यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि साल 2010 के बाद से अकेले यात्रा करने वाले शरणार्थी बच्चों की संख्या पांच गुना तक बढ़ गई है. संस्था ने चेतावनी दी है कि युवा शरणार्थी वेश्यावृत्ति और गुलामी के लिए मजबूर हो सकते हैं.
विज्ञापन
इस रिपोर्ट को पेश करते हुये यूनिसेफ ने विश्व नेताओं से कहा कि वे बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर अधिक ध्यान दें. संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था के मुताबिक साल 2015 और 2016 के दौरान दुनिया भर में 3 लाख बच्चे अकेले आने वाले या अपने परिवारों से बिछड़े शरणार्थी थे. यह आंकड़ा साल 2010 और 2011 के 66 हजार के मुकाबले पांच गुना अधिक है.
यूनिसेफ के मुताबिक कुल 3 लाख बच्चों में से एक लाख बच्चों को मेक्सिको से अमेरिका की सीमा पार करते हुए पकड़ा गया था. वहीं तकरीबन 1.70 लाख युवा शरणार्थियों ने यूरोप में दाखिल होने के लिए भूमध्य सागर की खतरनाक यात्रा पूरी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक कई सौ बच्चों की तो डूबने के चलते मौत भी हो गई.
इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 से लेकर इस साल फरवरी तक लीबिया से भूमध्य सागर पार कर इटली पहुंचने वाले नाबालिग शरणार्थियों में 92 फीसदी अकेले थे. यह आंकड़ा साल 2015 में तकरीबन 75 फीसदी था. यूनिसेफ ने कहा कि नाबालिगों की बढ़ती संख्या मानव तस्करों की नजर में है. ये मानव तस्कर इन बच्चों की मजबूरी का फायदा अपने निजी फायदों के लिए उठा सकते हैं और उन्हें वेश्यावृत्ति और गुलामी के लिए मजबूर कर सकते हैं.
यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सेथ ने कहा कि यह कहना अनुचित होगा कि हम बच्चों की ऐसे खतरों से पर्याप्त सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं. इटली में अगले सप्ताह से शुरू होने वाले जी7 शिखर सम्मेलन से पहले, यूनिसेफ ने दुनिया भर के नेताओं से शरणार्थी और प्रवासी बच्चों की सुरक्षा में सुधार से जुड़े छह सूत्रीय एजेंडे को अपनाने का आग्रह किया. इस एजेंडे में बच्चों को अपने ही क्षेत्रों में रोकना, उन्हें परिवारों के साथ रखने की कोशिश और स्वास्थ्य सेवाओं समेत शिक्षा जैसे विषय शामिल हैं.
घर से बेघर हुए पर बुलंदियों पर पहुंचे
अपने देश से भागे और दर-दर भटकते लोगों को दुनिया शरणार्थी कहती है. चलिए मिलवाते हैं आपको 10 ऐसे लोगों से जो शरणार्थी थे लेकिन संगीत, अभिनय, विज्ञान और राजनीति के क्षेत्र में वे बुलंदियों तक पहुंचे.
तस्वीर: Imago/StockTrek Images
मारलेने डिट्रीश
जर्मन गायिका और अभिनेत्री डिट्रीश नाजी जर्मनी को छोड़ कर अमेरिका गई थीं और 1939 में उन्होंने वहां की नागरिकता ली. वो एक अहम शरणार्थी शख्सियत थीं जिसने हिटलर के खिलाफ खुलकर बोला. उन्होंने कहा था, "वो जर्मन पैदा हुई हैं और हमेशा जर्मन रहेंगी."
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हेनरी किसिंजर
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विद्वान और अमेरिका के 56वें विदेश मंत्री. लेकिन उनका जन्म जर्मन राज्य बवेरिया में हुआ था और उन्हें भी नाजी अत्याचारों से बचने के लिए 1938 में जर्मनी छोड़ना पड़ा था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Schiefelbein
मेडलीन अलब्राइट
अलब्राइट अमेरिकी विदेश मंत्री बनने वाली पहली महिला हैं और 1997 से 2001 तक इस पद पर रहीं. उनका जन्म आधुनिक समय के चेक गणराज्य में हुआ था. जब 1948 में वहां सरकार पर कम्युनिस्टों का नियंत्रण हो गया तो उनके परिवार को भाग कर अमेरिका जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Loeb
अलबर्ट आइंसटाइन
सापेक्षता के सिंद्धांत के लिए मशहूर जर्मन यहूदी नोबेल विजेता अलबर्ट आइंसटाइन 1933 में अमेरिका के दौरे पर थे जब यह साफ हो गया कि वो वापस नाजी जर्मनी नहीं लौट सकते हैं.
तस्वीर: Imago/United Archives International
जॉर्ज वीडनफेल्ड
ब्रिटिश यहूदी लेखक वीडनफेल्ड का जन्म 1919 में विएना में हुआ था. लेकिन जब नाजियों ने ऑस्ट्रिया को अपना हिस्सा बना लिया तो वो लंदन चले गए. उन्होंने अपनी एक प्रकाशन कंपनी भी खोली और इस्राएल के पहले राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ भी रहे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/N.Bachmann
बेला बारटोक
20वीं सदी के हंगेरियन संगीतकार बेला बारतोक यहूदी नहीं थे लेकिन वो नाजीवाद के उभार और यहूदियों पर होने वाले अत्याचारों के विरोधी थे. 1940 में उन्हें अमेरिका जाना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images
मिलोस फोरमैन
मशहूर फिल्म निर्देशक मिलोस फोरमैन को 1968 की प्राग क्रांति के बाद चेकोस्लोवाकिया छोड़ कर अमेरिका का रुख करना पड़ा. उन्होंने दो विश्व विख्यात और ऑस्कर प्राप्त फिल्में "वन फेलो ओवर द कूकूज नेस्ट" (1975) और "अमादेओस" (1984) बनाईं.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/V. Dargent
इसाबेल अलेंदे
चिली के राष्ट्रपति सल्वाडोर अलेंदे का 1973 में तख्तापलट किया गया और इस दौरान उनकी मौत भी हो गई. तब उनकी भतीजी इसाबेल को भाग कर वेनेजुएला जाना पड़ा. बाद में वो अमेरिका में बस गईं और लेखिका के तौर पर उन्हें बहुत शोहरत मिली.
तस्वीर: Koen van Weel/AFP/Getty Images
मिरियम मकेबा
मिरियम मकेबा जिन्हें मामा अफ्रीका के नाम से भी जाना जाता है. वो अमेरिका के दौरे पर थी जब दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने रंगभेदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाने के लिए उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया था और इस महान गायिका को अमेरिका में बसना पड़ा.
तस्वीर: Getty Images
सिटिंग बुल
टाटांका इयोटेक यानी सिटिंग बुल अमेरिकी इतिहास में सबसे मशहूर मूल निवासी नेताओं में से एक थे. अमेरिकी सरकार की नीतियों के खिलाफ लड़ने वाले सिंटिंग बुल को 1877 से 1881 तक शरणार्थी के तौर पर कनाडा में रहना पड़ा था.