व्हाट्सऐप फॉरवर्ड में फंसा पाकिस्तान का टीकाकरण अभियान
१५ मार्च २०२१
पाकिस्तान का लक्ष्य है कि इस साल के आखिर तक देश की 70 फीसदी आबादी को कोरोना की वैक्सीन लगा दी जाए. लेकिन टीके को लेकर देश में उड़ रही अफवाहों ने अधिकारियों का काम मुश्किल बना दिया है.
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पाकिस्तान में फरवरी में टीकारण अभियान की शुरुआत हुई. सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन दी गई. फरवरी के मध्य तक 37,287 लोगों को टीका लगाने के बाद अधिकारियों ने दूसरे नागरिकों का टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू किया.
सरकार को उम्मीद है कि वैक्सीन से कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने में मदद मिलेगी. लेकिन हर कोई टीका लगवाने को तैयार नहीं है. गैलप पाकिस्तान के एक हालिया सर्वे में हिस्सा लेने वाले 49 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे टीका नहीं लगवाएंगे, भले ही यह बिल्कुल फ्री लगाया जाए.
विशेषज्ञों का कहना है कि गलत जानकारी और धार्मिक कारणों से लोगों में टीके को लेकर अविश्वास है. 22 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में अब तक कोरोना वायरस के छह लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि इससे 13,430 लोगों की जानें गई हैं.
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कोरोना वैक्सीन के हैं ये साइड इफेक्ट
कोरोना की वैक्सीन जितनी जल्दबाजी में बनी हैं, उसे देखते हुए कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इसे लेना ठीक भी रहेगा या नहीं. जानिए कौन सी कंपनी की वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हैं ताकि आपके सभी शक दूर हो जाएं.
कुछ सामान्य साइड इफेक्ट
कोई भी टीका लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है. कुछ लोगों को पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है. इसका मतलब होता है कि टीका अपना काम कर रहा है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है.
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बड़े साइड इफेक्ट का खतरा?
अब तक जिन जिन टीकों को अनुमति मिली है, परीक्षणों में उनमें से किसी में भी बड़े साइड इफेक्ट नहीं मिले हैं. यूरोप की यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (ईएमए), अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन तीनों ने इन्हें अनुमति दी है. एक दो मामलों में लोगों को वैक्सीन से एलर्जी होने के मामले सामने आए थे लेकिन परीक्षण में हिस्सा लेने वाले बाकी लोगों में ऐसा नहीं देखा गया.
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बायोनटेक फाइजर
जर्मनी और अमेरिका ने मिलकर जो टीका बनाया है वह बाकी टीकों से अलग है. वह एमआरएनए का इस्तेमाल करता है यानी इसमें कीटाणु नहीं बल्कि उसका सिर्फ एक जेनेटिक कोड है. यह टीका अब कई लोगों को लग चुका है. अमेरिका में एक और ब्रिटेन में दो लोगों को इससे काफी एलर्जी हुई. इसके बाद ब्रिटेन की राष्ट्रीय दवा एजेंसी एमएचआरए ने चेतावनी दी कि जिन लोगों को किसी भी टीके से जरा भी एलर्जी रही हो, वे इसे ना लगवाएं.
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मॉडेर्ना
अमेरिकी कंपनी मॉडेर्ना का टीका भी काफी हद तक फाइजर के टीके जैसा ही है. परीक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब दस फीसदी लोगों को थकान महसूस हुई. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके चेहरे की नसें कुछ वक्त के लिए पेरैलाइज हो गई. कंपनी का कहना है कि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ऐसा टीके में मौजूद किसी तत्व के कारण हुआ या फिर इन लोगों को पहले से ऐसी कोई बीमारी थी जो टीके के कारण बिगड़ गई.
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एस्ट्रा जेनेका
ब्रिटेन और स्वीडन की कंपनी एस्ट्रा जेनेका के टीके के परीक्षण को सितंबर में तब रोकना पड़ा जब उसमें हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति ने रीढ़ की हड्डी में सूजन की बात बताई. इसकी जांच के लिए बाहरी एक्सपर्ट भी बुलाए गए जिन्होंने कहा कि वे यकीन से नहीं कह सकते कि सूजन की असली वजह वैक्सीन ही है. इसके अलावा बाकी के टीकों की तरह यहां भी ज्यादा उम्र के लोगों में बुखार, थकान जैसे लक्षण कम देखे गए हैं.
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स्पूतनिक वी
रूस की वैक्सीन स्पूतनिक वी को अगस्त में ही मंजूरी दे दी गई थी. किसी भी टीके को तीन दौर के परीक्षणों के बाद ही बाजार में लाया जाता है, जबकि स्पूतनिक के मामले में दूसरे चरण के बाद ही ऐसा कर दिया गया. रूस के अलावा यह टीका भारत में भी दिया जाना है. जानकारों की शिकायत है कि इसके पूरे डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए साइड इफेक्ट्स के बारे में ठीक से नहीं बताया जा सकता.
