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शब्द तलवार से तेज

१४ मई २०१३

बंदूकें, मिसाइलें भूल जाइए. भाषा किसी इंसान के लिए सबसे ताकतवर हथियार साबित हो सकती है. चाहे वह संगीत हो, कला हो, राजनीति या प्रार्थना हो. शब्दों की मार काफी गहरी होती है.

तस्वीर: DW/Helene Pawlitzki

चाहे कोई वादा करे या फिर अपने प्रेमी या प्रेमिका का नाम बुदबुदाए, किसी को अपराध करने के लिए उकसाए या फिर अपनी गलती स्वीकार करने की बात हो, शब्द एक क्रिया की तरह काम करते हैं और उनका परिणाम निकले बिना नहीं रहता.

डॉर्टमुंड में भाषा का एक परफॉर्मेंस की तरह होना प्रदर्शनी का मुख्य विषय है. प्रदर्शनी का नाम है, "हिज मास्टर्स वॉयसः ऑन वॉयस एंड लैंग्वेज". इंके आर्न्स हार्टवारे मीडिया आर्ट क्लब की कला निदेशक हैं. यह डॉर्टमुंड के कंटेम्पररी आर्ट का केंद्र है. आर्न्स उदाहरण देते हुए बताती हैं कि भाषा सिर्फ वर्णनात्मक नहीं होती, चीजें शब्दों के कारण होती हैं, "जैसे शादी के समारोह में कहते हैं कि मैं अब आपको पति पत्नी घोषित करता हूं या जहाज का नामकरण होता है, मैं इस जहाज को जोसेफ स्टालिन नाम देता हूं." आर्न्स 1972 से अभी तक के 30 इंस्टॉलेशन इस प्रदर्शनी में लगाए गए हैं. इनमें से अधिकतर वीडियो इंस्टॉलेशन हैं जो बताते हैं शब्द सिर्फ बहते हुए नहीं होते.

पूछताछ का परफॉर्मेंसतस्वीर: DW/Helene Pawlitzki

'भाषा हथियार है'

इंटरोगेशन यानी पूछताछ, नाम का एक हिला देने वाला वीडियो इग्नास क्रुंग्लेविशियस ने बनाया है. यह अमेरिका में पुलिस पूछताछ के लिखित दस्तावेजों पर आधारित है. पूछताछ के दौरान पुलिसकर्मी रॉबर्ट जॉन अपराधी मैरी कोविच से अपराध उगलवाने की कोशिश करते हुए दिखाए गए हैं. मैरी पर अपने पति को गोली मारने के आरोप है. जॉन के सवाल और कोविच के छोटे जवाब एक के बाद एक दो वीडियो स्क्रीन पर चलते हैं. इस टेक्स्ट के साथ टेकनो बीट मिक्स की गई हैं. देखने वाले को लगता है कि वह बातचीत के बीच में फंस गए हैं.

जर्मन लेखक कुर्ट टुखोल्स्की कहते हैं, "भाषा एक हथियार है, इसे धारदार रखें. यह वाक्य प्रदर्शनी में लगाया गया है. उनके शब्द हालांकि विचारहीन लगते हैं जब लोग हेट रेडियो वाला डिजाइन देखते हैं. यह 1994 में रवांडा के जनसंहार के बारे में बनाया गया परफॉर्मेंस है. कैसे मशहूर आरटीएलएम रेडियो पर नफरत भरे कार्यक्रम दिए जाते थे जो हुतू लोगों को तुत्सी के खिलाफ भड़काते. स्टेज कार्यक्रम के निर्देशक और लेखक स्विस मिलो राऊ हैं. कलाकार नफरत से भरी स्पीच पेश करते हैं जो आरटीएलएम स्टुडियो की कॉपी है.

हेट रेडियोतस्वीर: DW/Helene Pawlitzki

दोहराव में खोया

यहूदी लोककथाओं में एक कथा प्रचलित है कि शेम, जो की भगवान का नाम था, वह एक पेपर पर लिखा होता था, यह नाम सुनहरे प्राग को जगाता था. भगवान का नाम मुंह से लेने पर प्रतिबंध था ताकि लोग इसका गलत इस्तेमाल नहीं करें. कहा जाता था कि यह नाम लेने पर व्यक्ति में खास ताकतें पैदा हो जाती थीं. इस पिक्चर में कोसोवो के कलाकार जैकप फरारी थ्री वर्जिन सुन रहे हैं. यह जॉन लेनन और योको वन का परफॉर्मेंस है. जिसमें वह एक दूसरे का नाम लिए जा रहे हैं. उनके आस पास की दुनिया मानो थम सी गई है और प्रेमी जीव एक दूसरे में खोते जा रहे हैं. फेरी जॉन और ओनोस को आवाज देती है, कभी बोरिंग तरीके से कभी बहुच जोर से. थोड़े समय बाद नाम का अर्थ कहीं लुप्त हो जाता है और उनका असर भी.

शब्दों की ताकत

इंके आर्न्स कहती हैं, "यह प्रदर्शनी ये सवाल भी उठाती है कि जब हम बोल रहे होते हैं तो असल में कौन बोल रहा होता है. क्या ये हम हीं हैं जो कह रहे हैं या हमारे जरिए कोई और बोल रहा है. या भाषा खुद हमारे जरिए बोल रही है. जब भाषा वक्त से स्वतंत्र हो जाती है तो नैतिक दुविधा पैदा होती है. ऐसी स्थिति में फिर बोले हुए शब्द से पैदा हुई ताकत की जिम्मेदारी कौन लेता है."

अन्य वीडियो इंस्टॉलेशन "सेवन टू 10 मिलियन" में जर्मन कलाकार श्टेफान पान्हास, एक युवा व्यक्ति मशीनगन से निकलने वाली गोलियों की तरह एकल संवाद करता है. वह इलेक्ट्रिक चीजें बेचने का रोजमर्रा दिखाना चाहता है. इंके मानती हैं कि वह इस वीडियो से पूरी तरह से स्तब्ध हूं. "आप खुद से पूछें कि इस युवक के जरिए कौन बोल रहा है. ये एडवर्टाइजिंग स्लोगन को आगे पहुंचाने का एक माध्यम बन गया है."

सेवन टू टेन मिलियनतस्वीर: DW/Helene Pawlitzki

अगर भाषा ताकत है तो चुप रहने से आपकी ताकत खो जानी चाहिए. 1985 में तुर्की सरकार ने 205 शब्दों पर रोक लगा दी, इनमें याददाश्त, अभियान, सपना, शास्त्र शामिल थे. असली कावुसोग्लु ने इनमें से 191 शब्दों का इस्तेमाल करके रैप सॉन्ग बनाया. इस प्रदर्शनी में इसे भी सुना जा सकता है.

रिपोर्टः हेलेने पावलिट्जक/एएम

संपादनः ईशा भाटिया

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