलील को भी खारिज किया कि मौजूदा सरकार पिछली सरकार के कामकाज के लिए जिम्मेदार नहीं है. जेटली ने कहा, "ये सारी दलीलें तब काम नहीं आती जब जुर्म संसद के बाहर किया गया हो." जेटली ने कहा, "आप लोग जुर्म छुपाने के दोषी हैं." जेटली के बयानों से तिलमिलाए प्रणब मुखर्जी ने कहा, "अगर आप में हिम्मत है तो कोर्ट में जाइए." इसके तुरंत बाद ही संसद की कार्रवाई स्थगित कर दी गई.

तस्वीर: UNI

इससे पहले जब संसद की कार्रवाई शुरू हुई तो मामला उठाते हुए अरुण जेटली ने कहा, "ये साफ हो गया है कि सरकार राजनीतिक और नैतिक पाप के दम पर बचाई गई." बीजेपी सांसदों की तरफ से आते 'शर्म शर्म' के नारों के बीच जेटली ने कहा, "इस तरह की हरकतों के बलबूते बची सरकार को एक मिनट भी बने रहने का हक नहीं है और हम मांग करते हैं कि सरकार तुरंत इस्तीफा दे."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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