व्हाट्सऐप की नई गोपनीयता नीति पर यूजर्स का गुस्सा
८ जनवरी २०२१सुबह उठते ही मोबाइल फोन व्हाट्सऐप पर आए मेसेजों से भरा होता है. फैमिली ग्रुप पर आया गुड मॉर्निंग मेसेज हो या घरेलू नुस्खों के फॉरवर्ड्स, हर तरह के मेसेज हमारे दर्जनों व्हाट्सऐप ग्रुपों पर आते हैं. अब तक तो यह एक गोपनीय सिस्टम था लेकिन अब व्हाट्सऐप के इस्तेमाल के मायने बदल जाएंगे.
व्हाट्सऐप ने हाल ही में अपनी शर्तों और गोपनीयता नीति को अपडेट किया है. इसमें मुख्य रूप से जो बातें नयी हैं उनमें महत्त्वपूर्ण ये है कि व्हाट्सऐप यूज़र्स के डेटा का उपयोग करेगा और वह अपनी मूल कंपनी फेसबुक के साथ इसे साझा करेगा. प्लेटफॉर्म का उपयोग जारी रखने के लिए यूजर्स को इन बातों को स्वीकार करने के लिए 8 फरवरी, 2021 तक का समय दिया गया है. अगर शर्तें न मानी गयीं तो व्हाट्सऐप का उपयोग नहीं किया जा सकता है.
नई नीति पर बंटे हैं भारतीय यूजर
कई भारतीय यूज़र इस बात से नाखुश हैं और कुछ ने तो प्लेटफार्म को अपने फोन से हटा दिया है. सुचेता दलाल एक स्वतंत्र लेखिका हैं और उन्होंने एक ट्वीट के जरिए फोन से ऐप हटाने का स्क्रीनशॉट साझा किया है और फीडबैक में यह भी कहा कि वह यह नयी शर्तों की वजह से कर रही हैं. सुचेता दलाल ने डीडब्ल्यू हिंदी को बताया, "व्हाट्सऐप की हम सबको आदत है. हर क्षेत्र में इसका उपयोग जरूरी सा हो गया है इसलिए यह आसान निर्णय नहीं था. लेकिन अब व्हाट्सऐप ने गुंजाइश नहीं छोड़ी है कि हम अपनी गोपनीयता बनाए रखें. यह बदलाव मेरे लिए जरूरी है. मैं नहीं चाहती मेरे डाटा का इस्तेमाल किया जाए. इसलिए मैं यह प्लेटफार्म छोड़ रही हूं."
मीडियानामा के संस्थापक और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट निखिल पाहवा के मुताबिक उनके पास कई लोगों के मेसेज आ रहे हैं जो डरे हुए हैं. कुछ लोगों का मानना है कि उनके मेसेज अब एन्क्रिप्टेड नहीं रहेंगे या कोई और उनके मेसेज पढ़ पाएगा या लोकेशन देख का कोई उनका पीछा या निगरानी रख पाएगा. पाहवा कहते हैं, "यह सब गलत जानकारी है. व्हाट्सऐप फेसबुक के साथ डाटा बहुत पहले से ही साझा कर रहा है. इस पॉलिसी के शोर में अच्छी बात है कि लोगों को अपनी प्राइवेसी की चिंता हो रही है. इसका एक कारण है कि लोग फेसबुक को डेटा सिक्योरिटी के लिए अच्छा नहीं मानते, लेकिन अब तक व्हाट्सऐप इस लेबल से बचता रहा है और सिक्योर माना जाता रहा है."
यूजर्स को प्राइवेसी की चिंता
गोकुल षण्मुगा सुंदरम इंजीनियरिंग के छात्र हैं और नयी पॉलिसी से क्षुब्ध हैं. उन्होंने व्हाट्सऐप मैसेंजर को डिलीट करने की जगह गूगल प्ले पर अपना गुस्सा जताया है. वह कहते हैं, "मुझे ये शर्तें मंजूर नहीं हैं. हमारे डाटा का गलत इस्तेमाल हो सकता है और व्हाट्सऐप को ऐसा नहीं करना चाहिए. अभी तक व्हाट्सऐप पर मेरी गोपनीयता सिक्योर थी इसलिए मैं इसका उपयोग करता था. मेरा डाटा किसी को नहीं जाना चाहिए और इसमें हैकिंग का भी खतरा है."
ट्विटर पर भी लोगों ने व्हाट्सऐप की नयी घोषणा पर काफी नाराज़गी जताई है, और सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की जा रही है. व्हाट्सऐप का बहिष्कार करने की मुहिम भी चल रही है. दुनियाभर में व्हाट्सऐप का सबसे ज्यादा उपयोग करने वाले भारत में ही हैं. हर महीने व्हाट्सऐप के एक्टिव यूज़र्स की संख्या 4० करोड़ से ज्यादा है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि उनको इस नयी नीति से कुछ फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आजकल सबकी जिंदगी में निगरानी एक आम बात हो गयी है और अब हर डिवाइस या ऐप में किसी न किसी तरह से डाटा की निगरानी हो रही है.
'नहीं होगा कुछ खास असर'
टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट निखिल पाहवा कहते हैं, "भारत में डाटा बहुत सस्ता है. यह सिर्फ 21 रूपये प्रति गीगाबाइट पर उपलब्ध है. इसलिए व्हाट्सऐप के एक्टिव यूजर की संख्या पिछले पांच सालों में दोगुनी से ज्यादा हो गयी है. अगर प्राइवेसी की सोचते हुए 10 प्रतिशत भी लोग व्हाट्सऐप से जाएंगे तो इसके बिजनेस पर कुछ खास असर नहीं होगा. लेकिन मुझे लगता नहीं ऐसा होगा."
उधर सुचेता दलाल नए विकल्पों के बारे में सोच रही हैं. वे कहती हैं, "मैं सिग्नल, टेलीग्राम, हाईक इत्यादि के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रही हूं, जल्द ही मैं किसी नए ऐप को डाउनलोड करूंगी." भारत व्हाट्सऐप के लिए सबसे बड़ा मार्केट है. भले ही चंद लोगों को व्हाट्स ऐप की नयी नीति न भाए, लगता नहीं कि इससे व्हाट्सऐप की दुकान बंद होगी.
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