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन भी स्पूतनिक की तरह विवादों में घिरी है. सरकार ने इसे इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति दी है लेकिन इसके भी तीसरे चरण के परीक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है और ना ही यह बताया गया है कि यह कितनी कारगर है. भारत में महामारी पर नजर रख रही संस्था सेपी की अध्यक्ष गगनदीप कांग ने कहा है कि वे सरकार के फैसले को समझ नहीं पा रही हैं और अपने करियर में उन्होंने कभी ऐसा होते नहीं देखा.
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बच्चों के लिए टीका?
आम तौर पर पैदा होते ही बच्चों को टीके लगने शुरू हो जाते हैं लेकिन कोरोना के टीके के मामले में ऐसा नहीं होगा. इसकी दो वजह हैं: एक तो बच्चों पर इसका परीक्षण नहीं किया गया है और ना ही इसकी अनुमति है. और दूसरा यह कि महामारी की शुरुआत से बच्चों पर कोरोना का असर ना के बारबार देखा गया है. इसलिए बच्चों को यह टीका नहीं लगाया जाएगा. साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी फिलहाल यह टीका नहीं दिया जाएगा.
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सुरक्षित टीका क्या होता है?
जर्मनी में कोरोना पर नजर रखने वाले रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट की वैक्सीनेशन कमिटी के सदस्य के सदस्य क्रिस्टियान बोगडान बताते हैं कि किसी टीके से अगर एक वृद्ध व्यक्ति की उम्र 20 प्रतिशत घटती है लेकिन साथ ही अगर 50 हजार में से सिर्फ एक व्यक्ति को उससे एलर्जी होती है, तो वे ऐसे टीके को सुरक्षित मानेंगे. उनके अनुसार यूरोप में इसी पैमाने पर टीकों को अनुमति दी जा रही है.
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मिथक और अफवाहें
पाकिस्तान में बहुत से लोगों का मानना है कि कोई महामारी है ही नहीं. यह भी अफवाहें उड़ रही हैं कि पश्चिमी देश टीके के जरिए इंसानी शरीर में एक माइक्रोचिप डालना चाहते हैं जिसके जरिए आप पर नजर रखी जा सके.
कराची में टैक्सी चलाने वाले सलमान ने डीडब्ल्यू से कहा कि उन्हें वैक्सीन पर बिल्कुल भरोसा नहीं है. उन्हें भी लगता है कि बड़ी ताकतों ने दुनिया की आबादी पर नजर रखने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया है. वह टीके के साइड इफेक्ट्स को लेकर भी चिंतित हैं. वह कहते हैं, "क्या पता यह वैक्सीन हमारे शरीर में जाकर क्या करेगी? ये हमारे डीएनए को भी बदल सकती है."
दूसरी तरफ बहुत से पाकिस्तानियों का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन हराम है क्योंकि इसमें सूअर का जिलेटिन और इंसानी भ्रूण के टिश्यू हैं. कोविड वैक्सीनों को लेकर सबसे ज्यादा अफवाहें व्हाट्सऐप पर उड़ रही हैं, जिसका इस्तेमाल देश की 39 प्रतिशत आबादी कर रही है. इसके अलावा यूट्यूब और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों के जरिए भी गलत जानकारियां फैलाई जा रही हैं.
कराची के जिन्नाह पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल अस्पताल में पैथोलॉजी की प्रोफेसर नालिया तारिक कहती हैं कि वैक्सीन के बारे में लोगों को जागरूक बनाने की राह में सोशल मीडिया अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी बाधा बन रहा है.
कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है प्लाज्मा थेरेपी
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वैक्सीन की राजनीति
पाकिस्तान को अब तक ऑक्सफोर्ड एस्ट्रा-जेनेका वैक्सीन की 1.7 करोड़ डोज मिली हैं. इसके अलावा सरकार ने चीन की कंपनी सिनोफार्म और रूस की बनाई स्पूतनिक पांच वैक्सीन के इस्तेमाल की भी अनुमति दी है.
तारिक ने डीडब्ल्यू को बताया, "कुछ लोग सिनोफार्म वैक्सीन को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह चीन में बनी है. वहीं कुछ लोग ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन को भी नहीं लगवाना चाहते क्योंकि यह भारत में बनी है."
पाकिस्तान में प्लाज्मा डोनेशन के काम से जुड़े एक समूह कोरोना रिकवर्ड वॉरियर्स के संस्थापक जोरेज रेज कहते हैं कि पाकिस्तान के पड़ोसी देशों से रिश्ते भी वैक्सीन को लेकर लोगों की सोच को प्रभावित कर रहे हैं. उनकी राय में, "अपने ज्यादातर पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंध नहीं है, खासकर भारत के साथ. वहीं चीन के मामले में सांस्कृतिया अंतर टीकाकरण अभियान को लेकर गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं."
दूसरी तरफ कराची के आगा खान यूनिवर्सिटी अस्पताल में काम करने वाले नूर बेग कहते हैं कि पाकिस्तान में पढ़े लिखे लोग भी टीके पर संदेह कर रहे हैं. उनके मुताबिक, "जब पढ़े लिखे लोग इंटरनेट पर कोविड वैक्सीन के बारे में सर्च करते हैं, तो उन्हें झूठे अध्ययन दिखाई देते हैं जिनसे वे गुमराह हो जाते हैं."
