व्हेल के पेट में प्लास्टिक के कप, बोतल और चप्पल मिले
२१ नवम्बर २०१८![Indonesien gestrandeter Pottwal mit Plastik im Bauch](https://static.dw.com/image/46379060_800.webp)
सुलावेसी प्रांत के वाकातोबी नेशनल पार्क में बचावकर्मियों के एक दल को करीब 9.5 मीटर लंबी व्हेल का शव बुरे हाल में मिला. बचावकर्मियों को खबर मिली थी कि स्थानीय निवासियों ने व्हेल को काटना शुरू कर दिया है. नेशनल पार्क के प्रमुख सांतोसो का कहना है कि वन्य जीवों के संरक्षण में जुटे डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के रिसर्चरों और पार्क की कंजर्वेशन एकेडमी ने व्हेल के पेट में से 5.9 किलोग्राम प्लास्टिक का कचरा निकाला. इनमें 115 कप, 26 प्लास्टिक बैग, चार प्लास्टिक की बोतल, दो चप्पल, नाइलोन की बोरी के अलावा 1000 से ज्यादा प्लास्टिक के टुकड़े शामिल हैं.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडोनेशिया में मरीन कंजर्वेशन कॉर्डिनेटर द्वी सुप्राप्ती ने बताया, "हालांकि हम मौत के कारण का पता नहीं लगा सके हैं लेकिन जो सच्चाई दिखी है वह वास्तव में बहुत डरावनी है." द्वी के मुताबिक फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि व्हेल की मौत प्लास्टिक की वजह से हुई या नहीं क्योंकि शव काफी खराब हो चुका है.
करीब 26 करोड़ की आबादी वाला इंडोनेशिया चीन के बाद दुनिया में दूसरा सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला देश है. इस बारे में साइंस जर्नल ने इसी साल जनवरी में एक रिपोर्ट छापी थी. रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया हर साल 32 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है जिसे निपटाने के लिए कोई रिसाइक्लिंग या किसी और तरह की व्यवस्था नहीं है. इसमें से 12.9 लाख टन कचरा समुद्र में जाता है. इंडोनेशिया के समुद्री मामलों के मंत्री लुहुत बिंसार पांडजाइतान ने कहा कि इस व्हेल के सामने आने के बाद लोगों में प्लास्टिक के कम इस्तेमाल के प्रति जागरूकता बढ़नी चाहिए. इसके साथ ही सरकार पर समुद्र को बचाने के लिए अब कठोर उपायों को लागू करने का भी दबाव है.
पांडजाइतान ने कहा, "मैं इस बारे में जानकर बहुत दुखी हूं. मुमकिन है कि और भी बहुत सारे समुद्री जीव प्लास्टिक कचरे से जहरीले हो रहे हैं और यह हमारे जीवन के लिए बेहद खतरनाक है." उन्होंने कहा कि सरकार प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने के लिए कोशिश कर रही है. इसमें दुकानों से ग्राहकों को प्लास्टिक बैग नहीं देने का आग्रह करने के साथ ही स्कूलों में भी इस बारे में पढ़ाया जा रहा है. सरकार ने 2025 तक प्लास्टिक का उपयोग 70 फीसदी घटाने का लक्ष्य रखा है.
एनआर/एमजे (एपी)