शरणार्थियों पर जर्मनी में बनी सहमति
६ नवम्बर २०१५शरणार्थियों को लेकर जर्मनी में बड़ा विवाद है और चांसलर अंगेला मैर्केल अपने पार्टी के सांसदों और सहोदर पार्टी सीडीएसयू के दबाव में है जो शरणार्थियों की संख्या पर लगाम लगाने की मांग कर रहे हैं जबकि मैर्केल मानवीय आधार पर फैसले लेने की वकालत कर रही हैं. सीडीयू पार्टी की मैर्केल, एसपीडी के गाब्रिएल और सीएसयू के जेहोफर गुरूवार को शरणार्थियों को ले कर जिस समझौते पर पहुंचे हैं, उसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
शरण के लिए आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा. जर्मनी की सीमा पर तीन से पांच नए रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए जाएंगे. इनमें से कम से कम दो बवेरिया में होंगे, जिसकी सीमा ऑस्ट्रिया से जुड़ी हुई है और जहां से सबसे अधिक संख्या में शरणार्थी देश में प्रवेश कर रहे हैं.
आवेदन की प्रक्रिया के पूरा होने तक शरणार्थियों को रजिस्ट्रेशन सेंटर के करीब ही रहने की जगह दी जाएगी. अगर वे वहां से कहीं और जाते हैं तो उसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और इसका असर आवेदन पर भी पड़ सकता है. गलती दोहराने पर आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा.
शरणार्थी मुद्दे पर सीएसयू के जेहोफर का रुख काफी कड़ा रहा है और मैर्केल को उनके विरोध का सामना करना पड़ा है. जेहोफर ने इस बात से इंकार किया कि रजिस्ट्रेशन सेंटर छोड़ कर जाने वाले लोगों को वे जेल में कैद करना चाहते हैं और जोर देते हुए कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता देश में आ रहे लोगों को एक मानवीय स्थिति देना है.
रजिस्ट्रेशन के ये नए नियम उन लोगों पर लागू नहीं होंगे जो "सुरक्षित देशों" से आ रहे हैं, जैसे कि अल्बानिया और कोसोवो. आर्थिक कारणों से इन देशों से आने वाले लोगों को जर्मनी शरण देने से इंकार करता रहा है और आगे भी इसी फैसले पर कायम रहना चाहता है.
गठबंधन ने उम्मीद जताई है कि रजिस्ट्रेशन सेंटर पर ही इन लोगों की पहचान की जा सकेगी और इन्हें वहीं से वापस लौटाया जा सकेगा. जेहोफर का कहना है कि ऐसे में जरूरतमंद लोगों के लिए शरणार्थी शिविरों में जगह बन सकेगी.
रजिस्ट्रेशन के बाद लोगों को नए पहचान पत्र दिए जाएंगे. "रिफ्यूजी आईडी" मिलने के बाद ही वे देश में शरण के लिए आवेदन दे सकेंगे. साथ ही जर्मनी में प्रवेश लेने के बाद अनिवार्य भाषा और समेकन कोर्स के लिए उन्हें खर्च का कुछ हिस्सा उठाना पड़ेगा. अब तक इन्हें निःशुल्क दिया जा रहा था.
शरणार्थियों को अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा और कई मामलों में कम से कम दो साल जर्मनी में बिताने के बाद ही उन्हें परिवार को अपने पास बुलाने की अनुमति दी जाएगी.
वहीं, दूसरी ओर जर्मनी की विपक्षी पार्टियों ने इस समझौते की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा. इस साल के अंत तक देश में आठ से दस लाख शरणार्थियों के पहुंचने की उम्मीद है.
आईबी/एमजे (डीपीए, एएफपी)