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि यह जिम्मेदारी राजनेताओं और धार्मिक नेताओं की है कि वे कोविड वैक्सीन को लेकर गलतफहमियों को दूर करें और लोगों को उनकी सुरक्षा और सेहत की सलामती के बारे में बताएं. बेग कहते हैं, "अगर राजनेता और धार्मिक नेता ही वैक्सीन को लेकर मीडिया में गलत जानकारियों फैलाएंगे और कहेंगे कि यह मानवता के खिलाफ एक षडयंत्र है तो लोग तो वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाएंगे ही."
डॉ. तारिक सरकार से आग्रह करती हैं कि कोविड वैक्सीनों को लेकर फैले दुष्प्रचार को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिल कर जागरूकता बढ़ाने वाले कदम उठाने चाहिए.
रिपोर्ट: हाजिराय मरियम (कराची)/एके
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किन किन देशों में लग रहा है कोरोना का टीका?
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कई देशों ने टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है. उम्मीद है कि टीकाकरण अभियान दुनिया को महामारी से मुक्ति दिलाएगा.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP/picture alliance
मेक्सिको
मेक्सिको में सेना टीकाकरण अभियान की कमान संभाल रही है. मेक्सिको ने बायोनटेक-फाइजर की 1,25,000 डोज खरीदी हैं. शुरुआती चरण में वैक्सीन सिर्फ राजधानी मेक्सिको सिटी और दक्षिणी राज्य कोआइला के मेडिकल स्टाफ को दी जा रही है.
तस्वीर: Claudio Cruz/APF/Getty Images
इस्राएल
इस्राएल ने 20 दिसंबर को टीकाकरण अभियान शुरू किया. पहले दिन स्वास्थ्य कर्मचारियों, प्रधानमंत्री और सैनिकों को टीका लगाया गया. एक दिन बाद 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को बायोनटेक-फाइजर का टीका दिया गया. 88 लाख की आबादी वाले इस्राएल ने जनवरी के अंत तक 20 लाख लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा है.
तस्वीर: Ariel Schalit/AP/picture alliance
अमेरिका
अमेरिका ने बायोनटेक-फाइजर और मॉर्डेना की कोरोना वैक्सीनों को मंजूरी दी है. अमेरिका में 14 दिसंबर से टीका लगाया जा रहा है. नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी टीका लगवाया और टीकाकरण की तैयारियों के लिए वर्तमान राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की तारीफ भी की.
तस्वीर: Carolyn Kaster/AP Photo/picture alliance
ब्रिटेन
ब्रिटेन टीकाकरण शुरू करने वाला पहला यूरोपीय देश है. वहां सात दिसंबर 2020 से बायोनटेक-फाइजर का टीका लगाया जा रहा है. पहले चरण में चार लाख लोगों को टीका लगाया जाना है. हेल्थ वर्कर्स और 80 साल साल से ज्यादा उम्र के लोग प्राथमिकता सूची में हैं. लेकिन इस बीच ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट भी सामने आया है.
तस्वीर: Danny Lawson/empics/picture alliance
कनाडा
कनाडा के हेल्थ रेग्युलेटर ने दिसंबर की शुरुआत में बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन को आपातकालीन मंजूरी दी. दिसंबर में कनाडा को 2,49,000 डोज मिलनी हैं. कनाडा में सबसे पहले टीका स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े स्टाफ को दिया जा रहा है.
तस्वीर: Adrian Wyld/REUTERS
रूस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दिसंबर की शुरुआत में टीकाकरण अभियान शुरू करने का एलान किया था. अब रूस में डॉक्टरों, टीचरों और सोशल वर्करों को रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 का टीका दिया जा रहा है. राजधानी मॉस्को में आम क्लीनिक भी टीका ऑफर कर रहे हैं.
बहरीन अरब जगत में टीकाकरण अभियान शुरू करने वाला पहला देश है. वहां बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन दी जा रही है. टीका लेने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया है. बहरीन चीनी वैक्सीन भी इस्तेमाल करेगा.
तस्वीर: picture alliance/dpa/R. Jensen
स्विटजरलैंड
दो महीने लंबी समीक्षा के बाद 19 दिसंबर को स्विटजरलैंड में भी बायोनटेक-फाइजर के टीके को मंजूरी दे दी गई. पहले चरण में हेल्थ और इमरजेंसी स्टाफ के साथ उम्रदराज लोगों को टीका लगाया जा रहा है. 85 लाख आबादी वाला स्विटजरलैंड तीन अलग अलग कंपनियों से 1.58 करोड़ डोज खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर चुका है.
तस्वीर: Pablo Gianinazzi/Ti-Press/KEYSTONE/picture alliance
चीन
चीन ने 18 दिसंबर को एलान किया कि वह जोखिम वाले ग्रुप में शामिल पांच करोड़ लोगों को टीका लगाएगा. पहले चरण में 15 जनवरी तक ढाई करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा. चीन ने खुद अपनी वैक्सीन तैयार की है. चीन की वैक्सीन पाकिस्तान और यूएई में भी टेस्ट की जा रही है.