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'व्हाइट टॉर्चर' में दर्ज है ईरान की कुख्यात जेलों का हाल

जॉन सिल्क
२९ सितम्बर २०२३

ईरान की जेलों में कैदियों को भयानक यातना दी जाती है. जेल में बंद कैदियों की आखों पर हमेशा पट्टी बंदी होती है और उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जाता. ईरान के ही कुछ लोगों ने इन जेलों पर डॉक्यूमेंट्री बनाई है.

Buch „White Torture“ von Narges Mohammadi
तस्वीर: DW

ईरान की कुख्यात जेलों पर केंद्रित नरगिस मोहम्मदी की किताब और डॉक्युमेंट्री, सलाखों में बंद एक्टिविस्टों के मानवाधिकारों के दमन को उजागर करती है. तागी रहमानी बताते हैं कि "ईरान में जेल की कोठरी, पश्चिमी देशों की जेल जैसी नहीं है."

रहमानी से बेहतर भला कौन इस बात को जानेगा. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक, वो "ईरान में सबसे ज्यादा बार जेल जाने वाले पत्रकार हैं."

इस्लामी गणराज्य ईरान की जेलों में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली मनोवैज्ञानिक यातनाओं को सामने लाने वाली "व्हाइट टॉर्चर" फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर रहमानी ने डीडब्ल्यू को बताया, "ईरानी जेल की अकेली कोठरी में आपको बंद रखा जाता है और संचार या दूसरी कोई सुविधाएं नहीं मिलती. ना कोई मुलाकात, ना कोई किताब, ना कोई निबंध...आंखों में पट्टी बंधी रहती है, आपको सिर्फ आवाजें सुनाई देती हैं."

ईरान की कुख्यात एविन जेल का अंदरूनी नजारा

जेल-यातना को दर्ज करने की कहानी

रहमानी की पत्नी और साथी एक्टिविस्ट नगरिस मोहम्मदी भी ईरान के मानवाधिकार रिकॉर्डों की छानबीन करने के आरोप में पिछले 25 साल में कई बार जेल की सजा झेल चुकी हैं.

मोहम्मदी को पहली बार 1998 में ईरानी सरकार की आलोचना करने के जुर्म में जेल हुई थी. वो तब से हुकूमत के खिलाफ लड़ती आ रही हैं.

उसके बाद गाहेबगाहे, जेल की सजा काटते मई 2016 में उन्हें 16 साल के लिए जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया. उनका कसूर ये था कि उन्होंने "मौत की सजा खत्म कराने के लिए मानवाधिकार आंदोलन खड़ा किया था."

ईरानी हुकूमत की तमाम कोशिशों के बावजूद, मोहम्मदी की आवाज दबाई नहीं जा सकी. साथी कैदियों की तकलीफ को उन्होंने दर्ज करना शुरू किया. और आखिरकार कैदियों से बातचीत की श्रृंखला को उन्होंने "व्हाइट टॉर्चर" किताब की शक्ल में उतार दिया.

ईरान की एविन जेल का प्रवेश द्वारतस्वीर: WANA NEWS AGENCY/File Photo/REUTERS

उसी नाम की डॉक्युमेंट्री अब एकल कोठरियों में बंद राजनीतिक कैदियों के साथ होने वाले खौफनाक सुलूक पर रोशनी डालती है.

व्हाइट टॉर्चर से आशय, ईरान में इस्तेमाल की जाने वाली एक किस्म के मनोवैज्ञानिक यातना तकनीक से है जिसमें कैदियों को लंबे, बेमियादी समय के लिए, एक कोठरी में अलग-थलग रखा जाता है जहां की दीवारें, फर्श समेत तमाम चीजें पूरी तरह सफेद होती हैं.

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मानवाधिकार संगठन हवार ने पिछले दिनों बर्लिन में "व्हाइट टॉर्चर" डॉक्युमेंट्री दिखाई. इस मौके पर मानवाधिकार वकील, पूर्व राजनीतिक कैदी और ईरान की जेलों में बंद दोहरी नागरिकता वाले कैदियों के परिजन जमा हुए थे.

ईरान के एक राजनीतिक बंदी नहीद तगवी की बेटी मरियम क्लेरन ने कहा कि "जो यातना दिख रही थी" उसकी वजह से फिल्म "देखना ही बहुत मुश्किल था." क्लेरन रेखांकित करती हैं कि ईरानी अधिकारी नहीं चाहते कि आप उसे देखें क्योंकि व्हाइट टॉर्चर में वो सब दिखने लगता है जिसे "देखा नहीं जा सकता."

ईरान की कुख्यात एविन जेल में लगी आगतस्वीर: SalamPix/abaca/picture alliance

दरअसल, कुछ मामले तो इतने ज्यादा दर्दनाक थे कि दिखाए नहीं जा सकते थे. डॉक्युमेंट्री निर्माता गेलारेह ककावांड के मुताबिक "जेल की कोठरी वाकई एक दर्दभरी स्थिति है. इस डॉक्युमेंट्री को बनाते हुए साक्षात्कार के दौरान बहुत सी भावनाएं उमड़ रही थीं जिन्हें रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता था. उम्मीद है कि ऑडियंस इस फिल्म को देखने के बाद उन भावनाओं से करीबी महसूस कर सकेगी."

गुप्त ऑपरेशन

डॉक्युमेंट्री का ज्यादातर हिस्सा मोहम्मदी की मौजूदा और आखिरी कैद के बीच की अंतरिम अवधियों में फिल्माया गया था. ये कोई आसान काम नहीं था. अधिकारियों को भनक लगे बिना एक गुप्त ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.

देश की जेलों की स्थिति को उजागर करने के लिए पूछताछ और धमकियों से तंग आकर ईरान से भागने को मजबूर हुए फिल्मकार वाहिद जरेजादेह कहते हैं, "फिल्म बनाने के हालात मुश्किल थे."

"फिल्म के शुरुआती हिस्से में दर्शक देखते हैं कि सूचना मंत्रालय का एक कारिंदा नगरिस मोहम्मदी से फोन पर बात करता है. कुछ इंटरव्यू लेने के लिए हम बिना बताए जा पहुंचे. पूरा ग्रुप एक साथ फिल्म की लोकेशन पर नहीं जाता था. जैसे, नगरिस अलग जाती थी और हम अलग. यहां तक कि पीछा करने वालों से बचने के लिए नगरिस मोटरसाइकिल का इस्तेमाल भी करती थी."

एविन जेल के एक वार्ड में कैदियों की लड़ाई के बाद का नजारा तस्वीर: Koosha Mahshid Falahi/Mizan News Agency/AP/picture alliance

अब वापस जेल में

मोहम्मदी की बदहाली जारी है. 1998 में पहली गिरफ्तारी के बाद से पांचवीं बार वो फिर से सलाखों के पीछे हैं.

हिरासत में जिना महसा अमीनी की मौत के बाद दिसंबर 2022 में भड़के आंदोलन के बीच, बीबीसी से प्रकाशित एक रिपोर्ट में मोहम्मदी ने हिरासत में ली गई औरतों के यौन और शारीरिक शोषण के बारे में विस्तार से बताया था.

जनवरी 2023 में उन्होंने जेल से एक खौफनाक ब्यौरा भेजा था जिसमें एविन जेल में बंद औरतों की हालत बताई गई थी. एविन जेल, 1972 से ही ईरान के राजनीतिक बंदियों की कैद का मुख्य ठिकाना रहा है. मोहम्मदी ने 58 कैदियों की लिस्ट के अलावा उनसे हुई पूछताछ और उनके टॉर्चर का ब्यौरा भी दिया था.

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